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    Rajasthan Chunav 2018: 31 सीटों पर भाजपा और कांग्रेस ने उतारे एक ही जाति के उम्मीदवार

    By Preeti jhaEdited By:
    Updated: Mon, 26 Nov 2018 02:03 PM (IST)

    राजस्थान विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ दल भाजपा और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने 200 में से 31 सीटों पर समान जाति के उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है।

    Rajasthan Chunav 2018: 31 सीटों पर भाजपा और कांग्रेस ने उतारे एक ही जाति के उम्मीदवार

    जयपुर, जागरण संवाददाता। राजस्थान विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ दल भाजपा और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने 200 में से 31 सीटों पर समान जाति के उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। दोनों पार्टियों ने टिकट तय करने के साथ ही प्रचार अभियान में जातिगत समीकरणों का ध्यान रखा है।

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    कई सीटों पर सीधा मुकाबला

    दोनों पार्टियों ने जाट समुदाय के 33 उम्मीदवारों को टिकट दिए है। इनमें से 15 सीटों पर दोनों पार्टियों के प्रत्याशियों का सीधा मुकाबला है।भाजपा ने 26 राजपूत, जबकि कांग्रेस ने 15 राजपूत उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। इनमें से 4 सीटों पर दोनों पार्टियों के बीच सीधा मुकाबला है।

    वहीं दोनों पार्टियों ने टिकट वितरण में ब्राह्मण, वैश्य, ओबीसी और अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति को उचित प्रतिनिधित्व देने का ध्यान रखा है। कांग्रेस ने 15 और भाजपा ने मात्र एक मुस्लिम को पार्टी का टिकट दिया है । 7 सीटों पर ब्राहम्ण और 2-2 सीटों पर गुर्जर एवं यादव समाज के प्रत्याशियों के बीच सीधा मुकाबला है।दोनों ही पार्टियों ने 60 से अधिक अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों को टिकट दिए है। विश्लेषकों के अनुसार, दोनों पार्टियों ने टिकट वितरण के बाद प्रचार अभियान भी जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखकर ही चलाया है ।

    विश्लेषकों का मानना है कि जातिगत बाहुल्य समाज, जैसे जाटों, के मजबूत नेता वोट को अपनी ओर खींचने में मदद कर सकता है,लेकिन कांग्रेस को भाजपा सरकार के सत्ता विरोधी मुद्दे, राजपूत और अन्य प्रभावशाली समाज के ऐसे उम्मीदवार, जिन्हें पार्टी ने टिकट नहीं दिया है, का लाभ स्वत: मिल जाएगा।

    माना जा रहा है कि पिछले कई वर्षों से भाजपा शहरी और ग्रामीण राजपूत समाज के मतदाताओं का समर्थन ले रही थी, लेकिन संभावित निष्ठा बदल जाने के बाद जातिगत समीकरणों में कुछ बदलाव दिखाई दे रहा है। मामूली वोट शेयर के बदलने से समीकरण कांग्रेस के पक्ष में हो सकते है। चुनाव आयोग के आंकडों के अनुसार, वर्ष 2013 में कांग्रेस के 33.7 प्रतिशत वोट शेयर के मुकाबले में भाजपा का वोट शेयर 46.05 प्रतिशत था, जबकि वर्ष 2008 में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के 36.82 प्रतिशत वोट शेयर के मुकाबले भाजपा का वोट शेयर 34.27 प्रतिशत था।  

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