एक हादसे से छीन ली थी 'मंथरा' की खूबसूरती, बर्बाद हो गया था करियर, जानें पूरी कहानी
ललिता पवार ने बाल कलाकार एक मूक फिल्म में काम किया था। इस फिल्म का नाम था पतित उद्धार। इस मूवी के लिए उन्हें महज 18 रुपये की मासिक सैलरी मिला करती थी।
नई दिल्ली, जेएनएन। लॉकडाउन की वजह से आज हर काई अपने घरों में कैद है। ऐसे में उनके मनोरंजन के लिए कई पुराने टीवी सीरियल को एक बार फिर शुरू किया गया है। जो एक बार फिर से लोगों की पुरानी यादों को ताजा कर रहा है। लेकिन सबसे ज्यादा पसंद किया जा रहा है रामानंद सागर का सीरियल 'रामायण'।
टीआरपी की बात करें तो 'रामायण' ने अबतक का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। यूं तो 'रामायण' के सभी किरदार जरूरी हैं, लेकिन इसमें एक ऐसा किरदार है अगर वो न होता तो राम कभी 14 साल के लिए वनवास जाते ही नहीं। आप समझ गए होंगे हम किसकी बात कर रहे हैं। जी हां हम बात कर रहे हैं एक्ट्रेस ललिता पवार की। आज हम आपको ललिता पवार के बारे में कई दिलचस्प बातें बताने जा रहे हैं।
कई टीवी सीरियल और फिल्मों में काम करने वाली एक्ट्रसे ललिता पवार का जन्म 18 अप्रेल, 1916 को नासिक में एक धनी व्यापारी लक्ष्मणराव सगुन के घर में हुआ था। ललिता को आज भी घर-घर में 'रामायण' की मंथरा के तौर पर जाना है। वह अपने जमाने में सबसे ज्यादा फीस लेने वाली एक्ट्रेस थीं।
ललिता पवार ने अपने जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखें हैं। उन्होंने बतौर बाल कलाकार एक मूक फिल्म में काम किया था। इस फिल्म का नाम था 'पतित उद्धार'। इस मूवी के लिए उन्हें महज 18 रुपये की मासिक सैलरी मिला करती थी। वहीं साल 1942 में आई फिल्म 'जंग-ए-आजादी' के सेट पर एक सीन की शूटिंग के दौरान हादसे में उनकी आंख में चोट लग गई थी। इससे उनका हीरोइन बनने का सपना हमेशा के लिए टूट गया।
दरअसल, 80 के दशक के फेमस एक्टर भगवान दादा को इस सीन में ललिता पवार को एक थप्पड़ मारना था। लेकिन उन्होंने ललित को इतनी जोर से थप्पड़ मारा कि वह जमीन पर गिर गईं। वहीं उनके कान से खून बहने लगा था। इसके बाद इलाज के दौरान गलत दवा के चलते उनके शरीर के दाहिने भाग को लकवा मार गया। वहीं उनकी दाहिनी आंख सिकुड़ गई और उनकी सूरत हमेशा के लिए बिगड़ गई। इसके बाद ही वह वैम्प के रोल करने लगी थीं।