निर्देशक की अनुमति के बिना ब्रेक भी नहीं लेते बच्चन- विकास बहल
फिल्म गुडबाय में अमिताभ बच्चन के साथ काम कर चुके निर्देशक विकास बहल ने बिग बी की जन्मतिथि से पूर्व साझा किए उनके साथ काम करने के अनुभव। जहां बताई सेट पर अमिताभ बच्चन की आदतों से संबंधित कुछ विशेष बातें।

प्रियंका सिंह
हाल ही में सिनेमाघरों में प्रदर्शित हुई फिल्म ‘गुड बाय’ के निर्देशक विकास बहल अमिताभ बच्चन के साथ काम करने के अनुभवों को साझा करते हुए कहते हैं, ‘वह 80 वर्ष के हो रहे हैं, लेकिन इस फिल्म के सेट पर मैंने उनसे युवा कोई नहीं देखा। उनमें वह अनुशासन आज भी है, जो किसी नए कलाकार के करियर के आरंभिक दौर में आवश्यक होता है। उनमें वही अनुशासन आज भी है। वह उसी स्तर की रिहर्सल करते है, वैसे ही मासूम सवाल पूछते हैं। इसीलिए उनका जादू आज भी कायम है।’
हर समस्या का हल उनके पास
वे आगे कहते हैं, ‘मैं उन्हें फिल्म के लिए चयन वाला कोई नहीं होता। हर किसी को अपनी फिल्म में मिस्टर बच्चन चाहिए ही होते हैं। मैंने यह अनळ्भव किया कि जब वो सेट पर होते हैं, तो सारे काम मक्खन की तरह हो जाते हैं। सेट पर कोई भी समस्या हो, उनके पास उसका समाधान होता ही है। मुझे याद है, कई बार हम रात के तीन बजे तक बैठकर बातें कर होते थे और सुबह-सुबह वह सबसे पहले सेट पर पहुंचकर बैठे रहते थे।’
उनकी दृष्टि में सब समान
विकास बताते हैं, ‘फिल्म ‘गुड बाय’ की शूटिंग हमने कोरोना काल के सख्त नियमों के बीच की। शाम के चार बजे शूटिंग बंद करनी पड़ती थी। हम सुबह पांच बजे सेट पर आना शुरू करते थे, बच्चन सर भी सुबह ही आ जाते थे, चाहे उनका शाट हो या न हो। वह कहते थे कि सब आ रहे हैं, तो मैं क्यों नहीं आऊंगा। हम समय बचाने के लिए चलते-फिरते ही नाश्ता और दोपहर का भोजन कर लेते थे। एक दिन मैंने सर से पूछा कि, आपको मैं तीन दिनों से देख रहा हूं, आप वैन में जाकर खाना खाते हुए नहीं दिखते। इस पर उन्होंने कहा कि आपने सेट पर कभी लंच ब्रेक की घोषणा नहीं की, तो मैं कैसे चला जाऊं। सेट पर मौजूद हर कोई उनकी इस बात से हैरान था। दरअसल हम जिस तरह सेट पर काम करते हुए खाना खा रहे थे, वह भी वैसे ही कर रहे थे। उनका मानना है कि सेट पर सब एक समान हैं।’
नहीं भूलूंगा वह पहली मुलाकात
इस फिल्म से पहले का एक किस्सा साझा करते हुए विकास बताते हैं, ‘जो भी इस इंडस्ट्री में काम कर रहा है, हर किसी के पास अमिताभ बच्चन से जुड़ी कोई न कोई कहानी होती ही है। मैं जबसे समझदार हुआ हूं, तबसे उनकी फिल्में देखता आ रहा हूं। एक बार मैं एक रात्रि भोज पर गया था। वहां 30-40 लोग ही थे। मिस्टर बच्चन भी वहां थे। मैंने सोचा कि मुझे किसी भी तरह उनसे मिल लेना चाहिए। मैं पूरी योजना मस्तिष्क में बना रहा हूं कि कैसे उनके पास जाऊंगा, अपना परिचय दूंगा। मस्तिष्क दौड़ा ही रहा था कि अचानक पीछे से मेरे कंधे पर हाथ आता है। वह मिस्टर बच्चन थे। वह सामने आकर खड़े हो गए। उन्होंने अपना परिचय दिया कि नमस्कार मैं अमिताभ बच्चन हूं। यह देखकर मैं स्तब्ध था। उन्होंने कहा कि मेरा काम अच्छा है। मेरे तो पसीने छूट रहे थे। मेरे चश्मे पर भाप जमा हो गई थी, जिसकी वजह से मुझे धीरे-धीरे बच्चन साहब दिखना बंद हो गए। उन्होंने मेरा हाथ पकड़ा हुआ था, जिसे मैं छुड़ा भी नहीं सकता था और न छुड़ाना चाहता था। हमारी लंबी बातचीत हुई और उस पूरी बातचीत के दौरान मैं उन्हें वैसे ही भाप वाले चश्मे से देखने की कोशिश करता रहा। उसके कई दिनों बाद मैंने बच्चन सर को मैसेज लिखा था कि सर उस दिन पार्टी में मैंने आपसे बात तो की थी, लेकिन आपको देख नहीं पा रहा था।’

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