MP Politics: अब कांग्रेस संगठन में होगा बड़ा बदलाव, कमलनाथ ने राहुल गांधी से की मुलाकात; छोड़ सकते हैं पद
बैठक में ही संकेत दिए कि संगठन में बड़े स्तर पर परिवर्तन किया जाएगा। उधर कमल नाथ भी प्रदेश अध्यक्ष का पद छोड़ सकते हैं। वे पहले भी इसकी पेशकश कर चुके हैं लेकिन तब विधानसभा चुनाव को देखते हुए यह नहीं हो पाया था। दरअसल संगठन चुनाव के बाद प्रदेश इकाई में कई पदों पर नियुक्ति होनी थीं जो नहीं हुई।

राज्य ब्यूरो, भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा का चुनाव प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ की अगुवाई में लड़ा गया। पार्टी नेताओं ने उन्हें हर मंच से चेहरा के तौर प्रस्तुत किया पर अब जब परिणाम आशाओं के विपरीत आए हैं तो संगठन में परिवर्तन की बात चल पड़ी है।
परिणाम की समीक्षा के लिए बुलाई बैठक में भी कई उम्मीदवारों ने ऊपर से लेकर नीचे तक संगठन में परिवर्तन करने की बात कही है। इस बीच कमल नाथ ने दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी से भेंट की। संभावना जताई जा रही है कि वे प्रदेश अध्यक्ष पद छोड़ सकते हैं। सूत्रों का कहना है कि प्रदेश संगठन में ऊपर से नीचे तक परिवर्तन को लेकर मंथन शुरू हो गया है।
आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए केंद्रीय संगठन भी इस दिशा में मंथन कर रहा है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ जब केंद्रीय नेताओं से मिले तो उन्होंने ऐसा चुनाव परिणाम आने के कारण पूछे। उन्होंने सभी उम्मीदवारों की बैठक में मिली जानकारी से अवगत कराते हुए कहा कि दस दिन में अपने-अपने क्षेत्र में हार-जीत का विश्लेषण और संगठन की समीक्षा करके रिपोर्ट देने के लिए कहा है।
बताया जा रहा है कि बैठक में ही संकेत दिए कि संगठन में बड़े स्तर पर परिवर्तन किया जाएगा। उधर, कमल नाथ भी प्रदेश अध्यक्ष का पद छोड़ सकते हैं। वे पहले भी इसकी पेशकश कर चुके हैं लेकिन तब विधानसभा चुनाव को देखते हुए यह नहीं हो पाया था। दरअसल, संगठन चुनाव के बाद प्रदेश इकाई में कई पदों पर नियुक्ति होनी थीं, जो नहीं हुई। बूथ, सेक्टर और मंडलम स्तर तक संगठन के विस्तार का दावा किया गया पर चुनाव में इसका कोई लाभ नहीं मिला। मंगलवार को हुई चुनाव परिणाम की समीक्षा में भी संगठन पदाधिकारियों के काम नहीं करने की बात सामने आई।
युवा और नए चेहरों को आगे लाना चाहता है केंद्रीय संगठन
सूत्रों का कहना है कि विधानसभा चुनाव में केंद्रीय संगठन ने कमल नाथ और दिग्विजय सिंह को फ्री-हैंड दिया था पर दोनों ही कोई कमाल नहीं दिखा पाए। कई जगहों पर गुटबाजी खुलकर सामने आई। इसका नुकसान भी पार्टी को उठाना पड़ा। अब केंद्रीय संगठन नया नेतृत्व तैयार करना चाहता है।
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