अक्षय कुमार की 'रुस्तम' थी सच्ची घटना पर आधारित, ऐसे शूट हुआ था डाकयार्ड वाला सीन
वर्ष 2016 में रिलीज टीनू सुरेश देसाई निर्देशित फिल्म ‘रुस्तम’ की कहानी सच्ची घटना से प्रेरित थी। अक्षय कुमार इलियाना डिक्रूज ईशा गुप्ता अभिनीत यह फिल्म बाक्स आफिस पर सफल रही थी। फिल्म से जुड़ी यादों को साझा कर रहे हैं टीनू सुरेश देसाई...
मुंबई,स्मिता श्रीवास्तव । वर्ष 2016 में रिलीज टीनू सुरेश देसाई निर्देशित फिल्म ‘रुस्तम’ की कहानी सच्ची घटना से प्रेरित थी। अक्षय कुमार, इलियाना डिक्रूज, ईशा गुप्ता अभिनीत यह फिल्म बाक्स आफिस पर सफल रही थी। फिल्म से जुड़ी यादों को साझा कर रहे हैं टीनू सुरेश देसाई...
फिल्म ‘स्पेशल 26’ में मैं फिल्ममेकर नीरज पांडे के साथ बतौर एसोसिएट डायरेक्टर काम कर रहा था। उसी दौरान उन्होंने कहा कि हम तुम्हें अपने प्रोडक्शन हाउस से लांच करेंगे। मैंने कहा कि फ्राइडे फिल्मवक्र्स के साथ लांच होना बड़ी बात है। इस प्रोडक्शन हाउस ने ‘ए वेडनेसडे’ बनाई थी और ‘स्पेशल 26’ पर तो काम हो ही रहा था। हम कहानी ढूंढ़ने लगे। तब लेखक विपुल के. रावल से मुलाकात हुई। उन्होंने दो-तीन कहानियां साझा कीं। उसमें ‘रुस्तम’ की कहानी थी। उसका शीर्षक उन्होंने ‘साजिश’ रखा था। कहानी मुझे बहुत अच्छी लगी। मैंने नीरज जी को सुनाई। एक सप्ताह में हमने इस विषय पर फिल्म बनाने का फैसला कर लिया। मैंने उनसे कहा कि मैं फिल्म का टाइटल रुस्तम रखना चाहता हूं, क्योंकि हमारे लीड कैरेक्टर का नाम रुस्तम पावरी है। अक्षय सर के घर जाकर नैरेशन दी। उन्होंने भी हां कर दी।
हमारी पीरियड फिल्म थी तो उसका प्री प्रोडक्शन शुरू किया। फिल्म की कहानी नेवी के बैकग्राउंड में है तो हमें डाकयार्ड चाहिए था। हमारे यहां डाकयार्ड पर शूटिंग की अनुमति नहीं मिली। मैं लंदन पहले जा चुका हूं। वहां पर केंट में चैथम हिस्टोरिक डाकयार्ड है। किसी दौर में वह यूनाइटेड किंगडम की नौसेना रायल नेवी का हिस्सा था, पर अब एक म्यूजियम है। वहां उन्होंने पनडुब्बी रखी हुई है। वह पिछली सदी के आठवें दशक की थी जो हमें फिल्म के लिए चाहिए थी। मेरे दिमाग में था कि शूट वहीं पर करूंगा। डाकयार्ड का हिस्सा मैंने वहीं पर शूट किया था। उसके अलावा मुंबई और पुणे में हमने शूट किया था। ज्यादातर हिस्सा हमने मुंबई में ही शूट किया था। हमने 63 दिन में फिल्म की शूटिंग पूरी कर ली थी।
फिल्म में एक दिलचस्प सीन था जिसमें इंस्पेक्टर विसेंट लोबो (पवन मल्होत्रा) पांच-छह लोगों से पूछताछ कर रहे हैं। मैंने उसे वन शाट की तरह कोरियोग्राफ किया था। एक छोटा सा कमरा था। उसमें मैंने कैमरा ऐसे सेट किया
था कि कैमरा एक किरदार से दूसरे किरदार की ओर मूव करता रहेगा। जैसे म्यूजिकल चेयर गेम होता है। कोर्ट रूम ड्रामा के लिए हमने आर के स्टूडियो में सेट लगाया था। उसके लिए मैं और प्रोडक्शन डिजायनर प्रिया सुहास अनुमति लेकर हाई कोर्ट गए थे।
फिल्म के गाने ‘तेरे संग यारा...’ के लिए मुझे विजुअल्स अलग चाहिए थे। गाना जितना सुनने में मधुर था, उतना दिखने में भी सुंदर था। उस गाने में मुलाकात से लेकर शादी तक का जिक्र था। उस दौर की पारसी शादी के लिए मैंने यू ट्यूब पर एक फुटेज देखा था। मैंने अक्षय सर को उसे दिखाया था। गाने को देखकर लगता है कि दोनों एक-दूसरे के लिए बने हैं। पति अपनी पत्नी की इज्जत बचाने की खातिर कितना त्याग करने को तैयार हो गया, यह उस गाने में उनके प्रेम से बयां होता है। वहीं से पूरा ड्रामा शुरू होता है। अक्षय सर तो हैंडसम हैं ही। वर्दी पहनने पर वह अधिकारी ही लगते हैं।
इलियाना भी बहुत खूबसूरत लगी हैं। अर्जन बाजवा, ईशा गुप्ता, कुमुद मिश्रा, सचिन खेडे़कर का अंदाज सभी को लुभाया था। फिल्म में विंटेज कारों का काफी इस्तेमाल हुआ था। सभी कारें पुणे से लाई गई थीं। जिस दिन हमने मुंबई में इसे शूट किया उत्सुक लोगों की भीड़ जमा हो गई थी। हमने फिल्म के लिए उस दौर की दिखने वाली चार टैक्सी भी बनाई थीं। 'रुस्तम’ के लिए मुझे मोस्ट प्रामिसिंग डेब्यू डायरेक्टर का स्टार स्क्रीन अवार्ड, जबकि अक्षय सर को पहली बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का नेशनल अवार्ड मिला था।