हिंदू सम्राट पृथ्वीराज चौहान की वीरगाथा और सिनेमा में उनकी अहमियत पर आलेख...
भारतीय सिनेमा में गौरवगाथा सदैव सफल रही है। बात अगर भारतीय इतिहास की करें तो ऐसा ही नायकत्व सम्राट पृथ्वीराज चौहान की कथा से जुड़ा है। यही वजह है कि कई वर्षों से सिनेमा उनकी कथा को फिल्माता रहा है।

महाकवि चंदबरदाई ने पृथ्वीराज रासो में सम्राट पृथ्वीराज चौहान का जैसी ओजस्विनी भाषा में वर्णन किया है, उसे पढ़ने से रोंगटे खड़े हो जाते हैं, कायरों के हृदय में भी वीरता का ज्वार उठता है। उनकी वीरता के किस्से आज भी लोगों के जुबान पर हैं। वहीं कन्नौज के राजा जयचंद की पुत्री संयोगिता के साथ उनकी प्रेम कहानी भी इतिहास में अमर है।
शानदार है इतिहास
सम्राट पृथ्वीराज शब्दभेदी बाण चलाने की विद्या में प्रवीण थे। उनकी वीरता के चर्चे उन दिनों सभी की जुबान पर थे। यही चर्चा जयचंद की बेटी राजकुमारी संयोगिता तक पहुंची, जो बाद में पृथ्वीराज की पत्नी बनीं। पृथ्वीराज से बदला लेने के लिए जयचंद अफगान आक्रांता मोहम्मद गौरी के साथ मिल गया था। जिसे पृथ्वीराज चौहान ने युद्ध में 16 बार धूल चटाई थी। पृथ्वीराज रासो में इस युद्ध, पृथ्वीराज को बंदी बनाने, उन्हें प्रताड़ित करने, पृथ्वीराज के शब्दबेधी तीर चलाने और वीरगति प्राप्त करने का रोंगटे खड़े कर देने वाला वर्णन है। अंतिम हिंदू सम्राट पृथ्वीराज की वीरगाथा पर डा. चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने आगामी फिल्म ‘सम्राट पृथ्वीराज’ का लेखन और निर्देशन किया है। फिल्म में अक्षय कुमार पृथ्वीराज चौहान की भूमिका में हैं जबकि संयोगिता की भूमिका में पूर्व विश्व सुंदरी मानुषी छिल्लर हैं। यह फिल्म तीन जून को सिनेमाघरों में रिलीज होगी।
जुड़ गए तार
फिल्म ‘सम्राट पृथ्वीराज’ की स्क्रिप्ट करीब 18 साल से चंद्रप्रकाश द्विवेदी के पास है। फिल्म बनाने को लेकर वे कहते हैं, ‘भारत की महान परंपराओं में जो मुख्य विचार थे, उनसे हमारे युवा बिल्कुल अपरिचित हैं। मुझे लगा कि धारावाहिक ‘चाणक्य’ के बाद इसी कहानी पर काम करूं। इसमें एक योग भी है। भारत के पहले ऐतिहासिक सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य थे और अंतिम हिंदू सम्राट पृथ्वीराज चौहान। इसलिए मैं दोनों सूत्रों को जोड़ना चाहता था। उसके अलावा पृथ्वीराज चौहान का चरित्र कितना महान रहा है, यह फिल्म देखने पर पता चलेगा।’
हर भाषा में हुआ चित्रण
हालांकि यह पहली बार नहीं है जब सम्राट पृथ्वीराज चौहान की जिंदगानी पर कोई फिल्म बनी हो। साल 1942 में इसे तमिल भाषा में ‘पृथ्वीराजन’ शीर्षक के साथ बनाया गया था, जिसमें पी.यू. चिन्नप्पा ने मुख्य भूमिका और ए. शकुंतला ने उनकी राजकुमारी की भूमिका निभाई थी। संयोग से फिल्म बनाने के दौरान इस जोड़ी को प्यार हो गया और उन्होंने शादी कर ली। साल 1959 में हिंदी में सम्राट ‘पृथ्वीराज चौहान’ शीर्षक से फिल्म बनी। इसमें पृथ्वीराज की भूमिका जयराज ने जबकि संयोगिता की भूमिका चांद उस्मानी ने निभाई थी। इसकी कहानी, स्क्रीन प्ले और डायलाग अनंत श्याम के थे जबकि निर्देशन हरसुख भट्ट का था। फिल्म के गानों को लता मंगेशकर, मन्ना डे, मोहम्मद रफी और महेंद्र कपूर ने अपने सुरों से सजाया था। फिल्म का आरंभ पृथ्वीराज चौहान के अलग-अलग जगह युद्ध में जीत हासिल करने से होता है। साल 1962 में, जब पृथ्वीराज और संयुक्ता की कहानी पर तमिल फिल्म ‘रानी संयुक्ता’ बनाई जा रही थी, तब एम. जी. रामचंद्रन ने पृथ्वीराज और पद्मिनी ने संयोगिता की भूमिका निभाई थी। फिल्म के कुछ गाने बहुत हिट हुए थे। फिल्म का मुख्य आकर्षण पद्मिनी का अभिनय था। एमजीआर ने भी अच्छा प्रदर्शन किया था, लेकिन उनके करीबी दोस्तों के अनुसार, निर्माता के साथ गलतफहमी ने उनके प्रदर्शन को प्रभावित किया। इस फिल्म के गीतों को बहुत सराहा गया था। हालांकि फिल्म ने बाक्स आफिस पर अच्छा प्रदर्शन नहीं किया था मगर के.वी. महादेवन के मधुर संगीत, शीर्षक भूमिका में पद्मिनी और पृथ्वीराज के रूप में एमजीआर के प्रदर्शन के लिए इस फिल्म को याद रखा जाता है।
बने हैं धारावाहिक भी
सम्राट पृथ्वीराज चौहान पर धारावाहिक ‘धरती का वीर योद्धा पृथ्वीराज चौहान’ वर्ष 2006-2009 तक स्टार प्लस पर प्रसारित हुआ था। इसमें रजत टोकस ने युवा पृथ्वीराज जबकि वयस्क पृथ्वीराज की भूमिका अनस राशिद ने निभाई थी। पृथ्वीराज चौहान पर एनिमेशन फिल्म ‘वीर योद्धा पृथ्वीराज चौहान’ भी बनाई गई है। उसकी शुरुआत बाल्यकाल में पृथ्वीराज चौहान द्वारा शेर को निहत्थे परास्त करने से होती है। इसके लेखक और निर्देशक राकेश प्रसाद थे।

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