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    Rajasthan Election 2018: पांच दर्जन सीटों पर कांग्रेस जीते या भाजपा, जीतेगा एक ही जाति का प्रत्याशी

    By Preeti jhaEdited By:
    Updated: Thu, 06 Dec 2018 02:56 PM (IST)

    राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए शुक्रवार को मतदान होना है। इस बार प्रदेश में सियासी लड़ाई विकास के बजाय जातिगत आधार पर लड़ी गई है।

    Rajasthan Election 2018: पांच दर्जन सीटों पर कांग्रेस जीते या भाजपा, जीतेगा एक ही जाति का प्रत्याशी

    जयपुर, जागरण संवाददाता। राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए शुक्रवार को मतदान होना है। इस बार प्रदेश में सियासी लड़ाई विकास के बजाय जातिगत आधार पर लड़ी गई है। दो माह तक चले चुनाव अभियान में जातिवाद बहुत चला। प्रदेश की करीब 60 सीटें ऐसी हैं, जिन पर एक ही जाति के उम्मीदवारों के बीच मुकाबला है। कांग्रेस और भाजपा ने एक ही जाति के प्रत्याशियों को आमने-सामने मैदान में उतारा। दिलचस्प बात ये है कि कांग्रेस जीते या फिर भाजपा विधायक उसी जाति का बनना तय है। इनमें राजनीतिक रूप से वर्चस्व रखने वाली जाट,राजपूत और मीणा जाति प्रमुख है।

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    राजस्थान का जातीय समीकरण
    अब तक के चुनावी इतिहास के अनुसर यदि किसी जाति का 10 फीसद वोट बैंक भी बन रहा है तो यह किसी की सरकार बनाने और गिराने के बहुत है। प्रदेश में कुल 272 जातियां हैं। इनमें 51 फीसद अन्य पिछड़ा वर्ग (इसमें 91 जातियां हैं, जिनमें जाट नौ फीसदी, गुर्जर पांच फीसद, माली चार फीसद), 18 फीसद अनुसूचित जाति (59 उप-जातियां हैं, जिनमें मेघावत छह फीसद, बैरवा तीन फीसद), 13 फीसद अनुसूचित जनजाति (12 उप-जातियां हैं जिनमें मीणा सात फीसद, भील चार फीसद) और 18 फीसद अन्य (ब्राह्मण सात फीसद, राजपूत छह फीसद, वैश्य चार फीसद) से आते हैं।

    राज्य की राजनीति में जाट, मीणा, राजपूत और ब्राह्मण काफी महत्वपूर्ण माने जाते हैं। चुनाव का फैसला लगभग इन्हीं जातियों पर निर्भर रहता है। इसका कारण प्रदेश की जनसंख्या में इनका एक-तिहाई हिस्सा होना है। प्रदेश की नौ विधानसभा सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के भील समुदाय के प्रत्याशी आमने-सामने मैदान में हैं। इनमें सागवाड़ा, चौरासी, घाटोल, गढ़ी, बांसवाड़ा, बागीडोरा, झाड़ौल, खैरवाड़ा और डूंगरपुर सीटें शामिल हैं। वहीं, 15 सीटों पर कांग्रेस और भाजपा दोनों पार्टियों ने जाट उम्मीदवारों को टिकट दिया है।

    इनमें डीग-कुम्हेर, भादरा, डेगाना, नावां, ओसियां, बायतू, झुंझुनूं, किशनगढ़, सूरतगढ़, हनुमानगढ़, लूणकरणसर, सादुलपुर, मंडावा, खंडेला शामिल है। एससी के लिए आरक्षित सीटों पर दलित प्रत्याशी का मैदान में उतारना स्वभाविक है। इसी तरह नौ सीटों पर दोनों ही बड़े दलों ने मीणा नेताओं को टिकट दिया है। इनमें सलूंबर, सपोटरा, जमवारामगढ़, लालसोट, बामनवास, प्रतापगढ़ , टोडाभीम और राजगढ़ शामिल है।

    बीकानेर पश्चिम, हवामहल, सीकर, कोटा दक्षिण, बूंदी और रतनगढ़ सीटों पर कांग्रेस और भाजपा ने ब्राह्मण  नेताओं को आमने-सामने मैदान में उतारा है। बीकानेर पश्चिम से आमने-सामने चुनाव लड़ रहे कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. बीडी कल्ला और भाजपा प्रत्याशी गोपाल जोशी तो आपस में जीजा-साला हैं। कुछ अन्य सीटों पर भी एक ही जाति के नेता आमने-सामने हैं। 

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