'तूफान का नाम है चिकारा', बॉलीवुड विलेन को देख छू जाते थे अच्छे-अच्छों के पसीने, कैसे बने जर्नलिस्ट से एक्टर?
बॉलीवुड में कई खलनायकों ने न केवल हीरो-हीरोइन बल्कि दर्शकों के बीच भी दहशत फैलाई। एक खलनायक को तो दहशत का दूसरा नाम कहा गया। इस खलनायक ने छोटा लेकिन महत्वपूर्ण रोल निभाकर बॉलीवुड से लेकर साउथ सिनेमा तक पहचान हासिल की। यह अभिनेता रहे बॉलीवुड के चिकारा। चलिए आपको बताते हैं कि जर्नलिज्म छोड़ वह कैसे खलनायक बन गए।

एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। बड़े पर्दे पर कई अभिनेता आए और गए, किसी ने बतौर हीरो बनकर पहचान हासिल की तो किसी ने खलनायक बनकर। 90 के दशक में ऐसे कई कलकार थे जो खलनायक बनकर मशहूर हुए। एक खलनायक को देखने भर से ही दर्शक थर-थर कांपने लगते थे। खूनी खेल खेलने वाला ये खलनायक कोई और नहीं बल्कि रामी रेड्डी (Rami Reddy) थे।
रामी रेड्डी ने साउथ से लेकर बॉलीवुड तक कई फिल्में कीं और उनमें अपनी खलनायिकी दिखाई। कभी वह कर्नल चिकारा बने तो कभी अन्ना बनकर दहशत फैलाई। मगर क्या आपको पता है कि सिनेमा में दहशत का दूसरा नाम कहे जाने वाले रामी रेड्डी कभी जर्नलिस्ट हुआ करते थे। जर्नलिज्म छोड़ उन्होंने अभिनय का रास्ता कैसे और क्यों चुना? चलिए आपको इस बारे में बताते हैं।
जर्नलिस्ट थे रामी रेड्डी
1 जनवरी 1959 चित्तूर जिले में जन्मे गंगासानी रामी रेड्डी ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि वह अभिनय की दुनिया में आएंगे। उनका ख्वाब तो जर्नलिस्ट बनना था और वह इस राह पर भी चले। शुरुआती पढ़ाई करने के बाद रामी ने हैदराबादा के उस्मानिया यूनिवर्सिटी से जर्नलिज्म की पढ़ाई की और डिग्री पूरी होते ही एक अखबार में काम करने लगे।
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एक इंटरव्यू में बदली किस्मत
किस्मत का खेल ही था, जर्नलिस्ट बनने के बाद भी उनका ग्लैमर वर्ल्ड से कनेक्शन होता गया। वह फिल्मी सितारों के इंटरव्यूज लिया करते थे। ऐसे ही एक इंटरव्यू ने उनकी किस्मत बदल दी। एक बार उन्होंने साउथ के मशहूर डायरेक्टर कोडी रामाकृष्ण का इंटरव्यू लिया था। डायरेक्टर उनसे इस कदर इंप्रेस हुए थे कि तुरंत उन्हें अपनी फिल्म का ऑफर दे दिया।
रामी रेड्डी का पहला डेब्यू रहा शानदार
रामी रेड्डी ने कभी अभिनय के बारे में सोचा नहीं था, लेकिन जब ऑफर आया तो उन्होंने ठुकराने की बजाय उसे स्वीकार किया और वह चमक गए। उनकी पहली फिल्म थी अनुकुसम (1989) जिसमें उन्होंने स्पॉट नाना (खलनायक) का किरदार निभाया था। इसी फिल्म के बाद रामी रेड्डी का अभिनय की दुनिया में सफर शुरू हुआ।
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बॉलीवुड में फैलाई दहशत
तेलुगु और कन्नड़ फिल्मों से मशहूर होने के बाद रामी रेड्डी को बॉलीवुड से भी ऑफर मिले। जब अनुकुसम का हिंदी रीमेक प्रतिबंध बना तो इसमें भी रामी रेड्डी ने काम किया और वह हिंदी सिनेमा में छा गए। उन्हें असली पहचान अक्षय कुमार स्टारर फिल्म 'वक्त हमारा है' में कर्नल चिकारा की भूमिका से मिली थी। इसमें उनका डायलॉग 'तबाही की आंधी और बर्बादी के तूफान का नाम है चिकारा' खूब पॉपुलर हुआ था। इसके बाद उन्होंने तमाम हिंदी फिल्मों में खलनायिकी दिखाई।
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रामी रेड्डी ने फिल्म इंडस्ट्री में करीब दो दशक तक काम किया है। हालांकि, मात्र 52 साल की उम्र में 14 अप्रैल 2011 को उनका लिवर और किडनी संबंधित बीमारी से निधन हो गया था। आज वह भले ही इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन अपनी फिल्मों के जरिए वह हमेशा अपने फैंस के दिलों में जिंदा रहेंगे।
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