10th Jagran Film Festival: विदेशी फिल्ममेकर्स ने सिनेमा में महिलाओं की भूमिका पर की बात
10th Jagran Film Festival खास आकर्षण अक्षय कुमार अभिनीत फिल्म गोल्ड की स्क्रीनिंग रही। उसे देखने के लिए दर्शकों का हुजूम उमड़ पड़ा।
यशा माथुर, नई दिल्ली। फिल्म फेस्टिवल का दूसरा दिन फिल्म स्क्रीनिंग, फिल्मकारों से चर्चा समेत मास्टर क्लास से गुलजार रहा। फेस्टिवल का आगाज अपर्णा सेन की राजीव मसंद संग बातचीत से हुआ। अपर्णा की फिल्मा बांग्ला फिल्म घरे बायरे आज का फेस्टिवल में गुरुवार को प्रीमियर हुआ था। बातचीत के दौरान उन्होंंने अपने फिल्मी करियर पर भी बातचीत की।
खास आकर्षण अक्षय कुमार अभिनीत फिल्म गोल्ड की स्क्रीनिंग रही। उसे देखने के लिए दर्शकों का हुजूम उमड़ पड़ा। उसके अलावा बांग्लाे फिल्म द टू लवर्स, मराठी फिल्म इमागो का इंडियन प्रीमियर हुआ। उसे दर्शकों ने खूब पसंद किया। जागरण फिल्म फेस्टिवल में पहली बार मधुमिता सुंदररमन की तमिल फिल्म केडी की भी स्क्रीनिंग हुई। स्क्रीनिंग के बाद मधुमिता दर्शकों से भी मुखातिब हुई।
केडी की कहानी एक 80 साल के बुजुर्ग और आठ साल के बच्चे के इर्दगिर्द बुनी गई है। फेस्टिवल के बारे में उन्होंने कहा कि जेएफएफ भाषाई दीवार गिराती है। अरेबिक फिल्म मस्क की अभिनेत्री मनाहिल-अल-अवधी भी फेस्टिवल के दूसरे दिन दर्शकों से रूबरू हुई। उन्होंने जेएफएफ में फिल्म मस्क के प्रदर्शन को लेकर बातचीत की।
दूसरे दिन दर्शकों आकर्षण का केंद्र बनी ईरान की पहली महिला फिल्म डायरेक्टर पोरान डेरॉखसांडे की जेएफएफ क्यूरेटर उदिता झुनझुनवाला बातचीत। पोरान ने कहा कि ईरान में शिक्षा के क्षेत्र में महिलाएं काफी जागरूक है। उन्होंने यह भी बताया कि अंडर द स्मो की रुफ फिल्म में उनकी बेटी ने भी अभिनय किया है।
पोरान ने कहा कि सिनेमा एक पावरफुल मीडियम है और समाज पर काफी प्रभाव डालता है। यह फन या मनोरंजन मात्र नहीं है। यह अलग-अलग विश्वास के लोगों को साथ लेकर आता है। दिलों को नजदीक लाता है। मैं अर्थपूर्ण सिनेमा में विश्वास रखती हूं और विषयों को जीती हूं।
अपनी फिल्मों, विषयों, ईरान में फिल्म बनाने की परिस्थितियों पर पोरान ने विस्तार से चर्चा की। ईरान में सोशल मुद्दों पर फिल्म बना रही पोरान इंकलाब मूवमेंट के बाद ईरान की पहली महिला डायरेक्टर हैं। महिलाओं की बात को अपनी फिल्म के माध्यम से कहने वाली पोरान का कहना था कि महिलाएं समाज की धुरी हैं। उनका शिक्षित और प्रशिक्षित होना आवश्यक है।
उन्होंने बताया कि मैं चाहती हूं कि महिलाएं खुद की महत्ता को समझें। खुद पर विश्वास करें और अपने मिशन को पूरा करें। पोरान को अपनी चर्चित फिल्म ‘हुश! गर्ल्स डोंट स्क्रीम’ का आइडिया निर्भया कांड से मिला था। उस समय वे मुंबई में थीं। इसके लिए उन्हें कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं। पोरान ईरानी सिनेमा के लोकप्रिय होने के पीछे का कारण ईरानी सिनेमा के रियलिस्टिक होने को बताती हैं। वे कहती हैं कि ईरानी सिनेमा बहुत ही शोतिपूर्ण तरीके से अंत की ओर जाता है। वे कहती हैं कि फिल्म बनाने के लिए आपको विषयों को जीना होता है। वे अपनी फिल्मों को भारत और अन्य देशों में सराहे जाने का शुक्रिया अदा करती हैं और जागरण फिल्म फेस्टिवल में इंटरनेशनल रेट्रोस्पेक्टिव सेशन में उनकी फिल्मों को रखे जाने पर बेहद प्रसन्न्ता जाहिर करती हैं।