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    राजस्थान के नगर विधानसभा में गणित बिगाड़ सकती है बसपा

    By Preeti jhaEdited By:
    Updated: Fri, 09 Nov 2018 01:53 PM (IST)

    राजस्थान भरतपुर-अलवर मार्ग स्थित नगर विधानसभा क्षेत्र 1977 से अस्तित्व में आया। अब तक इस सीट पर तीन बार कमल खिला तो दो बार पंजे का जादू चला।

    राजस्थान के नगर विधानसभा में गणित बिगाड़ सकती है बसपा

    भरतपुर, प्रकाश मोहन गुप्ता। राजस्थान के भरतपुर-अलवर मार्ग पर स्थित नगर विधानसभा क्षेत्र 1977 से अस्तित्व में आया। अब तक इस सीट पर तीन बार कमल खिला तो दो बार पंजे का जादू चला। अन्य दलों को भी एक-एक बार मौका मिला।

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    इस बार जैसी हवा यहां चल रही है, उसमें कांग्रेस और भाजपा का समीकरण बसपा खराब कर सकती है। नगर विधानसभा 1952 से 1971 तक नगर-डीग विधानसभा नाम से थी। इस विधानसभा क्षेत्र से भाजपा और कांग्रेस के अलावा बसपा, एनपीईपी, जेएनपी, लोकदल व जनता दल के प्रत्याशी एक-एक बार विधानसभा पहुंचने में सफल रहे हैं।

    अनुसूचित जाति और मेव मतदाताओं की जुगलबंदी के चलते 1998 में बसपा के माहिर आजाद विजयी रहे। 2013 में एनपीईपी के वाजिब अली दूसरे तथा सपा के नेम सिंह तीसरे स्थान पर रहे वहीं कांग्रेस छठे नंबर पर खिसक गई। लगभग दो लाख मतदाताओं वाले इस विस क्षेत्र में मुस्लिम (मेव), गुर्जर तथा अनुसूचित जाति के मतदाता निर्णायक की भूमिका में रहे हैं। इन तीनों जातियों के मतदाताओं की संख्या एक लाख से ऊपर है।

    जाट 20 हजार, सैनी 15 हजार व ब्राह्मण समाज के 10 हजार मतदाता हैं। इनमें से जाट समाज का झुकाव अपने समाज तथा सैनी व ब्राह्मण कांगे्रस के पक्ष के माने जाते हैं।

    मदनलाल सैनी के भाजपा प्रदेशाध्यक्ष बनने से सैनी समाज कितना भाजपा की ओर झुकेगा, यह वक्त की बात होगी। अब तक सैनी समाज पूर्व मुख्यमंत्री गहलौत का समर्थक रहा है। 2013 में 36557 वोटों के साथ रनर अप रहे वाजिब अली एनपीपी से चुनाव लड़े थे और मोदी लहर के बावजूद भाजपा की अनीता सिंह 44670 मत लेकर केवल आठ हजार मतों से ही जीत सकी थीं।

    बिना किसी लहर के हो रहे इन चुनावों में इस बार वाजिब अली बसपा से चुनाव लड़ सकते हैं और अनुसूचित जाति व मेव समाज के लगभग 80 हजार मतदाताओं का उन्हें पूरा समर्थन मिल सकता है। 1998 में इसी समीकरण के चलते माहिर आजाद 14 हजार मतों से विजयी रहे थे।

    हालांकि यहां पर मेव समाज के उम्मीदवारों की अधिक संख्या, मतों का बिखराव भी कर सकती है। 2013 के चुनाव में यहां से दो महिलाओं सहित 20 प्रत्याशी चुनाव लड़े, जिनमें से मेव उम्मीदवारों की संख्या पांच थी लेकिन उनके मतों की संख्या छह हजार से अधिक नहीं पहुंची।

    भाजपा यहां से तीन बार चुनाव जीती है। 1993 में गोपीचंद गुर्जर तथा 2008 व 2013 में अनीता गुर्जर विधायक बनीं। इस बार दोनों ही प्रमुख दलों में टिकट दावेदार बड़ी संख्या में हैं।

    भाजपा का टिकट हालांकि वर्तमान विधायक अनीता सिंह को मिलने की पूरी संभावना है और वे हैट्रिक बनाने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। लेकिन डांग विकास बोर्ड के अध्यक्ष जवाहर सिंह बेढम, कृषि उपज मण्डी के पूर्व अध्यक्ष बलवीर सिंह भी टिकट के दावेदार हैं।

    वहीं कांग्रेस से टिकट के लिए पूर्व विधायक गोपी गुर्जर, कांगे्रस के पूर्व जिलाध्यक्ष गोविंद शर्मा, नगर पालिका के चेयरमैन रमन सिंह जोर लगा रहे हैं। उनके साथ ही गत चुनाव में 30418 मत लेकर तीसरे स्थान पर रहे जाट नेता नेम सिंह फौजदार, सुदेश कुमार, शीशराम, ब्रह्मानंद दाढी वाला, पूर्व प्रधान मुरारी लाल सहित करीब एक दर्जन से अधिक लोग कांग्रेस में दावे को प्रयत्‍‌नशील हैं। इसके साथ ही दो बार नगर से विधायक रहे माहिर आजाद भी अपने पुत्र रागिव आजाद को कांगे्रस का टिकट दिलाने में जी जान से लगे हैं।

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