बॉलीवुड का बदला, क्योंकि ‘माफ़ कर देना हर बार सही नहीं होता’
भारतीय वायु सेना ने देश के मन को समझा और आतंकवादी ठिकानों पर Air Strike कर देश को जश्न मनाने का एक मौका दिया। अब हर तरफ उत्साह सब कह रहे हैं कि हमने ले लिया बदला।
मुंबई। अमिताभ बच्चन और तापसी पन्नू की एक फ़िल्म भी रिलीज़ को तैयार है। और इस फ़िल्म का भी नाम है- बदला। यह फ़िल्म 8 मार्च (आज) को रिलीज़ हो रही है। नाम से ही ज़ाहिर है यह फ़िल्म बदले की एक कहानी है। फ़िल्म के पोस्टर पर लिखा भी है- ‘माफ़ कर देना हर बार सही नहीं होता’।
बॉलीवुड फ़िल्मों में बदले की कहानी एक सुपरहिट फ़ॉर्मूला रहा है। ‘बदला’ के अलावा अमिताभ बच्चन कई फ़िल्मों में बदला लेते हुए नज़र आते हैं। ‘अग्निपथ’ के विजय दीनानाथ चौहान को कौन भूल सकता है जो अपने पिता की मौत का बदला लेने के लिए गैंगस्टर बन जाता है?
इसके अलावा भी बिग बी कई फ़िल्मों में बदला लेते दिखे हैं। ‘शोले’ की ही बात करें तो ठाकुर (संजीव कुमार) भी तो गब्बर सिंह (अमज़द ख़ान) से अपने बच्चों की मौत का बदला ही लेना चाहता है। हाल ही में शाह रुख़ ख़ान की फ़िल्म बाजीगर ने अपने 25 साल भी पूरे किये हैं। इसे शाह रुख़ ख़ान अपने करियर की बेस्ट फ़िल्मों में मानते हैं। इस फ़िल्म में अजय शर्मा (शाह रुख़ ख़ान) मदन चोपड़ा (दिलीप ताहिल) से अपने पिता के साथ किये गए धोखाधड़ी की जिससे उनकी मौत हो जाती है का बदला लेता है। इसी सिलसिले में फ़िल्म में शाह रुख़ मदन चोपड़ा की बड़ी बेटी (शिल्पा शेट्टी) की हत्या कर देता है और दूसरी बेटी (काजोल) से प्यार करने का नाटक करता है और उसी अंदाज़ में वो मदन चोपड़ा से बदला लेता है, जिस अंदाज़ में उसने उसके पिता के साथ सुलूक किया था। यह फ़िल्म भी काफी पसंद की गयी थी।
हाल के वर्षों में आई रितिक रोशन की फ़िल्म काबिल की बात करें तो यह फ़िल्म रोहन (रितिक रोशन) और सुप्रिया (यामी गौतम) की कहानी है। दोनों देख नहीं सकते हैं लेकिन दोनों अपनी दुनिया में खुश है। लेकिन, उनकी खुशी को नज़र लग जाती है। सुप्रिया आत्महत्या कर लेती है। सुप्रिया को आत्महत्या करने के लिए मजबूर किया जाता है। शहर का काउंसिलर और उसका भाई अमित इसके लिए जिम्मेदार है। पुलिस भी उनके हाथों की कठपुतली है। जिसके बाद रोहन खुद बदला लेने निकल पड़ता है। फिल्म की कहानी में यूं तो नयापन नहीं है लेकिन, एक अंधा आदमी किस तरह से अपने बदले को पूरा करेगा यह बात फ़िल्म को लेकर उत्सुकता को ज़रूर बढ़ा देती है?
दिवंगत अभिनेत्री श्रीदेवी की आखिरी फ़िल्म मॉम की भी बात करें तो यह फ़िल्म भी एक मां के बदले की कहानी है। अपनी बेटी के साथ हुए जुल्म का किस तरह से वो बदला लेती है, वो देखकर आप दंग हो जाते हैं।
बदले की पृष्ठभूमि पर बॉलीवुड में कई फ़िल्में बनी हैं। मदर इंडिया से लेकर नब्बे के दशक की फ़िल्म मोहरा बदले की भावना पर बनी फ़िल्मों की संख्या काफी है। रेखा की ‘खून भरी मांग’, ऋषि कपूर का ‘क़र्ज़’, विद्या बालन की ‘कहानी’, आमिर ख़ान की ‘गजिनी’ से लेकर गैंग्स ऑफ़ वासेपुर तक प्रेम के बाद जिस भावना पर बॉलीवुड में सबसे ज्यादा फ़िल्में बनी हैं तो वो है- बदला। बदला, क्योंकि ‘माफ़ कर देना हर बार सही नहीं होता’।