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    इतिहास के झरोखे से: पता नहीं मंच पर खड़ा हूं या मचान पर- अटल बिहारी वाजपेयी

    By Sanjay PokhriyalEdited By:
    Updated: Thu, 03 Feb 2022 01:14 PM (IST)

    अटल जी जब बजरिया फील्ड पर पहुंचे तो मंच की काफी ऊंचाई देखी। वह मंच पर चढ़े। संबोधन की शुरुआत ही इस अनोखे मंच की चर्चा के साथ की। उस चुनाव में ब्रह्मदत्त द्विवेदी ने जीत हासिल की थी।

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    पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी अपनी मजाकिया अंदाज में

    विजय प्रताप सिंह, फरुखाबाद। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी अपनी हाजिर जवाबी और मजाकिया अंदाज में गंभीर बात कहने की खूबी से हर किसी का दिल जीत लेते थे। 1991 में ऐसे ही एक वाकये को उस दौर के साक्षी लोग आज भी यादों में संजोए हैं।

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    तब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी भाजपा प्रत्याशी ब्रह्मदत्त द्विवेदी के समर्थन में आयोजित जनसभा को संबोधित करने आए थे। मंच काफी ऊंचा बना था तो पहले इस पर ही चुटकी ली। बोले, मुङो नहीं पता कि मैं मंच पर खड़ा हूं या मचान पर। उनका इतना कहना था कि मैदान में भीड़ के बीच ठहाकों के साथ तालियां गूंज गई। दरअसल, अटल बिहारी वाजपेयी जी के कार्यक्रम की अचानक सूचना पर आननफानन में एक ट्रक को खड़वा कर उसे मंच का रूप दे दिया गया था।

    उस वक्त मंच की व्यवस्था संभालने वाले सुधांशु दत्त द्विवेदी बताते हैं कि तब भाजपा के पास कोई फंड नहीं होता था। आपस में मिलकर ही व्यवस्थाएं की जाती थीं। तब सूचना तंत्र भी इतना विकसित नहीं था। अचानक टेलीफोन पर अटल जी के आने की सूचना आई। आनन-फानन शहर की बजरिया फील्ड में उनकी जनसभा आयोजित की गई। जनसभा स्थल की व्यवस्था संभालने के लिए बागीश अग्निहोत्री, असलम कुरैशी आदि की भी जिम्मेदारी थी।

    मंच बनाने के लिए जब कुछ नहीं सूझा तो उन्होंने एक ट्रक खड़ा करवाकर उसे मंच का रूप दे दिया। तब तक रात हो चुकी थी। अटल जी जब बजरिया फील्ड पर पहुंचे तो मंच की काफी ऊंचाई देखी। वह मंच पर चढ़े। संबोधन की शुरुआत ही इस अनोखे मंच की चर्चा के साथ की। उस चुनाव में ब्रह्मदत्त द्विवेदी ने जीत हासिल की थी।

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