Indiana Jones के लिए जब अमरीश पुरी को कहा गया था 'एंटीनेशनल', हैरीसन फोर्ड ने 'मोला राम' को किया याद
Amrish Puri Birth Anniversary इंडियाना जोन्स एंड द टेम्पल ऑफ डूम 1984 में रिलीज हुई थी जिसे स्टीवन स्पीलबर्ग ने निर्देशित किया था। अमरीश ने फिल्म में एक तांत्रिक का किरदार निभाया था। फिल्म की रिलीज भी बाधित हुई थी वहीं अमरीश पुरी को किरदार के लिए आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था। अब इस फ्रेंचाइजी की पांचवीं फिल्म रिलीज होने वाली है।
नई दिल्ली, जेएनएन। Amrish Puri Birth Anniversary: इंडियाना जोन्स हॉलीवुड की सबसे लम्बी चलने वाली फ्रेंचाइजी फिल्मों में से एक है। इस फ्रेंचाइजी की दूसरी फिल्म 'इंडियाना जोन्स एंड द टेम्पल ऑफ डूम' (Indiana Jones and The Temple Of Doom) में हिंदी सिनेमा के वेटरन एक्टर अमरीश पुरी ने एक खास किरदार निभाया था, मगर इस रोल के लिए मीडिया में उनकी काफी फजीहत हुई थी। उन्हें एंटीनेशनल तक कहा गया था।
22 जून को अमरीश पुरी की 91वीं बर्थ एनिवर्सरी है और संयोग से एक हफ्ते बाद इंडियाना जोन्स सीरीज की पांचवीं और आखिरी फिल्म 'इंडियाना जोन्स एंड द डायल ऑफ डेस्टिनी' 29 जून को सिनेमाघरों में रिलीज हो रही है। इस संयोग ने अमरीश पुरी और टेम्पल ऑफ डूम वाला किस्सा याद दिला दिया है, जिसका जिक्र उन्होंने अपनी ऑटोबायोग्राफी 'द एक्ट ऑफ लाइफ' में भी किया है।
Photo- Film Team
तांत्रिक के किरदार में थे अमरीश पुरी
टेम्पल ऑफ डूम में अमरीश पुरी ने मोला राम का किरदार निभाया था, जो एक तांत्रिक का था। हालांकि, शुरुआत में वो यह किरदार करने के लिए तैयार नहीं थे। फिल्म में जिस तरह से इंडियन कल्चर से जुड़ी चीजों को दिखाया गया था, उसके लिए इसे अस्थायी रूप से भारत में बैन कर दिया था।
मोला राम निभाने के लिए अमरीश पुरी की आलोचना की गयी थी। उन्हें एंटीनेशनल तक कहा गया। रोशन सेठ ने भी फिल्म में एक रोल प्ले किया था। उन्हें भी इन आलोचनाओं से गुजरना पड़ा।
बायोग्राफी में अमरीश ने दिया था जवाब
जॉर्ज लूकस लिखित और स्टीवन स्पीलबर्ग निर्देशित फिल्म के बारे में अमरीश पुरी ने लिखा-
यह स्पीलबर्ग के साथ काम करने का वो मौका था, जो जीवन में एक ही बार मिलता है। मुझे इसका बिल्कुल अफसोस नहीं है। मुझे नहीं लगता कि मैंने कोई एंटीनेशनल काम किया है। इसको गंभीरता से लेना मूर्खता है।
अपने किरदार के बारे में बताते हुए अमरीश ने लिखा-
यह एक प्राचीन कल्ट पर आधारित था, जो भारत में कभी हुआ करता था। इसे काल्पनिक तरीके से दिखाया गया था। अगर आप उन काल्पनिक जगहों को याद करें, मसलन पनकोट पैलेस, शंघाई से शुरू होकर, प्लेन टूटता है और यात्री एक राफ्ट का इस्तेमाल करके, एक पहाड़ी से फिसलते हुए भारत पहुंच जाते हैं।
क्या ऐसा कभी हो सकती है? लेकिन, कल्पनाएं तो कल्पनाएं हैं। जैसे हमारे पंचतंत्र और लोककथाएं। मैं जानता हूं कि हम अपनी सांस्कृतिक पहचान को लेकर संवेदनशील हैं, लेकिन ऐसा तो हम अपनी फिल्मों में भी दिखाते हैं। दिक्कत तब होती है, जब कोई विदेशी निर्देशक ऐसा करता है।
फिल्म में हैरीसन फोर्ड ने टाइटल रोल निभाया था। अमरीश पुरी के साथ बिताये वक्त को याद कर वो कहते हैं-
वो शानदार व्यक्ति थे, बहुत प्यारे शख्स थे। जिस तरह का चरित्र उन्होंने फिल्म में निभाया, वैसे तो बिल्कुल नहीं थे। बहुत सौम्य थे। मैं वाकई उनकी बहुत प्रशंसा करता हूं और उनके साथ काम करने में मजा भी आया। हम लोगों ने साथ में अच्छा वक्त गुजारा था। जब उनका निधन हुआ, मुझे वो याद है।
स्पीलबर्ग ने कहा था- बेस्ट विलेन
टेम्पल ऑफ डूम में अभिनय के लिए स्पीलबर्ग ने अमरीश पुरी को बेस्ट विलेन की संज्ञा दी थी और हाथ से लिखा एक नोट उन्हें भेजा था। इंडियाना जोन्स एंड द टेम्पल ऑफ डूम 1984 में रिलीज हुई थी। यह फ्रेंचाइजी की पहली फिल्म रेडर्स ऑफ द लॉस्ट आर्क का प्रीक्वल थी।
अमरीश पुरी ने अपने करियर में नेगेटिव किरदारों के साथ कैरेक्टर रोल्स में भी खूब तारीफ बटोरी। मिस्टर इंडिया, विश्वात्मा और त्रिदेव जैसी फिल्मों में वो खलनायक बने तो परदेस, दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे जैसी फिल्मों में उनके बाबूजी वाले किरदार खूब लोकप्रिय हुए। अमरीश पुरी का निधन 2005 में 72 साल की उम्र में हो गया था।