यूपी विधानसभा चुनाव : भारतीय किसान यूनियन चुप और खाप खामोश
उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भाकियू ने सभी राजनीतिक दलों से किनारा कर लिया है। भारतीय किसान यूनियन ने किसी भी सियासी दल के प्रति अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है।
लखनऊ (जेएनएन)। भारतीय किसान यूनियन की छवि अराजनीतिक भले ही हो, लेकिन उसके हुक्के की गुडग़ुड़ाहट चुनावी फिजाओं में तपिश घोलती रही है। देश तथा प्रदेश में किसी जमाने में तत्कालीन भाकियू सुप्रीमो बाबा महेंद्र सिंह टिकैत का हल्का सा इशारा चुनाव की दिशा बदलने के लिए काफी होता था। बाबा के पैनी की ठोड़ वाले जुमले से हाकिमों की कंपकपी छूट जाती थी। दूसरी ओर इस बार इस बार खाप चौधरी भी खामोश हैं।
मौजूदा विधानसभा चुनाव में भारतीय किसान यूनियन ने किसी भी सियासी दल के प्रति अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है। भाकियू सुप्रीमो नरेश टिकैत किसानों की समस्याओं को लेकर सियासी दलों से बेहद खफा नजर आ रहे हैं। उन्होंने किसानों से अपने विवेक का इस्तेमाल कर वोट देने की सलाह दी है। उधर, अपने विवादित फरमानों के लिए सुर्खियों में रहने वाले खाप चौधरी भी किसी सियासी दल के साथ खड़े नजर नहीं आ रहे हैं।
यूपी चुनाव 2017: उत्तर प्रदेश में भाजपा के स्टार प्रचारक आज से दिखाएंगे दम
ऐसा था भाकियू का स्वरूप
वर्ष 1987 के करमूखेड़ी (शामली) के बिजलीघर के आंदोलन से भाकियू अस्तित्व में आया। इसके बाद मेरठ में कमिश्नरी पर करीब एक माह तक आंदोलन चला था। कई आंदोलनों के जरिए भाकियू ने पूरे देश में अपनी खास पहचान और धमक बनाई। भाकियू मुखिया चौ. महेंद्र सिंह टिकैत के जमाने में संगठन में कोई जाति-बिरादरी, धर्म-सम्प्रदाय, छोटा-बड़ा का भेदभाव नहीं था।
सियासी जोर आजमाइश भी
अराजनीतिक संगठन होने के बाद भी भाकियू की आस्था कई राजनीतिक दलों के साथ जुड़ती और टूटती रही। कई बार चुनावी अखाड़े में जोर आजमाइश भी की लेकिन, सियासत के एतबार से भाकियू की जमीन बंजर ही साबित हुई। वर्ष 1996 में भाकियू ने भारतीय किसान कामगार पार्टी (भाकिकापा) बनाई। भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने वर्ष 2007 में भारतीय किसान दल से खतौली विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा। वह अपनी जमानत भी नहीं बचा सके। बाद में भाकियू ने भाकिकापा से नाता तोड़ लिया और अराजनीतिक रूप में ही संगठन को चलाना बेहतर समझा। वर्ष 2013 में जिले में साम्प्रदायिक दंगा हुआ। दंगे के बाद वर्ष 2014 में राकेश टिकैत ने रालोद के सिंबल पर अमरोहा संसदीय सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन यहां भी वह चौथे नंबर पर रहे। इससे भाकियू की साख को बट्टा लगना शुरू हो गया।
यह भी पढ़ें: गरीब व किसान की दुआएं ही मेरी सच्ची कमाई : वरुण गांधी
बाबा की सलाह पर बदलते रहे चुनावी समीकरण
नब्बे के दशक में टिकैत ने किसानों से राम और ओम का नाम लेकर आत्मा की आवाज पर वोट देने की सलाह दी थी। उनके इस इशारे से भाजपा की चुनावी फसल लहलहा गई थी। इसके बाद रालोद अध्यक्ष चौधरी अजित ङ्क्षसह के प्रति भाकियू का नरम रुख रहा।
सियासी दिग्गज देते रहे हाजिरी
प्रदेश के मुख्यमंत्रियों से लेकर राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर के सियासी दिग्गज भाकियू सुप्रीमो बाबा महेंद्र सिंह टिकैत का आशीर्वाद लेने सिसौली में हाजिरी लगाते रहे हैं। बाबा का कई सियासी नेताओं के प्रति नरम रुख भी रहा। इसका नेताओं को चुनाव में भी लाभ मिला।
यह भी पढ़ें:विधानसभा चुनाव के दौरान समाजवादी पार्टी में बगावत का बवंडर
सीएम को पिलाया था करवे से पानी
एक बार तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरबहादुर सिंह बाबा का आशीर्वाद लेने सिसौली आए। भरी गर्मी में सिसौली के मैदान में सभा आयोजित की गई। इस दौरान प्यास लगने पर भाकियू सुप्रीमो ने वीरबहादुर सिंह के आगे करवा रख दिया था। मुख्यमंत्री ने करवे से ही पानी पिया।
इस चुनाव में किया किनारा
उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भाकियू ने सभी राजनीतिक दलों से किनारा कर लिया है। सिसौली स्थित किसान भवन से किसानों को अपने विवेक का इस्तेमाल कर वोट का इस्तेमाल करने की सलाह दी गई है। साथ ही भाकियू से जुड़े कार्यकर्ताओं को किसी भी दल के प्रत्याशी के पक्ष में चुनाव प्रचार न करने का निर्देश जारी किया गया है।
यह भी पढ़ें: अमेरिका की तर्ज पर यूपी में भी चुनाव प्रचार, अखिलेश यादव ने किया प्रयोग
कोई भी सियासी दल किसानों का हमदर्द नहीं : नरेश टिकैत
भारतीय किसान यूनियन के सुप्रीमो नरेश टिकैत मौजूदा सियासत और सियासतदानों से खफा नजर आ रहे हैं। उन्होंने शिकायत भरे लहजे में साफ कहा कि सभी सियासी दल किसान के नाम पर वोट मांगते हैं लेकिन, सत्ता में आने के बाद किसान और उनकी समस्याओं को भूल जाते हैं। सपा सरकार ने किसानों का मिल मालिकों पर 1200 करोड़ रुपये का गन्ना ब्याज माफ कर दिया। तीन साल तक गन्ना मूल्य में कोई बढ़ोतरी नहीं की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसान आयोग की रिपोर्ट लागू करने की बात कही थी, लेकिन आज तक नहीं हो सकी। अब किसान के हालात कुछ ठीक होने लगे तो सरकार चीनी आयात की बात कर रही है। इन हालात में कोई भी पार्टी किसान हितैषी नहीं है। किसान अपनी स्वेच्छा व विवेक से किसी को भी वोट कर सकता है।
बोले खाप चौधरी
हमारे लिए तो सब बराबर हैं। जो प्रत्याशी समाज सुधार की बात करे और क्षेत्र का विकास करने वाला हो, उसे वोट दें।
- बाबा हरिकिशन मलिक, चौधरी, गठवाला खाप।
खाप अराजनीतिक होती है। उनके लिए समाज में सब बराबर होते है। विकास कराने में सक्षम प्रत्याशी को मतदान करें।
- बाबा सूरजमल, चौधरी, बत्तीसा खाप।
खाप का काम मूलरूप से समाज के लिए काम करना होता है। वोट देने का फैसला खाप परिवार की बैठक में लिया जाएगा।
- बाबा सजंय कालखंडे, चौधरी, कालखंडे खाप।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।