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करण कपाड़िया के डेब्यू पर मिलिए ऐसे स्टार किड्स से, जो अब हो चुके हैं BLANK

पेरेंट्स की लेगेसी का बोझ और दर्शकों की अपेक्षाएं इन्हें पहली ही फ़िल्म से पैकेज के रूप में मिलती हैं। जब ये दर्शकों की उम्मीदों पर खरे नहीं उतरते तो वो भी इन्हें ठुकरा देते हैं।

By Manoj VashisthEdited By: Published: Wed, 03 Apr 2019 03:04 PM (IST)Updated: Thu, 04 Apr 2019 09:55 PM (IST)
करण कपाड़िया के डेब्यू पर मिलिए ऐसे स्टार किड्स से, जो अब हो चुके हैं BLANK
करण कपाड़िया के डेब्यू पर मिलिए ऐसे स्टार किड्स से, जो अब हो चुके हैं BLANK

मुंबई। बॉलीवुड में यह स्टार किड्स के डेब्यू का दौर चल रहा है। जाह्नवी कपूर और सारा अली ख़ान के बहुचर्चित डेब्यू के बाद इस साल भी कई नये चेहरे बॉलीवुड में ताज़गी लेकर आ रहे हैं। सनी देओल के बेटे करण देओल, डिम्पल कपाड़िया की बहन सिंपल कपाड़िया के बेटे करण कपाड़िया, चंकी पांडे की बेटी अनन्या पांडे समेत कई स्टार किड्स आने वाले हैं। 

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जब-जब किसी स्टार किड का डेब्यू होने वाला होता है तो नेपोटिज़्म की बहस भी छिड़ जाती है और इसके केंद्र में जाने-अनजाने वो स्टार किड्स आ जाते हैं, जिन्होंने आंखें खोलते ही लाइट, कैमरा, एक्शन की आवाज़ें सुनी हैं।  फ़िल्मों में इनके करियर की शुरुआत भले ही आसान मानी जाती हो, मगर एक वक़्त के बाद संघर्ष इनकी नियति बन जाता है।

अपने पेरेंट्स की लेगेसी का बोझ और दर्शकों की अपेक्षाएं इन्हें पहली ही फ़िल्म से पैकेज के रूप में मिलती हैं और जब ये दर्शकों की उम्मीदों पर खरे नहीं उतरते तो दर्शक भी इन्हें ठुकराने में देर नहीं लगाते। ऐसे ही कुछ एक्टर्स, जिन्हें फ़िल्मी दुनिया विरासत में मिली, मगर इस दुनिया में इनकी मौजूदगी 'गेस्ट अपीयरेंस' बनकर रह गयी है। मेहमान की तरह कभी-कभी दिखायी देते हैं और फिर ग़ायब हो जाते हैं। आइए, जानते हैं ऐसे ही एक्टर्स के बारे में, जो नेपोटिज़्म की बहस को ये एंगल देते हैं- Survival Of The Talent.

पुरु राजकुमार:

बात एक्टिंग के साथ स्टाइल और डायलॉगबाज़ी की हो तो राज कुमार के सामने शायद ही कोई ठहर सके। उनके बेटे पुरु राजकुमार ने 1996 की फ़िल्म बाल ब्रह्मचारी से बॉलीवुड में क़दम रखा, मगर राज कुमार जैसा असर वो पैदा ना कर सके। आख़िरी बार वो अजय देवगन की फ़िल्म एक्शन जैक्सन में दिखायी दिये थे। उससे चार साल सलमान ख़ान की फ़िल्म वीर में भी पुरु नज़र आए थे।

ज़ाएद ख़ान:

 

अपने दौर के हैंडसम एक्टर संजय ख़ान के बेटे ज़ाएद ख़ान ने 2003 की फ़िल्म चुरा लिया है तुमने से फ़िल्मी पारी शुरू की। मगर, ज़ाएद का करियर भी उस तरह शेपअप नहीं हुआ, जैसा एक स्टार किड का होना चाहिए। ज़ाएद का पर्दे पर आना-जाना लगा रहता है। बतौर लीड उनकी आख़िरी फ़िल्म 2015 में आयी शराफ़त गयी तेल लेने है। ज़ाएद ने अब छोटे पर्दे का रुख़ कर लिया है। पिछले साल प्रसारित हुए सीरियल हासिल में ज़ाएद ने लीड रोल निभाया था।

लव सिन्हा:

शत्रुघ्न सिन्हा ने अपनी फ़िल्मों और पर्सनेलिटी के ज़रिए एक अलग ही मुक़ाम पाया है, लेकिन उनके बेटे लव सिन्हा का करियर पहली फ़िल्म के बाद ही ठहर गया। लव ने 2010 की फ़िल्म सदियां से डेब्यू किया, मगर उनका करियर कुछ साल भी नहीं चला। हालांकि डेब्यू के सात साल बाद लव को जेपी दत्ता की फ़िल्म पलटन मिल गयी, जो फ्लॉप रही। 

हरमन बावेजा:

फ़िल्म प्रोड्यूसर-डायरेक्टर हैरी बावेजा के बेटे हरमन बावेजा ने 2008 में लव स्टोरी 50-50 से डेब्यू किया था। इसके बाद वो 2009 में व्हाट्स योर राशि और विक्ट्री में नज़र आये। हरमन को आख़िरी बार 2014 में ढिश्कियायूं में पर्दे पर देखा गया। मगर, इस फ़्लॉप के बाद हरमन अभी तक पर्दे पर नहीं लौटे हैं। कई साल पहले हरमन को प्रियंका चोपड़ा का बॉयफ्रेंड माना जाता था। 

महाअक्षय चक्रवर्ती:

मिथुन चक्रवर्ती हिंदी सिनेमा के उन एक्टर्स में शामिल हैं, जिन्होंने अपने टेलेंट से नाम कमाया है। मगर, बेटे महाअक्षय चक्रवर्ती पापा की कामयाबी और शोहरत से बहुत पीछे रह गये हैं। 2008 में महाअक्षय ने जिम्मी से बॉलीवुड में डेब्यू किया। फ़िल्म फ़्लॉप रही और महाअक्षय के स्टार बनने के सपने टूट गये। फिर भी कोशिशें जारी रखीं। उनकी आख़िरी फ़िल्म इश्क़ेदारियां है, जो 2015 में आयी, मगर महाअक्षय आज भी बॉलीवुड के गेस्ट स्टार ही हैं।

फ़रदीन ख़ान:

 

फ़िरोज़ ख़ान के बेटे फ़रदीन ख़ान ने 1998 की फ़िल्म प्रेम अगन से बॉलीवुड में डेब्यू किया। शुरू से ही फ़रदीन का करियर वो रफ़्तार नहीं पकड़ सका, जिसकी उनसे उम्मीद थी। फ़रदीन 2010 की फ़िल्म दूल्हा मिल गया में आख़िरी दफ़ा पर्दे पर दिखायी दिये। फ़िलहाल बतौर लीड एक्टर उनकी वापसी की संभावना बहुत कम है। यानि बॉलीवुड में उनकी प्रेजेंस भी मेहमान की तरह हो चली है।


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