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    Rajasthan Election 2023: बागियों के तेवर बरकरार, इस सीट पर होगा त्रिकोणीय मुकाबला, जीत-हार के गुणा-गणित में जुटे प्रत्याशी

    हरियाणा के लोहारू से करीब 22 किलोमीटर दूर है शेखावटी क्षेत्र में बसा छोटा-सा शहर पिलानी। हालांकि लोहारू से चार किलोमीटर बाद ही राजस्थान में झुंझुनूं जिले के पिलानी विधानसभा क्षेत्र की शुरुआत हो जाती है। बिट्स पिलानी की स्थापना के बाद से लोकप्रिय इस विधानसभा क्षेत्र में चुनावी मुकाबला दिलचस्प हो रहा है। आर्यनगर के जितेन्द्र का कहना है कि पिलानी को शिक्षा का हब कहा जाता है।

    By Paras PandeyEdited By: Paras PandeyUpdated: Sat, 18 Nov 2023 03:49 AM (IST)
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    -राजस्थान के पिलानी विधानसभा क्षेत्र में भाजपा से बागी प्रत्याशी बना रहे त्रिकोणीय मुकाबला

    महेश श्योराण, लोहारू (भिवानी)। हरियाणा के लोहारू से करीब 22 किलोमीटर दूर है शेखावटी क्षेत्र में बसा छोटा-सा शहर पिलानी। हालांकि लोहारू से चार किलोमीटर बाद ही राजस्थान में झुंझुनूं जिले के पिलानी विधानसभा क्षेत्र की शुरुआत हो जाती है। बिट्स पिलानी की स्थापना के बाद से लोकप्रिय इस विधानसभा क्षेत्र में चुनावी मुकाबला दिलचस्प हो रहा है।

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    कारण कि पंचवटी, सरस्वती मंदिर, बिड़ला संग्रहालय तथा राम मंदिर पार्क जैसे दर्शनीय स्थल को समेटे इस विधानसभा क्षेत्र में प्रत्याशी और मुद्दा दोनों ही चर्चाओं में हैं। पिछले चुनाव में कांग्रेस से टिकट लेकर चुनाव जीते जेपी चंदेलिया मैदान ही छोड़ गए। कांग्रेस ने उनकी जगह शिक्षा विभाग के उपनिदेशक रहे पितराम सिंह काला को टिकट दिया है।

    भाजपा से टिकट नहीं मिलने पर यहां के हैवीवेट नेता व पूर्व मंत्री सुंदरलाल के पुत्र पूर्व प्रधान कैलाश मेघवाल के निर्दलीय मैदान में उतरने से मुकाबला त्रिकोणीय व रोचक हो गया है। भाजपा ने यहां से नए चेहरे पर दाव लगाते हुए राजेश दहिया को चुनावी समर में उतारा है। यहां पिलानी तक नहरी पानी नहीं पहुंच पाना बड़ा मुद्दा बन गया है। पिलानी के हिस्से का पानी ऊपेक्षा की आंच पर उबल रहा है।

    ग्रामीण मतदाता राजस्थानी बोली में कहते हैं कि आ तो म्हें 25 तारीख नैं बोट गेरके ही बतावांगां। गांव पिपली के धर्मकांटा पर कृष्ण कुमार पिपली बताते हैं कि खेतड़ी व झूंझनू में कुम्भाराम लिफ्ट परियोजना का पानी पहुंच गया है। लेकिन बीच के मुख्य शहर पिलानी में पानी की एक भी बूंद नहीं पंहुची है। यदि पिलानी को इस परियोजना का पानी मिल जाए तो जीवन सफल होगा।

    यहां कुछ दूरी पर बसे गांव दूधी के सुरेश झाझडि़या व महेंन्द्र लुणायच मानते हैं कि नहरी पानी पहुंच जाए तो यहां की धरती स्वर्ग हो जाएगी। पानी तो प्राथमिक जरूरत है। वर्षों से पानी की समस्या बनी हुई है। किसी भी राजनीतिक दल ने इसे अपने घोषणा पत्र का हिस्सा नहीं बनाया है, यह दुर्भाग्यपूर्ण है।

