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    तेलंगाना पर KCR के भावनात्मक दांव को सोनिया गांधी के सहारे थामेगी कांग्रेस, करीमनगर में रैली की बन रही रूपरेखा

    By Jagran NewsEdited By: Achyut Kumar
    Updated: Sat, 11 Nov 2023 08:32 PM (IST)

    तेलंगाना पर मुख्यमंत्री केसीआर के भावनात्मक दांव को कांग्रेस सोनिया गांधी के सहारे थामेगी। लंबे अर्से से चुनावी अभियानों से दूरी रख रहीं सोनिया गांधी की करीमनगर में रैली की रूपरेखा बन रही है। यहीं पर 2004 में उन्होंने पहली बार तेलंगाना के गठन का वादा किया था। तेलंगाना के अलावा सोनिया गांधी किसी अन्य चुनावी राज्य में नहीं जाएंगी।

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    तेलंगाना के करीमनगर में रैली को संबोधित कर सकती हैं सोनिया गांधी ( फाइल फोटो)

    संजय मिश्र, नई दिल्ली। Telangana Election 2023: राज्य गठन के बाद अब तक हुए दोनों चुनावों में तेलंगाना निर्माण के 'नायक' के रूप में खुद को पेश करते रहे बीआरएस नेता मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव के इस भावनात्मक सियासी दांव को थामने के लिए कांग्रेस की इस चुनाव में पूरी तैयारी दिख रही है। विधानसभा चुनाव में बीआरएस की लगातार तीसरी पारी रोकने के लिए पार्टी भावनाओं के पिच पर केसीआर को अकेले खेलने का अब मौका नहीं देना चाहती। कांग्रेस की इस तैयारी की गंभीरता इसी से जाहिर होती है कि लंबे अर्से से चुनावी अभियानों से दूरी बना रहीं सोनिया गांधी की विशेष रूप से तेलंगाना के करीमनगर जिले में एक चुनावी जनसभा कराने की रूपरेखा बनाई जा रही है।

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    तेलंगाना की सियासत में करीमनगर का विशेष महत्व

    तेलंगाना की सियासत में करीमनगर का विशेष महत्व इस लिहाज से है कि सन 2004 में सोनिया गांधी ने अलग तेलंगाना राज्य बनाने के राजनीतिक वादे का पहली बार सार्वजनिक वादा किया था। पार्टी सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी का पांच राज्यों के चुनाव में तेलंगाना की प्रस्तावित एक रैली के अलावा कोई दूसरा कार्यक्रम होगा, इसकी गुंजाइश नहीं है।

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    सोनिया गांधी ने करीमनगर से किया था तेलंगाना के गठन की घोषणा

    कांग्रेस के मुताबिक, तेलंगाना चुनाव में बीआरएस को बढ़ती चुनावी मुश्किलों से उबारने के लिए मुख्यमंत्री केसीआर राज्य गठन का अकेले श्रेय लेने के लिए भावनात्मक दांव चल रहे हैं। ऐसे में सूबे की आवाम के जेहन में राज्य निर्माण के इतिहास का स्मरण कराना जरूरी है और करीमनगर में करीब दो दशक पहले अलग तेलंगाना गठन की सोनिया गांधी की पहली बार की गई घोषणा का अपना राजनीतिक इतिहास है। सच्चाई है कि सोनिया गांधी के करीमनगर में किए गए वादे के अनुरूप कांग्रेस ने 2014 में तेलंगाना का गठन किया और इस वास्तविकता पर पर्दा डालने की केसीआर की कोशिशों को पार्टी कामयाब नहीं होने देगी।

    27 नवंबर को जनसभा को संबोधित कर सकती हैं सोनिया गांधी

    सूत्रों के अनुसार, चुनाव अभियान के आखिरी हफ्ते में 27 नवंबर को सोनिया गांधी की करीमनगर में जनसभा का कार्यक्रम बन रहा है। वारंगल और हैदराबाद भी रैली के संभावित विकल्पों में शामिल हैं।

    'सोनिया गांधी की तेलंगाना के गठन में रही बड़ी भूमिका'

    केसीआर के तेलंगाना का श्रेय लेने के दांव पर कांग्रेस के संचार महासचिव जयराम रमेश कहते हैं कि सूबे की जनता को मालूम है कि सोनिया गांधी की नए राज्य के निर्माण में सबसे बड़ी भूमिका रही थी। वैसे सितंबर महीने में कांग्रेस की हैदराबाद में हुई कार्यसमिति की बैठक के बाद हुई एक रैली में सोनिया गांधी ने अपने राजनीतिक जीवन के इस मुकाम पर तेलंगाना में कांग्रेस की सरकार बनते हुए देखने की इच्छा का इजहार कर केसीआर के भावनात्मक दांव में स्पीड ब्रेकर लगाने का संकेत दे दिया था।

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    कांग्रेस को दिख रहा बड़ा मौका

    तेलंगाना के चुनाव में कांग्रेस को बीआरएस के खिलाफ बन रहे सत्ता विरोधी माहौल में इस बार बड़ा सियासी मौका नजर आ रहा है और दक्षिण के इस महत्वपूर्ण सूबे में दिख रहे अवसर को पार्टी किसी सूरत में गंवाने का जोखिम नहीं लेना चाहती। सेहत की चुनौतियों के चलते सोनिया गांधी पिछले कुछ वर्षों से चुनाव प्रचार अभियानों से लगभग दूर ही रहती हैं और तेलंगाना में उनकी रैली की तैयारी पार्टी की इस अति सतर्कता का सबूत है।

    तेलंगाना के अलावा किसी राज्य में नहीं है सोनिया का दौरा

    पांच राज्यों के चुनाव में अब तक सोनिया कहीं प्रचार के लिए नहीं गई हैं और तेलंगाना के अलावा किसी अन्य राज्य का अब तक कार्यक्रम भी नहीं बना है। छत्तीसगढ और राजस्थान में कांग्रेस की सरकारें हैं, मगर वहां भी उनका चुनावी दौरा नहीं हुआ है। मध्य प्रदेश समेत तमाम राज्यों के चुनाव अभियान का दारोमदार कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा पर है। मिजोरम के चुनाव में भी सोनिया गांधी ने केवल वीडियो संदेश जारी कर सूबे के मतदाताओं से कांग्रेस के पक्ष में वोट डालने की अपील की थी।

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