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    उत्तराखंड एसेंबली इलेक्शनः भाजपा की सिर फुटव्वल से कांग्रेस को आस

    By BhanuEdited By:
    Updated: Thu, 19 Jan 2017 09:17 PM (IST)

    उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2017 के लिए भाजपा ने 13 सीटों पर कांग्रेस के बागियों को टिकट दे कांग्रेस के लिए चुनौती खड़ी की है।

    उत्तराखंड एसेंबली इलेक्शनः भाजपा की सिर फुटव्वल से कांग्रेस को आस

    देहरादून, [अनिल उपाध्याय]: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2017 के लिए भाजपा ने 13 सीटों पर कांग्रेस के बागियों को टिकट दे कांग्रेस के लिए चुनौती खड़ी की है। अभी छह सीटों में से एक-दो सीटों पर और कांग्रेसी बागियों को टिकट दिए जाने संभावना है।

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    भाजपा जहां इसे कांग्रेस के लिए चुनौती के रूप में पेश कर रही है, वहीं कांग्रेस इन सीटों पर भाजपा के कार्यकर्ताओं में पनपे असंतोष को कैश करने पर फोकस कर रही है। कांग्रेस रणनीति के तहत फिलहाल इन और ऐसी तमाम सीटों पर जहां भाजपा में सिर फुटव्वल की नौबत आ रही है, नजर रखे हुए है। इसकी झलक कांग्र्रेस के टिकट वितरण में भी नजर आ सकती है।

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    भाजपा ने कांग्रेसमुक्त उत्तराखंड के दावे के साथ यह दांव तो चल दिया, लेकिन अब यह भाजपा के लिए भी परेशानी बन सकता है। कम से कम कांग्र्रेस की कोशिश तो यही है। भाजपा के भीतर शुरू हुई बगावत की जंग कांग्रेस के लिए अच्छा मौका बन सकती है।

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    प्रदेश की करीब 20 सीटों पर भाजपा के असंतुष्टों ने चुनाव में उतरने की मंशा साफ कर दी है। टिकट न मिलने से खफा भाजपा के वरिष्ठ नेताओं पर अब कांग्रेस की नजर है। यही कारण है कि अभी तक कांग्रेस टिकट तय नहीं कर पा रही है।

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    कांग्रेस के तमाम रणनीतिकार और वरिष्ठ नेता इन असंतुष्टों के साथ संपर्क में बताए जा रहे है। अगर कांग्र्रेस इस रणनीति पर सफल हुई तो बड़ी बात नहीं है कि इस विधानसभा चुनाव में कांग्र्रेस के निशान पर चुनाव लड़े वाले भाजपाई और भाजपा के निशान पर चुनाव मैदान में उतरे कांग्र्रेसियों के बीच रोचक मुकाबला होगा।

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    मौजूदा हालात पर गौर करें तो पुरोला से पूर्व विधायक राजकुमार ने मैदान में उतरने की घोषणा कर दी। कोटद्वार में असंतुष्ट पूर्व विधायक शैलेंद्र रावत, पौड़ी सुरक्षित सीट पर पूर्व विधायक बृजमोहन कोटवाल, केदारनाथ से पूर्व विधायक आशा नौटियाल, नरेंद्रनगर से पूर्व विधायक ओमगोपाल रावत भी चुनाव लड़ने का एलान कर चुके हैं।

    इनके साथ ही रुद्रप्रयाग सीट पर पूर्व मंत्री मातबर सिंह कंडारी, रुड़की से पूर्व विधायक सुरेशचंद जैन, अल्मोड़ा से पूर्व विधायक कैलाश शर्मा, बागेश्वर से भूपेश उपाध्याय भी सियासी जंग में अपनी ताकत दिखाने की मंशा जता चुके हैं। इनके अलावा भी तमाम असंतुष्ट हैं, जो अभी इंतजार में है कि पार्टी क्या फैसला करती है।

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    इन सभी असंतुष्टों पर अब कांग्रेस की नजर है। इनमें से कुछ की कांग्रेस के साथ बैठकें भी हो चुकी हैं। फिलहाल कांग्रेस का फोकस केवल इन सीटों पर है, जहां भाजपा में सिर फुटव्वल चल रही है। इन सीटों पर कैसे प्रत्याशी उतारे जाएं और भाजपा के मजबूत दावेदारों को कैसे अपनी ओर खींचा जाए, इसे लेकर अंदरखाने मशक्कत भी हो रही है।

    चुनाव के इतने नजदीक होने के बावजूद कांग्रेस इस वक्त अपनी उपलब्धियां गिनाने को भी पीछे धकेलती दिख रही है। तमाम मंचों पर यही चर्चा है कि किस सीट पर कांग्रेस किस चेहरे पर दांव खेलेगी।

    हालांकि, यह सिक्के का एक पहलू है। भाजपा की तर्ज पर सीटें बांटने में भाजपा के बागियों को तरजीह देने के बाद कांग्रेस को भी ऐसी सिर फुटव्वल और भितरघात का सामना करना पड़ सकता है। खास बात यह है कि कांग्रेस के पास असंतुष्टों का मनाने का ज्यादा वक्त भी नहीं होगा। कुल मिलाकर आने वाले दो दिन में राज्य के सियासी माहौल को कई रंग देखने को मिल सकते हैं।

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