हर चुनाव में नागौर की राजनीति पूरे राजस्थान को करती है प्रभावित
राजस्थान के लगभग मध्य में स्थित नागौर जिले को राजनीतिक रूप से राजस्थान के सबसे सक्रिय जिलों में माना जाता है।
जयपुर, ब्यूरो। राजस्थान के जाटलैंड के नाम से मशहूर नागौर जिला इस बार फिर राजस्थान की राजनीतिक उठापटक का केंद्र बन गया है। राजपूतों की नाराजगी का कारण बना आनंदपाल प्रकरण हो या निर्दलीय विधायक हनुमान बेनीवाल का दबदबा या फिर हाल में भाजपा के तीन जाट नेताओं का कांग्रेस में जाना, इन सब कारणों ने नागौर में चुनावी राजनीति सबसे तेज कर दी है।
राजस्थान के लगभग मध्य में स्थित नागौर जिले को राजनीतिक रूप से राजस्थान के सबसे सक्रिय जिलों में माना जाता है। देश में पंचायतराज व्यवस्था की शुरुआत इसी जिले से हुई थी। नाथूराम मिर्धा, रामनिवास मिर्धा जैसे कांग्रेस के बड़े नेता यहीं से हैं। जिले में सबसे ज्यादा आबादी जाट और मुस्लिम समुदाय की है और इसे राजस्थान का जाटलैंड भी कहा जाता है। 2003 से पहले यह कांग्रेस का गढ़ माना जाता था, लेकिन 2003 में यहां की दस में से नौ सीटें भाजपा ने जीतीं। इसके बाद से यह जिला राजनीतिक रूप से और भी ज्यादा अहम हो गया। हर चुनाव में इस जिले की राजनीति किसी न किसी तरह से पूरे प्रदेश की राजनीति को प्रभावित करती है।
इस बार भी ऐसा ही होता दिख रहा है। यहां पिछले कुछ समय में लगातार ऐसी घटनाएं हुई हैं, जो पूरे प्रदेश की राजनीति को प्रभाावित कर रही हैं। आनंदपाल प्रकरण राजस्थान का कुख्यात गैंगस्टर आनंदपाल नागौर जिले के लाडनूं का ही रहने वाला था और उसके एनकाउंटर के बाद यहीं के सांवराद गांव में राजपूतों ने उसका शव रखकर करीब दो सााह तक प्रदर्शन किया। इस मामले ने भाजपा के परंपरागत वोट बैंक राजपूतों को भाजपा से दूर करने में बड़ी भूमिका निभाई। अब चर्चा है कि आनंदपाल की मां लाडनूं सीट से चुनाव लड़ सकती है।
हनुमान बेनीवाल की सक्रियता
निर्दलीय विधायक हनुमान बेनीवाल इस चुनाव में खासे सक्रिय दिख रहे हैं और 29 अक्टूबर को जयपुर में रैली आयोजित कर पार्टी घोषित करने वाले हैं। अब तक उनकी सभाओं में अच्छी भीड़ जुटी है और उनका हमला भाजपा और कांग्रेस दोनों पर है। माना जा रहा है कि वे राजस्थान में इस बार नागौर सहित कई जिलों की सीटों को प्रभावित कर सकते हैं। तीन जाट नेताओं का भाजपा छो़ड़कर कांग्रेस में जाना राजस्थान में इस बार भाजपा जाटों को बहुत हद तक अपने साथ मानकर चल रही थीं, लेकिन इस मामले में भी भाजपा को झटका नागौर से ही मिला।
वसुंधरा राजे की पिछली सरकार में पर्यटन मंत्री रही ऊषा पूनिया और जाट समाज में अच्छा दखल रखने वाले उनके पति विजय पूनिया हाल ही में कांगे्रस में शामिल हो गए। दोनों नागौर के ही हैं। इनके अलावा मौजूदा सरकार के सहकारिता मंत्री अजय सिंह किलक की बहन और नागौर की पूर्व जिला प्रमुख बिंदु चौधरी भी कांग्रेस में चली गई।
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