जागरण फिल्म फेस्टिवल में पहुंचे अभिनेता अर्जुन कपूर, बोले- विफलता से जिंदगी खत्म नहीं होती
दिल्ली के सिरीफोर्ट ऑडिटोरियम में चल रहे जागरण फिल्म फेस्टिवल में शनिवार को तीसरे दिन तक 1250 थिएटर आर्टिस्ट जुड़ चुके हैं। फेस्टिवल में पहुंचे अभिनेता अर्जुन कपूर को लेकर दर्शकों का उत्साह देखने लायक था। हर कोई उनकी बस एक झलक पाने को बेताब था। संवाद के क्रम में उन्होंने कहा अपने 12 साल के करियर में सफलता-विफलता दोनों का स्वाद चखा है।
शनि पाथौली, जागरण, नई दिल्ली। हाल ही में आई फिल्म सिंघम अगेन में 'डैंजर लंका' का दमदार नेगेटिव रोल निभाने वाले अर्जुन कपूर ने कहा, आप किसी भी इंडस्ट्री में जाओ कभी न कभी विफलता का सामना करना ही पड़ता है, इसलिए सबसे महत्वपूर्ण यह है कि आप उससे कैसे उबरते हैं। कुछ साल पहले मेरे जीवन में भी बहुत उतार-चढ़ाव आए। यह सभी के जीवन में आते हैं। ध्यान रहे, विफलता से जिंदगी खत्म नहीं होती। जिंदगी में जब आप हारते हैं, तो उससे सीखकर नए सिरे से जीवन शुरू करना चाहिए।
अर्जुन ने बताया कि अभी तक सिंघम अगेन फिल्म नहीं देखी
सिरीफोर्ट ऑडिटोरियम में चल रहे जागरण फिल्म फेस्टिवल में शनिवार को तीसरे दिन तक 1250 थिएटर आर्टिस्ट जुड़ चुके हैं। फेस्टिवल में पहुंचे अभिनेता अर्जुन कपूर को लेकर दर्शकों का उत्साह देखने लायक था। हर कोई उनकी बस एक झलक पाने को बेताब था। संवाद के क्रम में उन्होंने कहा, अपने 12 साल के करियर में सफलता-विफलता दोनों का स्वाद चखा है। 12वीं फेल फिल्म इसलिए भी लोगों के दिलों को छू गई, क्योंकि ये जिंदगी के उसूल बताती है। फिल्म सिंघम अगेन में अपने किरदार के लिए तारीफ बटोर रहे अर्जुन ने बताया कि अभी तक यह फिल्म नहीं देखी है।
फैंस मुझे मेरे किरदार डैंजर लंका के नाम से बुला रहे हैं
उन्होंने कहा, मेरे करियर में पहली बार ऐसा हो रहा है कि फैंस मुझे मेरे किरदार डैंजर लंका के नाम से बुला रहे हैं। इनमें बच्चे तक शामिल हैं। इस फिल्म को जनता से इतना प्यार मिला है, जिसे कभी नहीं बुलाया जा सकता। फिल्म की रिलीज के अगले दिन मेरे परिचित विभिन्न होटल मैनेजर से लेकर रिश्तेदारों व अन्य लोगों ने मैसेज और वीडियो भेजकर किरदार की सराहना की। यदि भविष्य में उनके पास अच्छे नेगेटिव रोल आए तो मैं जरूर करूंगा, लेकिन एक जैसी भूमिका दोबारा नहीं करूंगा।
इश्कजादे का आडिशन नहीं देता तो पता नहीं कहां होता
अर्जुन कपूर ने कहा, आडिशन देने के बाद ही मुझे इश्कजादे मिली थी। कास्टिंग डायरेक्टर शानू शर्मा ने फेसबुक आइडी पर मेरी फोटो देखकर मुझे संपर्क किया था। उस समय मेरा वजन बहुत ज्यादा था। इस फिल्म को करने के लिए मैंने वजन कम किया। अर्जुन ने कहा, यदि मैं इस फिल्म का आडिशन नहीं देता, तो आज पता नहीं कहां होता, लेकिन ये भी सही है कि मुझे सिर्फ सिनेमा में ही करियर बनाना था।
उन्होंने अपनी कलाई पर मां का टैटू बनवा रखा है। फिल्मी परिवार से आने की वजह से दबाव के सवाल पर वह कहते हैं, मैं अपने परिवार के किसी भी सदस्य से अपनी तुलना नहीं करता हूं। बहनें व चाचू अनिल कपूर सहित अन्य सदस्य बेहतर काम कर रहे हैं। मैं भाग्यशाली हूं कि ऐसे परिवार का हिस्सा हूं, जिसके सदस्य सिनेमा से जुड़े हुए हैं।
पांचवां पराठा को मिली सराहना से बेहद खुश हूं : संजय गुप्ता
कानपुर में मिलबंदी के दौरान बड़ी संख्या में मजदूर बेरोजगार हो गए थे। उनकी माली हालत काफी खराब हो गई थी। उसी दौरान एक दुखद घटना घटी, जिसमें एक पराठे के लिए एक बच्ची के हाथों अपने भाई की मौत हो गई थी। प्रसिद्ध साहित्यकार पद्मश्री गिरिराज किशोर ने उस घटना को करीब से देखा था। उनकी लिखी इसी कहानी पर आधारित है शार्ट फिल्म पांचवां पराठा, जिसका प्रदर्शन शनिवार को जागरण फिल्म फेस्टिवल में किया गया।
फिल्म के निर्देशक संजय गुप्ता बताते हैं, गिरिराज जी की बेटी की अपने पिता की कहानी पर शार्ट फिल्म बनाने में दिलचस्पी थी। इस सिलसिले में उनका संपर्क डा. असगर वजाहत से हुआ। वह हमारे जामिया मिलिया इस्लामिया में प्रोफेसर थे। उन्होंने मुझे यह जिम्मेदारी दी। पांचवां पराठा फिल्म की शू¨टग कानपुर में ही की गई।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।