    यहां से आगे शहर के एक सैलून पर भी चर्चाओं में पानी ही उबल रहा है। रमेश, सुमेर सिंह व रविंद्र कहते हैं कि जो पानी लेकर आएगा, उसे ही हमारा वोट मिल सकेगा। शहर के ही एक खाली प्लाट पर अभ्यास कर रहे युवा संदीप कादयान, पंकज शर्मा, अश्विनी शर्मा कहते हैं, जमीनें खाली पड़ी हैं लेकिन यहां एक खेल स्टेडियम नहीं बना सकी सरकार। रोजगार तो दूर खेल पर भी कभी किसी नेता ने ध्यान नहीं दिया। 

    आर्यनगर के जितेन्द्र का कहना है कि पिलानी को शिक्षा का हब कहा जाता है परन्तु कोई सरकारी कालेज नहीं है जिसके कारण बच्चों की शिक्षा के लिए माता-पिता को अतिरिक्त बोझ उठाना पड़ता है। दरअसल, वोटों की राजनीति में यहां स्थानीय मुद्दे गौण होते रहे हैं।

    यहां अब तक हुए 14 चुनावों में अधिकतर कांग्रेस और बागी उम्मीदवार जीते। 2008 में रिजर्व सीट होने पर सुंदरलाल ने जाटों को साधकर यहां दो बार भाजपा का कमल खिलाया। वैसे, झुंझुनूं जिले की पिलानी विधानसभा सीट कांग्रेस की परंपरागतसीट रही है। यहां अब तक हुए 14 चुनावों में अधिकतर कांग्रेस व उसके बागी उम्मीदवार जीते हैं। 

    जाट और मेघवाल जाति के लगभग सवा लाख मतदाताओं का गठजोड़ ही यहां निर्णायक रहा। उलटफेर की भूमिका में निर्दलीय भाजपा से बागी होकर निर्दलीय ताल ठोंक रहे कैलाश मेघवाल उलटफेर की भूमिका में हो सकते हैं। अपनी डफली पर अपना राग अलाप रहे कैलाश के मैदान में होने से भाजपा के वोट में सेंधमारी हो सकती है। इसके कुछ अहम कारण हैं। पिछले चुनाव में उन्हें 71,176 वोट मिले थे। 13, 539 वोटों से हारे थे। इसके साथ ही सात बार विधायक रहे पिता सुंदरलाल की राजनीतिक पृष्ठभूमि भी मजबूत रही है।

    जातीय समीकरण साध रहे प्रत्याशी तीनों ही प्रमुख प्रत्याशी जातीय समीकरण साधने में जुटे हैं। जाट, मेघवाल व अन्य अनुसूचित जाति के मतदाताओं को अपने पक्ष में करने की जुगत भाजपा, कांग्रेस व निर्दलीय कर रहे हैं। 2003 से विजयी उम्मीदवार का वोट प्रतिशत बढ़ा पिछले दो दशक से विजयी उम्मीदवार का वोट प्रतिशत लगातार बढ़ता रहा है।

    परिसीमन (आरक्षित) से पहले वर्ष 2003 में एक लाख 24 हजार 60 मतों में से कांग्रेस के श्रवण कुमार को 53 हजार 231 और भाजपा के डॅा.मूल सिंह शेखावत को 44 हजार 404 वोट मिले। विजेता उम्मीदवार को 42.92 प्रतिशत वोट मिले। इसके बाद 2008 व 2013 में भाजपा के सुंदरलाल को क्रमश: 43.16 और 50.47 प्रतिशत एवं 2019 में कांग्रेस से विजयी हुए जेपी चंदेलिया को 53.08 प्रतिशत मत मिले थे। आंकड़ों पर नजर कुल वोट 2, 49, 563 कुल प्रत्याशी 12 महिला प्रत्याशी