Rajasthan Election 2023: राजस्थान में चार धर्मगुरू चुनाव मैदान में उतरे, कांग्रेस ने सालेह मोहम्मद को फिर दिया टिकट
Rajasthan Election 2023 तीन धर्मगुरू भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं एक धर्मगुरू को कांग्रेस ने प्रत्याशी घोषित किया है। चारों धर्मगुरू प्रतिदिन अपने-अपने धार्मिक स्थलों पर प्रार्थना सभा में शामिल होने के साथ ही प्रवचन भी देते हैं।
जागरण संवाददाता,जयपुर। Rajasthan Election 2023 राजस्थान विधानसभा चुनाव में इस बार चार धर्मगुरू चुनाव मैदान में उतरे हैं। इनमें से तीन धर्मगुरू भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं एक धर्मगुरू को कांग्रेस ने प्रत्याशी घोषित किया है। चारों धर्मगुरू प्रतिदिन अपने-अपने धार्मिक स्थलों पर प्रार्थना सभा में शामिल होने के साथ ही प्रवचन भी देते हैं।
तिजारा सीट से बाबा बालकनाथ प्रत्याशी घोषित
भाजपा ने तिजारा विधानसभा सीट से बाबा बालकनाथ को प्रत्याशी घोषित किया है। बालकनाथ वर्तमान में अलवर से सांसद हैं। बालकनाथ नाथ सम्प्रदाय की बाबा मस्तनाथ गद्दी के महंत हैं। यह गद्दी हरियाणा के रोहतक बोहर में स्थित है। इस गद्दी के हरियाणा और राजस्थान में काफी अनुयायी हैं।
इसी तरह सिरोही सीट से भाजपा ने देवासी समाज के धर्मगुरू ओटाराम देवासी को टिकट दिया है। देवासी समाज मे भोपाजी के नाम से प्रसिद्ध ओटाराम राजस्थान और गुजरात के देवासी समाज के धर्मगुरू हैं। वे प्रतिदिन अपनी गद्दी पर बैठकर प्रवचन देते हैं।ओटाराम पिछली वसुंधरा राजे सरकार में राज्यमंत्री रहे थे।
पोकरण सीट से महंत प्रतापपुरी महाराज को टिकट
पाकिस्तान सीमा से सटे जैसलमेर जिले की पोकरण सीट से भाजपा ने महंत प्रतापपुरी महाराज को प्रत्याशी घोषित किया है। प्रतापपुरी बाड़मेर जिले के तारातारा मठ के महंत हैं। आर्य समाज से जुड़े काफी लोग इस मठ के प्रति आस्था रखते हैं।
कांग्रेस ने मुस्लिम धर्मगुरू को टिकट दिया
उधर कांग्रेस ने पोकरण सीट से सालेह मोहम्मद को टिकट दिया है। सालेह मोहम्मद वर्तमान में अशोक गहलोत सरकार में राज्यमंत्री हैं। सालेह मोहम्मद के पिता गाजी फकीर मुस्लिमों के बड़े धर्मगुरु माने जाते हैं। सालेह मोहम्मद खुद भी मुस्लिम समाज की विभिन्न तकरीरों में शामिल होते हैं।
राजस्थान में बाड़मेर और जैसलमेर के साथ पाकिस्तान के सिंधी मुसलमानों में भी हमेशा से गाजी फकीर के प्रति काफी सम्मान रहा है। चुनाव मैदान में उतरे चारों धर्मगुरूओं का कहना है कि धार्मिक गद्दी पर बैठकर वे जनसेवा करते रहे है। चुनावी राजनीति में आने का मुख्य मकसद भी जनसेवा है।
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