Cannes Film Festival 2024: भारतीय फिल्म को 30 साल बाद मिला मौका, अवॉर्ड की रेस में All We Imagine As Light
Cannes Film Festival का आयोजन हर साल किया जाता है। फ्रांस के शहर में होने वाला यह 10 दिवसीय फिल्म समारोह है जिसमें दुनियाभर की फिल्में स्क्रीनिंग के लिए पहुंचती हैं। कुछ का प्रीमियर किया जाता है। हालांकि सबसे ज्यादा अहमियत कॉम्पिटीशन सेक्शन की होती है जिसमें फिल्मों के बीच सबसे प्रतिष्ठित पाम डिओर अवॉर्ड के लिए रेस लगती है।
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। फ्रांस के कांस (कान) शहर में होने वाले दस दिवसीय Cannes Film Festival का बिगुल बज चुका है। गुरुवार को फेस्टिवल के विभिन्न सेक्शंस में दिखाई जाने वाली फिल्मों की घोषणा की गई, जिसमें दुनियाभर की फिल्में शामिल हैं। 77वां कांस फिल्म फेस्टिवल 14 मई से 25 मई तक आयोजित किया जाएगा।
कॉम्पिटीशन सेक्शन में भारतीय फिल्म
भारतीयों के लिए इस बार का फेस्टिवल खास हो गया है, क्योंकि इसके सबसे प्रतिष्ठित पाम डिओर (Palme d'Or) यानी गोल्डन पाम अवॉर्ड के लिए लेखक-निर्देशक पायल कपाड़िया की फिल्म ऑल वी इमेजिन एज लाइट (All We Imagine As Light) को प्रतिस्पर्द्धा करने का मौका मिला है।
यह बड़ी उपलब्धि इसलिए है, क्योंकि पायल की फिल्म को ऐसा मौका 30 साल बाद नसीब हुआ है। इस सेक्शन में दिखाई जाने वाली पिछली भारतीय फिल्म 1994 स्वहम है, जिसे शाजी एन करुण ने निर्देशित किया था।
ऑल वी इमेजिन एज लाइट इंडो-फ्रेंच प्रोडक्शन है। कहानी एक नर्स प्रभा के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसे लम्बे अर्से बाद उसके पति की ओर से एक गिफ्ट मिलता है।
प्रभा के अपने पति के साथ संबंध काफी अर्से से खराब हैं। उसकी रूममेट अपने ब्वॉयफ्रेंड के साथ वक्त गुजारने के लिए प्राइवेट रूम की तलाश कर रही है। एक दिन दोनों एक रोड ट्रिप पर जाती हैं, जहां उनकी जिंदगी में नया मोड़ आता है। अनुराग कश्यप ने पायल को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी है।
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इन फिल्मों के साथ होगी रेस
पाम डिओर अवॉर्ड सेक्शन में ऑल वी इमेजिन एज लाइट को कई दिग्गज अंतरराष्ट्रीय फिल्ममेकर्स की फिल्मों के साथ रेस लगानी होगी, जिनमें फ्रेंसिस फोर्ड कोपोला की मेगालोपोलिस, शॉन बेकर की एनोरा, योरगोस लेंथिमॉस की काइंड्स ऑफ काइंडनेस, पॉल श्रेडर की ओह कनाडा, मैग्नस वोन हॉर्न की द गर्ल विद द नीडल और पाओलो सॉरेंटिनो की पार्थेनोपे है। कॉम्पिटिशन सेक्शन की ज्यूरी को बार्बी की निर्देशक ग्रेटा गरविग हेड करेंगी।
इन फिल्मों के अलावा ब्रिटिश इंडियन फिल्ममेकर संध्या सूरी की संतोष को अन सर्टेन रिगार्ड सेक्शन में दिखाया जाएगा। क्वेंटिन ड्यूपियक्स की द सेकंड एक्ट के साथ 14 मई को 77वें कांस फिल्म फेस्टिवल का आगाज होगा।
कौन हैं पायल कपाड़िया?
पायल कपाड़िया मुंबई में पली-बढ़ी हैं। उन्होंने सेंट जेवियर्स कॉलेज से अर्थशास्त्र में स्नातक की डिग्री ली थी। इसके बाद सोफिया कॉलेज से मास्टर्स की डिग्री ली। कपाड़िया ने पुणे के फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट से फिल्ममेकिंग की पढ़ाई की। उनकी डॉक्युमेंट्री अ नाइट ऑफ नोइंग नथिंग (A Night Of Knowing Nothing) को 2021 के कांस फिल्म फेस्टिवल में गोल्डन आइ पुरस्कार मिला था।
कॉम्पिटीशन सेक्शन में भारतीय फिल्में
कांस फिल्म फेस्टिवल के कॉम्पिटीशन सेक्शन में सबसे पहले चुनी जाने वाली भारतीय फिल्म 1946 की नीचा नगर है, जिसे चेतन आनंद ने निर्देशित किया था। हालांकि, तब सबसे बड़े अवॉर्ड का नाम Grand Prix du Festival International du Film था। पाम डिओर अवॉर्ड 1955 से शुरू हुआ था।
नीचा नगर ने यह पुरस्कार अपने नाम किया था। नीचा नगर के बाद 1952 में वी शांताराम की अमर भूपाली, 1953 में राज कपूर की आवारा, 1958 में सत्यजीत रे की पारश पाथर, 1974 में एमएस सथ्यू की गरम हवा और 1983 में मृणाल सेन की खारिज पाम डिओर अवॉर्ड के लिए कॉम्पीट कर चुकी थीं। हालांकि, अवॉर्ड जीतने में कामयाब नहीं हो सकीं।
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