Exclusive: बच्चन का 'इलाहाबाद' और बॉलीवुड से 'प्रयाग राज' का सालों पुराना रिश्ता
लगभग 50 साल पहले गंगा किनारे वाला छोरा सिनेमा के रुपहले पर्दे पर कुछ कर गुज़रने का सपना आंखों में लेकर समंदर के इस शहर में पहुंचा था।
मनोज वशिष्ठ, मुंबई। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने हाल ही में 'इलाहाबाद' का नाम बदलकर 'प्रयागराज' कर दिया है। सोशल मीडिया में इस बदलाव पर गदर मचा हुआ है। जो पक्ष में हैं, वो फ़ैसले का स्वागत कर रहे हैं। जो विरोध में हैं, वो फ़ैसले की मज़म्मत कर रहे हैं। इसी अफ़रा-तफ़री के बीच हमने इलाहाबाद और प्रयागराज के साथ मुंबई के रिश्ते को टटोला।
संगम और कुंभ की नगरी इलाहाबाद को मुंबई से जोड़ने वाली सबसे सशक्त कड़ी महानायक अमिताभ बच्चन हैं। लगभग 50 साल पहले गंगा किनारे वाला छोरा सिनेमा के रुपहले पर्दे पर कुछ कर गुज़रने का सपना आंखों में लेकर समंदर के इस शहर में पहुंचा था। कुछ संघर्ष के बाद अमिताभ बच्चन ने अभिनय के एन नये युग की बुनियाद रखी और हिंदी सिनेमा के पर्याय बन गये। डॉन जैसी फ़िल्मों में बच्चन के किरदार और अंदाज़ ने इलाहाबाद का नाम बच्चे-बच्चे की ज़ुबान पर पहुंचा दिया। इलाहाबाद से बाद में चुनाव लड़े और भारी मतों से जीते भी। महाकवि डॉ. हरिवंश राय बच्चन की साहित्यिक विरासत तो अमिताभ बच्चन ने आगे नहीं बढ़ायी, मगर सिनेमा की दुनिया में ऐसा मुक़ाम बनाया है, जिसकी विरासत संभालना किसी के लिए भी आसान ना होगा।
बहरहाल, बहुत कम लोग जानते होंगे कि इलाहाबाद के 'बच्चन' कनेक्शन से कई साल पहले 'प्रयाग राज' ने मुंबई से अपना रिश्ता जोड़ लिया था। प्रयाग राज दरअसल हिंदी सिनेमा के एक जाने-माने लेखक और निर्देशक हैं, जिन्होंने अपना करियर राज कपूर के साथ शुरू किया और अमिताभ बच्चन के साथ कई हिट फ़िल्में कीं। हिंदी के नामचीन कवि राम दास आज़ाद के बेटे प्रयाग राज इलाहाबाद से ही हैं और उनका नाम इसी वजह से प्रयाग राज रखा गया था। प्रयाग राज ने नौ साल की उम्र से पृथ्वी थिएटर में काम करना शुरू कर दिया था। धीरे-धीरे वो थिएटर लेखन और निर्देशन से भी जुड़ते गये। पृथ्वी थिएटर में काम करते-करते प्रयाग राज की शशि कपूर से अच्छी दोस्ती हो गयी, जो उनके हमउम्र थे। थिएटर के साथ प्रयाग राज पढ़ाई भी करते रहे। राज कपूर और शम्मी कपूर के सान्निध्य में प्रयाग राज को थिएटर और सिनेमा की समझ विकसित करने में मदद मिली।
थिएटर कंपनी बंद होने के बाद प्रयाग राज ने राज कपूर को सिनेमा में असिस्ट करना शुरू कर दिया। चौदहवीं का चांद में उन्होंने एम सादिक को असिस्ट किया। राज कपूर की आग और अवारा में उन्होंने अभिनय भी किया था। शशि कपूर के साथ प्रयाग राज ने शेक्सपियरवाला के लिए एक गाना लिखा और कंपोज़ किया था। राजेश खन्ना की फ़िल्म सच्चा झूठा का सहलेखन करने के साथ प्रयाग राज ने इसमें एक रोल भी निभाया। 1972 की फ़िल्म कुंदन के साथ प्रयाग राज निर्देशक बन गये, जिससे शत्रुघ्न सिन्हा ने बतौर हीरो अपनी पारी शुरू की थी। इससे पहले वो अधिकतर नकारात्मक भूमिकाएं ही निभा रहे थे।
प्रयाग राज के करियर की सबसे बड़ी कामयाबी कुली है, जिसे उन्होंने निर्देशित किया था। प्रयाग राज ने मनमोहन देसाई के साथ क्रेडिट शेयर किया था।शशि कपूर के निर्देशन में बनी अमिताभ बच्चन की अजूबा भी प्रयाग राज ने ही लिखी थी। 1985 में आयी गिरफ़्तार का लेखन-निर्देशन प्रयाग राज ने ही किया था। इस फ़िल्म में उन्होंने सिनेमा के तीन दिग्गज अमिताभ बच्चन, कमल हासन और रजनीकांत को डायरेक्ट किया था। इनके अलावा अमिताभ की मर्द और देशप्रेमी की कहानी प्रयाग राज ने ही लिखी थी।