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    MP Election 2018: डायमंड शहर पन्ना में कसौटी पर भाजपा का 'प्रताप'

    By Prashant PandeyEdited By:
    Updated: Mon, 26 Nov 2018 08:21 AM (IST)

    MP Election 2018: दुनियाभर में डायमंड शहर के रूप में मशहूर पन्ना जिले की तीनों (पन्ना, गुन्नौर एवं पवई) सीटों पर चुनावी सरगर्मी चरम पर है।

    MP Election 2018: डायमंड शहर पन्ना में कसौटी पर भाजपा का 'प्रताप'

    पन्ना, राजीव सोनी। दुनियाभर में डायमंड शहर के रूप में मशहूर पन्ना जिले की तीनों (पन्ना, गुन्नौर एवं पवई) सीटों पर चुनावी सरगर्मी चरम पर है। पन्ना में भाजपा ने वरिष्ठ नेत्री एवं मंत्री कुसुम मेहदेले का टिकट काटकर पवई से पिछली बार हारे ब्रिजेंद्र प्रताप सिंह को मैदान में उतारा है। वे भितरघात और स्थानीय नेताओं के असंतोष जैसी दो तरफा चुनौतियों से जूझ रहे हैं। कांग्रेस से शिवजीत सिंह 'भैया राजा' हैं लेकिन बसपा की अनुपमा चरणसिंह यादव की मौजूदगी और तैयारी ने दोनों ही दलों की धड़कनें बढ़ा दी हैं। ब्राह्मण वोट निर्णायक हो गए हैं।

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    उधर, पवई सीट पर कांग्रेसी दिग्गज मुकेश नायक के सामने भाजपा के पैराशूट प्रत्याशी प्रहलाद लोधी चुनावी अखाड़े में हैं। सपा-बसपा और आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों ने यहां मुकाबला रोचक कर दिया है। जिले की मुख्य समस्याओं में गरीबी, पिछड़ापन, पलायन, बेरोजगारी और हीरा-पत्थर खदानों का दम तोड़ते जाना है। गांवों से हजारों लोग पलायन कर चुके हैं।

    जिला अस्पताल में बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल पातीं। पन्ना सीट अजयगढ़, घाटी के ऊपर और नीचे तक फैली है। घाटी के नीचे मतदाताओं की प्रकृति अलग है। 19 प्रत्याशी मैदान में हैं जिनके बीच संघर्ष त्रिकोणीय है, उप्र के खनन कारोबारी चरणसिंह यादव का चुनावी मैनेजमेंट दोनों दलों को चौंका रहा है। खासतौर पर लोधी, कुरमी, ब्राह्मण, यादव, अजा एवं अन्य ऐसे समाज जिनके डेढ़-दो हजार मतदाता हैं उनके झुकाव पर सारा दारोमदार है।

    राज परिवार असरहीन

    एक समय क्षेत्र में राजनीति की दिशा तय करने वाला पन्ना राज घराना इस चुनाव में असरहीन दिख रहा है। 2013 में कुछ पूछ-परख थी लेकिन इस बार किसी ने तवज्जो ही नहीं दी। 2013 के चुनाव के दौरान जिले से लेकर भाजपा मुख्यालय तक सक्रिय रहीं महारानी जीतेश्वरी देवी इन दिनों दिल्ली में हैं। स्थानीय कार्यकर्ताओं का कहना है कि अब सियासत में राजघराने का कोई वजन नहीं रहा।

    पवई: बागी से सशंकित

    पवई में कांग्रेस के बागी अनिल तिवारी और सपा की साइकल से मुकेश नायक सशंकित भी हैं। इसकी काट के लिए उन्होंने कुरमी और लोधी समाज में घुसपैठ की कोशिशें तेज कर दी हैं। भाजपा प्रत्याशी का पिछला रिकॉर्ड भी भाजपाइयों की नाराजी का कारण है। क्षेत्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सबसे वरिष्ठ पदाधिकारी एवं किसान आयोग के अध्यक्ष रहे डॉ. राजेंद्र कुमार पाठक कहते हैं इससे बेहतर विकल्प भी मौजूद थे। इसका नुकसान भाजपा के खाते में जाएगा।

    गुन्नौर में बागड़ी फैक्टर

    गुन्नौर सीट पर भी कमोबेश यही स्थिति है, यहां प्रदेश में सबसे कम 4 प्रत्याशी ही मैदान में हैं। भाजपा से पूर्व विधायक राजेश वर्मा, शिवदयाल बागड़ी कांग्रेस, जीवन लाल सिद्धार्थ बसपा एवं खिलावन प्रसाद उर्फ खिल्लू सपाक्स की ओर से ताल ठोक रहे हैं। पूर्व विधायक महेंद्र बागड़ी की नाराजी भाजपा प्रत्याशी पर भारी पड़ रही है। 2013 में टिकट कटने के बाद वे क्षेत्र में नहीं दिखे।

    मतदाता ने ओढ़ी खामोशी

    पूर्व मंत्री मेहदेले ने पिछला चुनाव 29 हजार से अधिक मतों से जीता था। इस बार स्थितियां बदली हैं। ऐसे में चुनावी ऊंट की करवट को लेकर सियासी दल आशंकित हो गए हैं। शहर के सभी 22 वार्डों में मतदाताओं ने भी खामोशी ओढ़ ली है। भाजपा के पारंपरिक वोटर ब्राह्मण, यादव, लोधी और कुरमी इस बार विभाजित हैं।

    'जिज्जी' टिकट नहीं मिलने से नाराज

    टिकट कटने के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं और जनता का ठंडा रिस्पांस देख मंत्री कुसुम मेहदेले ने भी मौन साध लिया। वे नाराज हैं लेकिन सत्ता-संगठन और मौजूदा प्रत्याशी ने भी उनसे संपर्क नहीं किया। चंद रोज पहले उनके बंगले पर कार्यकर्ताओं की भीड़ लगती थी वहां सन्नाटा है। उनके भाई और परिजन घर के बाहर बैठे मिले, बोले- जिज्जी को टिकट नहीं दिया इससे लोग नाराज हैं। पार्टी को भितरघात की आशंका भी सता रही है। शहर के युवा कारोबारी नीलेश सोनी कहते हैं कि रोजगार के साधन बढ़ाने के लिए किसी भी दल ने कोई काम नहीं किया।

    उलझे हैं समीकरण

    पन्ना में इस बार भाजपा-कांग्रेस दोनों ने ठाकुर प्रत्याशी उतार दिए हैं। ब्राह्मण फैक्टर भी काम कर रहा है, इसलिए सीट फंसी हुई है। भाजपा प्रत्याशी बिजेंद्र सिंह दो बार जीते एक बार हार चुके हैं वैसे उम्मीद है कि बारीक अंतर से भाजपा सीट निकाल लेगी। पवई और गुन्नौर सीट पर जीत के समीकरण उलझ गए हैं। -महारानी जीतेश्वरी, पन्ना

    बिना बुलाए कैसे जाऊं

    हम तो दीपावली के बाद घर से ही नहीं निकले, पार्टी में भी किसी ने कुछ नहीं कहा। ऐसे में बिना बुलाए प्रचार पर निकलना भी ठीक नहीं। प्रत्याशी की जीत के बारे में कुछ कह नहीं सकते। जिले की तीनों सीटों पर जो टिकट वितरण हुआ वह सबके सामने है, आप क्षेत्र में घूम रहे स्वयं ही आकलन कर लें मैं क्या कहूं? -कुसुम सिंह मेहदेले, मंत्री मप्र