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    Maharashtra Election: विदर्भ में भाजपा के लिए तुरुप का पत्ता साबित हो सकते हैं बावनकुले, कुछ ऐसे बन रहे समीकरण

    Updated: Sun, 27 Oct 2024 12:21 AM (IST)

    भाजपा ने अपनी 2019 की गलती सुधारते हुए तेली समाज के अपने प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले को उन्हीं की पुरानी सीट कामठी से उम्मीदवार कर विदर्भ के कई जिलों में प्रभावी तेली समाज को खुश करने का काम किया है। चंद्रशेखर बावनकुले की उम्मीदवारी का लाभ भाजपा को कई और सीटों पर भी मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।

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    विदर्भ में भाजपा के लिए तुरुप का पत्ता साबित हो सकते हैं बावनकुले

    ओमप्रकाश तिवारी, कामठी(नागपुर)। महाराष्ट्र का विधानसभा चुनाव इस बार पूरी तरह से जाति आधारित हो गया है। सभी दल अपने-अपने जातीय समीकरण दुरुस्त करने में लगे हैं। ऐसे में भाजपा ने भी अपनी 2019 की गलती सुधारते हुए तेली समाज के अपने प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले को उन्हीं की पुरानी सीट कामठी से उम्मीदवार कर विदर्भ के कई जिलों में प्रभावी तेली समाज को खुश करने का काम किया है। बावनकुले की उम्मीदवारी का लाभ भाजपा को कई और सीटों पर भी मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।

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    तीन बार विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं बावनकुले

    भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले पहले भी कामठी से तीन बार विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं। वह 2014 से 2019 तक फडणवीस सरकार में ऊर्जा एवं उत्पाद शुल्क मंत्री रहे थे। लेकिन 2019 में अज्ञात कारणों से उनका टिकट काट दिया गया। उनका टिकट कटने की नाराजगी उस समय पूरे विदर्भ के तेली समाज में देखी गई थी। हालांकि स्वयं बावनकुले ने उस समय कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की थी। लेकिन भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने उसी समय कामठी जाकर कहा था कि बावनकुले को पार्टी और बड़ा सम्मान देगी।

    2014 में विदर्भ में भाजपा को जहां 62 में से 44 सीटें मिली थीं

    लेकिन फडणवीस का यह आश्वासन भी तब तेली समाज को खुश नहीं कर सका। 2014 में विदर्भ में भाजपा को जहां 62 में से 44 सीटें मिली थीं, वहीं 2019 में सिर्फ 29 सीटें ही मिल सकीं। लेकिन फडणवीस अपनी बात पर खरे उतरे। कुछ समय बाद ही बावनकुले को विधान परिषद में तो भेजा ही गया, उन्हें भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष भी बना दिया गया। अब 2024 का विधानसभा चुनाव पार्टी उन्हीं की अध्यक्षता में लड़ रही है। वह पार्टी के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) का एक बड़ा चेहरा बनकर उभरे हैं।

    तेली समाज चुपचाप वोटिंग करता है

    पार्टी के नागपुर जिला कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल विदर्भ का जातीय गणित समझाते हुए कहते हैं कि यहां कुनबी समाज आमतौर पर कांग्रेस के साथ खड़ा दिखाई देता है। जबकि ओबीसी का दूसरा बड़ा समाज तेली वर्ग बावनकुले के कारण भाजपा के नजदीक आता है तो कामठी के अलावा पूर्वी विदर्भ की कई सीटों पर पार्टी को लाभ हो सकता है। नागपुर शहर में ही तीन लाख तेली हैं। यह समाज पिछले 70 वर्षों से पहले जनसंघ, और फिर भाजपा का साथ देता आ रहा है। वह कहते हैं कि तेली समाज चुपचाप वोटिंग करता है। वह पिछले कुछ वर्षों से नाराज था, लेकिन बावनकुले को उम्मीदवारी मिलने से इस बार वह फिर भाजपा के साथ आ गया है।

    कांग्रेस ने सुरेश भोयर को इस बार कामठी से उम्मीदवार बनाया

    दूसरी ओर जिस सुरेश भोयर को इस बार कामठी से उम्मीदवार बनाया है, उनके पिता यादवराव भोयर भी दो बार कामठी से ही विधायक रह चुके हैं। खुद सुरेश भोयर 2019 में इसी सीट से हार चुके हैं। कांग्रेस ने उन्हें दूसरी बार मौका दिया है। हालांकि कामठी शहर में मुस्लिमों की आबादी 50 प्रतिशत से अधिक है। इसका लाभ कांग्रेस उम्मीदवार को मिल सकता है। लेकिन नगर पालिका के सभासद रह चुके होटल व्यवसायी प्रमोद यादव कहते हैं कि बावनकुले का काम मुस्लिमों के बीच भी बहुत है। इसलिए उन्हें मुस्लिमों के भी वोट मिलेंगे।