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    'वह प्यार नहीं भूला...'Aashram देखकर मां की सहेलियां मुझसे मिलना चाहती थीं, Bobby Deol ने शेयर की दिल की बात

    पॉपुलर वेब सीरीज आश्रम के सीजन-3 का दूसर भाग लगभग दो साल के इंतजार के बाद आया है। इस सीरीज में बाबा निराला के किरदार में बॉबी देओल छा गए। हाल ही में एक्टर ने फिल्म के अनुभव और रोल से अपने लगाव के बारे में बात की। एक्टर ने बताया कि ये रोल उनके दिल के बहुत करीब है।

    By Priyanka singh Edited By: Surabhi Shukla Updated: Fri, 28 Feb 2025 06:00 AM (IST)
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    बॉबी देओल की फिल्म आश्रम (Photo: Instagram)

    प्रियंका सिंह, नई दिल्ली। वेब सीरीज आश्रम 3 का दूसरा पार्ट अमेजन एमएक्स प्लेयर (Amazon MX Player) पर आ चुका है। इस बारे में हमने बात की शो में बाबा की भूमिका निभा रहे बॉबी देओल से। एक्टर ने बताया कि क्या वजह रही कि असल मिजाज से अलग होते हुए भी आश्रम का पात्र उनके दिल के इतने करीब है।

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    वेब सीरीज आश्रम से बॉबी देओल ने बतौर अभिनेता दूसरी सफल पारी शुरू की थी। यही वजह है कि वह इसे अपने करियर का अहम पड़ाव मानते हैं। इसी सीरीज से बॉबी,लार्ड बाबी के नाम से प्रसिद्ध हुए थे।

    जब हमने उनसे पूछा कि इस टैग को वो कितनी गंभीरता से लेते हैं?

    इस पर बॉबी कहते हैं कि प्यार से मुझे जिस तरह भी पुकारो, अच्छा ही लगता है। बॉबी कहते हैं कि ओटीटी ने मेरी जिंदगी बदल दी है। इस पर मैंने क्लास आफ 83, आश्रम, लव होस्टल में काम किया। हालांकि करियर में बदलाव आश्रम के बाद आया। इसका श्रेय प्रकाश झा जी को जाता है। मैं ऐसी भूमिका निभाना चाहता था, जो रोमांटिक हीरो की छवि से अलग हो। जब मैंने आश्रम साइन की थी तो माता-पिता को नहीं बताया था।

    बॉबी देओल ने आगे कहा, 'मुझे लगा कि वे कहेंगे कि यह बोल्ड विषय है, मत करो। मैं कुछ अलग करना चाह रहा था। जब बाबा के रोल में दर्शकों का प्यार मिला तो लगा कि दिल से लिया गया निर्णय सही था। मां ने कहा कि दिल्ली की उनकी सहेलियां मेरा काम देखकर इतनी खुश हैं कि मिलना चाह रही हैं। हर कलाकार इस तरह की प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा करता है।'

    मुझे डर लग रहा था- बॉबी

    सेट के पहले दिन की यादें ताजा करते हुए बाबी कहते हैं कि सही कास्टिंग से ही अच्छा शो बनता है। निर्देशक प्रकाश जी को सही लोग चाहिए होते हैं, जो पात्रों के साथ न्याय कर सकें। शूटिंग का पहला दिन था। हम अस्पताल में शूटिंग कर रहे थे। गर्मी के दिन थे। वैसे भी इतने समय बाद काम कर रहा था तो गर्मी और ज्यादा लग रही थी। पहले ही सीन से पात्र में उतरना था। प्रकाश जी कैमरा भी चला लेते हैं। वह कैमरा लेकर पीछे ही खड़े थे। मुझे डर लग रहा था कि इतनी लंबी लाइनें बोलनी हैं, क्या मैं शाट दे पाऊंगा। इस उधेड़बुन के बीच मैंने शाट दिया।

    प्रकाश जी ने जब कुछ बोला नहीं तो लगा कि शायद उनको अच्छा नहीं लगा, लेकिन बाद में अंदाज आया कि वह अगले शाट की तैयारी में लग गए थे। शाट के बाद सभी कलाकार मुस्कुरा रहे थे। प्रकाश जी ने भी मेरी हिम्मत बढ़ाई थी। एक दिन मैं बैठे-बैठे सो गया था, तब उन्होंने आकर सिर पर हाथ रखा। उनको एहसास था कि मैं बहुत मेहनत कर रहा हूं। उनका वह प्यार मैं नहीं भूल सकता हूं।