MP Election 2018: दिग्विजय बन सकते हैं CM, इसलिए भाजपा उनके कार्यकाल की याद दिलाते हैं
MP Chunav 2018: दिग्विजय सिंह के मुख्यमंत्री बनने की संभावना को देखते हुए भाजपा लोगों को उनके पिछले कार्यकाल की याद दिलाती है।
भोपाल, नवदुनिया स्टेट ब्यूरो। भाजपा के प्रदेश प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे ने बार-बार दिग्विजय सिंह सरकार पर
आरोप लगाने की भाजपा की रणनीति को लेकर कहा कि कांग्रेस ने अभी यह नहीं कहा है कि वह दिग्विजय सिंह को मुख्यमंत्री नहीं बनाएगी। उनके मुख्यमंत्री बनने की संभावना को देखते हुए लोगों को उनका पिछला कार्यकाल भाजपा याद दिलाती है। यह बात सहस्त्रबुद्धे ने नवदुनिया से विशेष बातचीत में कही।
कांग्रेस के 'गुस्सा आता है" कैंपेन को भाजपा द्वारा काउंटर करने के सवाल पर वे बोले कि पार्टी काउंटर नहीं कर रही है। कांग्रेस के इस दावे में जो फिजूलपना और हल्कापन है, उसे सामने ला रहे हैं। संसद में राजकुमार जाकर पीएम के गले लगते हैं और हम प्यार-मोहब्बत की राजनीति कर रहे हैं। विज्ञापन में वे गुस्सा दिखाते हैं। कांग्रेस आर्टिफिशियल गुस्सा बनाने की कोशिश कर रही है।
नवदुनिया संवाद
- टिकट वितरण में भाजपा को दिक्कतें आईं। आप बागियों को मना नहीं पाए, ऐसा क्यों?
- पार्टी के एक करोड़ के लगभग सदस्य हैं। इतने समय से सत्ता में हैं। आकांक्षा का भंडार खुल जाता है। लोगों को तुरंत राजनीति में आने के बाद आकांक्षा जागती है, उसे रोकना मुश्किल होता है। किसी को कम नहीं आंक रहे हैं, लेकिन यह चुनौती नहीं बनी है। उसका कारण है कि संगठनधर्मी रहते हुए जब मुख्यधारा से अलग हो जाते हो तो आपका अस्तित्व समाप्त हो जाता है। मुख्यधारा का अंग बने रहेंगे, तभी अस्तित्व रहता है।
- बाबूलाल गौर और सरताज सिंह को उम्र का हवाला देकर हटाया गया और 70 साल से ज्यादा के उम्र के 9 लोगों को टिकट दे दिया?
- एक संकेत ये है कि पार्टी दूसरी पंक्ति को आगे लाना चाहती है। सभी पार्टी में ऐसा होता है। हमारी अपेक्षा है कि बुजुर्ग नए लोगों के लिए अवसर का निर्माण करें। इसका कोई नियम नहीं बनाया जा सकता। जहां संभव
हुआ, अमल किया। जहां नहीं, वहां वास्तविकता स्वीकार की।
- आप मप्र में शहरी विकास के दावे करते हैं और शहरी विकास मंत्री का ही टिकट काट दिया?
- ऐसा नहीं होता है। यह सामूहिक नेतृत्व है, मंत्री पद पर रहने से ही काम आगे बढ़े, यह जरूरी नहीं। मंत्री के चुनाव न लड़ने से काम समाप्त होगा, यह नहीं माना जाना चाहिए। उस मंत्री के चुनाव क्षेत्र की भी कोई आवश्यकता होती है, उसे देखकर पार्टी ने निर्णय लिया है।
- घोषणा पत्र में तमाम वादे किए। मौजूदा खर्च नहीं चल रहा, इनके लिए पैसा कहां से आएगा, यह नहीं बताया?
- मप्र की अर्थव्यवस्था अनुशासित और विकसित है। राजकोषीय घाटा 3 प्रतिशत के नीचे है। अन्य राज्यों की तरह भयावह स्थिति नहीं है। पैसा जरूर लेकर आएंगे और काम करेंगे।
- 15 साल की सरकार के बाद भी दिग्विजय सरकार की याद दिलाते हैं। ऐसा नहीं लगता कि भाजपा को दिग्विजय फोबिया है?
- ऐसा बिल्कुल नहीं है। जब हम कांग्रेस के प्रदर्शन की बात करेंगे तो दिग्विजय सरकार के काम पर तो बात करेंगे ही। आज की जनता को मनमोहन सिंह और दिग्विजय सिंह की सरकार याद दिलाएंगे। जब कांग्रेस ने खारिज नहीं
किया है कि दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे तो उनके फिर से मुख्यमंत्री बनने की संभावना तो रहती ही है।
- तो क्या भाजपा मान कर चल रही है कि कांग्रेस की सरकार बनी तो दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री बन सकते हैं?
- यह हमें नहीं पता। जिस जिले में जाते हैं, वहां नया नाम मुख्यमंत्री के लिए सामने आता है। कभी कमलनाथ, कभी सिंधिया, कभी पचौरी।
- भाजपा कांग्रेस की बातों को टि्वस्ट कर सियासी लाभ लेने की कोशिश क्यों करती है, संघ की शाखा का ही उदाहरण लें?
- इसके लिए कांग्रेस का इतिहास उत्तरदायी है। यह बात छोटी-सी करते हैं, लेकिन एजेंडा बड़ा होता है। इंदिरा गांधी ने कब कहा कि संघ पर पाबंदी लगाएंगे, लेकिन उन्होंने लगाया। किसी भी स्कूल में संघ की शाखा नहीं लगती, लेकिन वह कह रहे हैं। उनके मन की बात को उजागर कर लोगों को सचेत करना हमारा काम है। राम वन गमन पथ की बात करते हैं, लेकिन इस पथ की शुरुआत अयोध्या से होती है, वहां के मंदिर बारे में चुप्पी
साध रखी है।
- तो इसमें आपको क्यों दिक्कत हो रही है?
- हमें कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन यह खोखला है। गांधीजी के गुरु गोपाल कृष्ण गोखले ने कहा था कि राजनीति
का आध्यात्मीकरण होना चाहिए, कांग्रेस आध्यात्म का राजनीतिकरण कर रही है।
- शुरुआत तो आपने राम मंदिर से की थी?
- उस मामले में हम राजनीति के आध्यात्मीकरण के माध्यम से जनता के बीच जा रहे थे। ये तो हमारी निष्ठा पार्टी के जन्म से है। अयोध्या, गौसंरक्षण, धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं देने के बारे में हम जनसंघ से बात कर रहे हैं, कांग्रेस इस मामले में स्वांग रच रही है।
- आप पर आरोप है कि प्रदेश प्रभारी रहते हुए आप पिछले एक साल से प्रदेश में सक्रिय नहीं रहे और अब चुनाव के समय सक्रिय हैं?
- मेरे पास दिसंबर में नया दायित्व आया, उसे ज्यादा समय देना जरूरी था। क्योंकि वह अंतर्राष्ट्रीय स्तर का संस्थान था। छह महीने मैंने वहां ध्यान दिया, जून से मैं मप्र में सक्रिय हूं।
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