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    फिल्म देखने के पैसे दिए हैं, विज्ञापन के लिए नहीं; कोर्ट ने कहा- सिनेमाघर में लोगों को एड देखने को किया जाता है मजबूर

    Updated: Sun, 02 Mar 2025 06:31 AM (IST)

    सिनेमाघरों में फिल्म देखने के दौरान जबरन विज्ञापन दिखाने के मामले में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने केंद्र सरकार को नियमों में बदलाव के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने कहा है कि हर टिकट पर फिल्म के शो का समय स्पष्ट रूप से अंकित होना चाहिए। विज्ञापन दिखाए जा सकते हैं लेकिन दर्शकों को उन्हें देखने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए।

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    सिनेमाघर में लोगों को एड देखने को किया जाता है मजबूर (सांकेतिक तस्वीर)

    एंटरटेनमेंट ब्यूरो, मुंबई। सिनेमाघरों में फिल्म देखने के दौरान जबरन विज्ञापन दिखाने के मामले में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने केंद्र सरकार को नियमों में बदलाव के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने कहा है कि हर टिकट पर फिल्म के शो का समय स्पष्ट रूप से अंकित होना चाहिए। विज्ञापन दिखाए जा सकते हैं, लेकिन दर्शकों को उन्हें देखने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए।

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    दर्शक सिनेमाघरों में फिल्म देखने जाते हैं, विज्ञापन देखने नहीं

    ऐसा ही मामला वर्ष 2023 में बेंगलुरु में भी सामने आया था। जब एक व्यक्ति ने 2023 में अत्यधिक विज्ञापन दिखाए जाने के बाद पीवीआर आईनाक्स पर केस किया था। जिला ग्राहक कोर्ट ने पीवीआर आईनॉक्स पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया था। अब मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के निर्देश के बाद बदलाव की उम्मीद सिनेमा जगत से जुड़ लोगों को भी है।

    फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष फिरदौसुल हसन ने कहा, ''दर्शक सिनेमाघरों में फिल्म देखने जाते हैं, विज्ञापन देखने नहीं। विज्ञापनों के लिए एक तय समय सीमा होनी चाहिए। हम कोर्ट के निर्देश का समर्थन करते हैं और मांग करते हैं कि विज्ञापन से मिलने वाले पैसों में कुछ हिस्सा निर्माताओं को भी मिलना चाहिए।''

    सिनेमाघर मालिकों के लिए भी विज्ञापन जरूरी

    टिकट पर सही समय अंकित होनिर्माता अतुल कासबेकर ने कहा कि टिकट पर वही समय होना चाहिए, जिस समय फिल्म शुरू हो रही है। इससे दर्शकों को सुविधा होगी कि कब फिल्म का शो शुरू होगा। हालांकि, सिनेमाघर मालिकों के लिए भी विज्ञापन जरूरी हैं। अगर दर्शकों के पास समय नहीं है और उन्हें केवल फिल्म देखनी है, तो सही समय पता होने पर वे उसी समय पहुंच जाएंगे।

    फिल्म 'थलाइवी' के निर्माता शैलेंद्र सिंह ने कहा, ''विज्ञापन कई वर्षों से दिखाए जाते रहे हैं। निर्माता भी चाहते हैं कि उनकी फिल्म का ट्रेलर चले। टिकट पर सही समय डालें कि फिल्म इतने बजे शुरू होगी और इतने मिनट का ट्रेलर चलेगा। इससे दर्शकों को सहूलियत होगी।''

    शुरुआत में 20-25 मिनट का विज्ञापन दिखाया ठीक नहीं

    दक्षिण भारतीय फिल्म निर्माता और डिस्ट्रीब्यूटर जी धनंजयन ने कहा, ''इंटरवल के दौरान 10-12 मिनट का विज्ञापन ठीक है, लेकिन शुरुआत में 20-25 मिनट का विज्ञापन दिखाया जा रहा था। इससे दर्शकों के धैर्य की परीक्षा हो रही है। तमिलनाडु में फिल्म टिकटों पर लिखे समय पर शुरू होती है। 90 प्रतिशत लोग सही समय पर फिल्म देखने आते हैं, क्योंकि उन्होंने पैसे फिल्म के लिए दिए हैं, विज्ञापन के लिए नहीं।''

    विज्ञापन बन चुका है मुख्य व्यवसाय

    फिल्म गदर और गदर 2 के निर्देशक अनिल शर्मा बताते हैं कि सिनेमाघरों में दिखाया जाने वाला 20-22 मिनट का विज्ञापन ही सिनेमाघर मालिकों का मुख्य बिजनेस बन गया है। अगर यहां से हटेंगे तो टिकटों की कीमत पर प्रभाव पड़ेगा। दर्शक के लिहाज से कहें तो विज्ञापन देखकर मूड खराब हो जाता है। अगर फिल्म समय पर शुरू हो और उससे पहले कुछ और देखने को न मिले तो यह बेहतर होगा।