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जब राहुल गांधी की टीम में रही इस महिला नेता ने किया करिश्मा, चौंक गए थे मालवा के 'गांधी', भाजपा में भी खूब हुई थी चर्चा

मंदसौर लोकसभा सीट पर डॉ. लक्ष्मीनारायण पांडेय का दबदबा था। वे आठ बार यहां से सांसद रह चुके थे। छह बार लगातार उन्होंने जीत दर्ज की थी। कांग्रेस को हर बार उनके सामने हार का सामना करना पड़ता था। अंत में पार्टी ने एक महिला नेता पर भरोसा जताया और पांडेय के खिलाफ मंदसौर के चुनावी मैदान में उतारा। आगे जो हुआ उससे हर कोई हैरत में पड़ गया था।

By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Published: Fri, 29 Mar 2024 04:56 PM (IST)Updated: Fri, 29 Mar 2024 04:56 PM (IST)
जब राहुल गांधी की टीम में रही इस महिला नेता ने किया करिश्मा, चौंक गए थे मालवा के 'गांधी', भाजपा में भी खूब हुई थी चर्चा
जब मीनाक्षी नटराजन ने रोका था मालवा के 'गांधी' डॉ. लक्ष्मीनारायण पांडेय का विजय रथ।

जेएनएन, मंदसौर। चुनावी किस्से में आज कहानी उस महिला प्रत्याशी की, जो राहुल गांधी की टीम में शामिल रही, उसे खास मकसद से मध्य प्रदेश भेजा गया गया। उस महिला प्रत्याशी ने ऐसी चुनावी बिसात बिछाई कि उसकी चर्चा न केवल कांग्रेस बल्कि भाजपा खेमे में भी होने लगी। कांग्रेस की इस महिला नेता का नाम मीनाक्षी नटराजन है।

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जब मीनाक्षी से हुआ मालवा के 'गांधी' का सामना

मध्य प्रदेश की मंदसौर सीट पर 1989 से 2004 तक भाजपा का कब्जा रहा। यहां से डॉ. लक्ष्मीनारायण पांडेय लगातार चुनाव जीते। लक्ष्मीनारायण पांडेय की पहचान मालवा के गांधी के रूप में होती है। कांग्रेस ने कई दिग्गजों को लक्ष्मीनारायण पांडेय के खिलाफ चुनावी समर में उतारा लेकिन सभी को मुंह की खानी पड़ी थी। लगातार हार से परेशान कांग्रेस नेताओं ने अपनी रणनीति बदली और राहुल गांधी की टीम में शामिल मीनाक्षी नटराजन को 2009 के लोकसभा चुनाव में मंदसौर से प्रत्याशी घोषित किया।

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30,819 मतों से किया था पराजित

इस सीट से लक्ष्मीनारायण पांडेय आठ बार चुनाव जीत चुके थे। वहीं उनके खिलाफ मीनाक्षी नटराजन पहली बार मैदान में थीं। उस समय किसी को यह नहीं लग रहा था कि मीनाक्षी बड़ा उलटफेर कर सकती हैं। मगर जब चुनाव परिणाम की घोषणा हुई तो सभी हैरान रह गए। मीनाक्षी ने अपने पहले चुनाव में डॉ. लक्ष्मीनारायण पांडेय को 30,819 मतों से शिकस्त दे चुकी थीं। कांग्रेस को इस चुनाव में सर्वाधिक 45 फीसदी मत मिले थे।

दिल्ली तक पहुंची थी जीत की गूंज

मीनाक्षी से हारने के बाद भाजपा ने लक्ष्मीनारायण पांडेय को कभी उम्मीदवार नहीं बनाया। 2009 का लोकसभा चुनाव पांडेय का आखिरी चुनाव था। उधर, मीनाक्षी की जीत की गूंज दिल्ली तक पहुंच चुकी थी। बताते हैं कि लोकसभा में मीनाक्षी से मिलने भाजपा के बड़े नेता भी आते थे। वे इस बात से हैरान थे कि मीनाक्षी ने दिग्गज नेता लक्ष्मीनारायण पांडेय को कैसे मात दी।

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