जब 14 साल की आयु में बिना टिकट मुंबई आये थे Veeru Devgan, एक सप्ताह रहना पड़ा था जेल में
उनके साथ आए कुछ दोस्त टूटकर अमृतसर वापिस लौट गए लेकिन Veeru Devgan नहीं गएl वह टैक्सियां धोने लगे और कारपेंटर का काम करने लगेl
नई दिल्ली, जेएनएनl फिल्म अभिनेता Ajay Devgn के पिता Veeru Devgan का मुंबई मेंसोमवार को देहांत हो गयाl उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि देने बॉलीवुड के कई लोग पहुंचेl वीरू देवगन के लिए मुंबई की राह सरल नहीं रहीl उन्होंने इस स्तर तक पहुँचने के लिए कड़ी तपस्या की हैl वह कई रातें भूखें रहे हैl जिसके चलते वह बॉलीवुड में आये हर नए व्यक्ति की सहायता करते थेl अनिल कपूर को भी उन्होंने कई बार भूखा पाने पर खाना खिलाया हैl गौरतलब है कि सन 1957 में 14 साल के वीरू देवगन बॉलीवुड में घुसने की चाह लिए अमृतसर में अपने घर से भाग गए, बिना टिकट लिए बंबई जाने के लिए फ्रंटियर मेल पकड़ ली और पकड़ें गये टिकट नहीं लेने के कारण दोस्तों के साथ हफ्ते भर जेल में रहे थेl
बाहर निकलने पर बंबई शहर और भूख ने उनको तोड़ दिया थाl जहां उनके साथ आए कुछ दोस्त टूटकर अमृतसर वापिस लौट गए लेकिन वीरू देवगन नहीं गएl वह टैक्सियां धोने लगे और कारपेंटर का काम करने लगे, हौसला लौटने पर फिल्म स्टूडियोज़ के चक्कर काटने लगेl उन्हें हीरो बनना था लेकिन उन्हें जल्द ही समझ आ गया कि हिंदी फिल्मों में जो चॉकलेटी चेहरे हीरो और अभिनेता बने हुए हैं, उनके सामने उनका कोई चांस नहीं हैl वीरू देवगन ने अपने बेटे अजय देवगन को हीरो बनाने के लिए बहुत कड़ी मेहनत की हैl उन्हें कम उम्र से ही फिल्ममेकिंग, और एक्शन से जोड़ाl ये सब अजय के हाथों ही करवाते थेl
कॉलेज गए तो उनके लिए डांस क्लासेज शुरू करवाईं गईl घर में ही जिम बनावाया गयाl हॉर्स राइडिंग सिखाया और फिर उन्हें अपनी फिल्मों की एक्शन टीम का हिस्सा बनाने लगेl उन्हें बताने लगे कि सेट का माहौल कैसा होता हैl जिसके चलते आज अजय फिल्ममेकिंग को लेकर बहुत सक्षम हो पाए हैl उन्होंने Inkaar (1977), Mr. Natwarlal (1979), Kranti (1981), Himmatwala (1983), Shahenshah (1988), Tridev (1989), Baap Numbri Beta Dus Numbri (1990), Phool Aur Kaante (1991) जैसी फिल्मों में एक्शन निर्देशन किया थाl
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।