उत्तर प्रदेश चुनाव: राजा और रानी का जाना समाजवादी पार्टी के लिए बड़ा नुकसान
बाह इलाके के लोग आज भी अरिदमन सिंह को महाराजा भदावर और राजा कहकर संबोधित करते हैं। ऐसे में अगर वह बाह सीट पर इस बार भी चुनाव लड़ते हैं, तो उनका जीतना लगभग तय है।
नई दिल्ली, जेएनएन। संकट के दौर से गुजर रही समाजवादी पार्टी के लिए इन दिनों कुछ भी अच्छा होता दिखाई नहीं दे रहा है। हालांकि चुनाव आयोग ने 'साइकिल' विवाद पर विराम लगाकर इसे अखिलेश यादव के हवाले कर दिया है। लेकिन इस पूरे विवाद के दौरान पार्टी को खासा नुकसान बी झेलना पड़ा है।
अपनी सीट पर जीत की गारंटी माने जाने वाले 'राजा' अरिदमन सिंह और 'रानी' पक्षालिका सिंह ने सपा का साथ छोड़ दिया। वे भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए हैं। अरिदमन सिंह बाह से विधायक हैं और अब तक छह बार इस सीट से जीत दर्ज कर चुके हैं। उधर पक्षालिका खेरागढ़ से चुनाव लड़ती रही हैं, हालांकि पिछला चुनाव वह हार गई थीं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राजा और रानी के पार्टी छोड़ने से सपा को काफी नुकसान झेलना पड़ सकता है।
समाजवादी पार्टी के हाथ से गई बाह ही सीट...!
आगरा में जन्मे राजा महेंद्र अरिदमन सिंह प्रदेश के बाहुबली नेताओं में गिने जाते रहे हैं। भदावर राज्य का राजा होने के नाते उनके प्रति जनता में अलग ही सम्मान है। बाह इलाके के लोग आज भी उन्हें महाराजा भदावर और राजा कहकर संबोधित करते हैं। ऐसे में अगर वह बाह सीट पर इस बार भी चुनाव लड़ते हैं, तो उनका विधानसभा चुनाव में जीतना लगभग तय है।
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बता दें कि अरिदमन पार्टी बदलते रहे हैं। वह भाजपा, जनता दल और सपा में शामिल हो चुके हैं। पार्टी कोई भी हो, उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि जनता उनके नाम पर वोट देती है, पार्टी देखकर नहीं। महेंद्र अरिदमन ने 1989, 1991 और 1993 में जनता दल व 1996, 2002 भाजपा उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीता। साल 2012 के चुनाव में महेंद्र अरिद्मन सिंह ने सपा की टिकट पर यहां से चुनाव में जीत दर्ज की। इसलिए सपा के हाथ से इस बार बाह सीट निकलकर भाजपा की झोली में आनी तय मानी जा रही है।
कई विधानसभा क्षेत्रों पर है महेंद्र अरिदमन का प्रभाव
महेंद्र अरिदमन को लोग आजतक राजा की तरह सम्मान देते हैं, इसलिए आगरा के काफी बड़े क्षेत्र पर उनका प्रभाव देखने को मिलता है। वह कई विधानसभा सीटों के नतीजों पर प्रभाव डाल सकते हैं। इसलिए राजा के जाने से सपा ने सिर्फ बाह की सीट ही नहीं गंवाई है, बल्कि इसके आसपास की कई विधानसभा सीटों पर भी सपा को कड़ी टक्कर झेलनी पड़ सकती है। इसका सीधा फायदा भारतीय जनता पार्टी को होता नजर आ रहा है।
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रानी पक्षालिका का पक्ष भी है मजबूत
पिछले विधानसभा चुनाव में रानी पक्षालिका बहुत कम वोटों के अंतर से खेरागढ़ सीट हार गई थीं। सूत्रों की मानें तो भाजपा इस बार भी उन्हें खेरागढ़ सीट से चुनावी दंगल में उतारने की तैयारी कर रही थी। लेकिन महेंद्र अरिदमन ने यह मांग कर पक्षालिका का पक्ष मजबूत कर दिया कि उन्हें बाह से टिकट दिया जाए। भाजपा अब इस दुविधा में है कि पक्षालिका को बाह से टिकट दिया जाए कि नहीं? इसमें कोई दो राय नहीं है कि पक्षालिका भी एक दमदार उम्मीदवार हैं। भाजपा को रानी पक्षालिका के आने से फायदा ही होगा।
बेदाग छवि का मिलेगा फायदा
'राजा' अरिदमन सिंह और 'रानी' पक्षालिका सिंह की बेदाग छवि अगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा को फायदा पहुंचा सकती है। शायद यही वजह थी कि आगामी चुनाव के लिए मुलायम व अखिलेश, दोनों गुटों ने अरिदमन को प्रत्याशी बना रखा था। उनकी पत्नी पक्षालिका सिंह भी दोनों की सूचियों में खेरागढ़ से प्रत्याशी थीं।
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