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    MP Election Result 2018: जनता ने नारों से किया डीएनए टेस्ट

    MP Election Result 2018: मप्र विधानसभा चुनाव में जिस तरह के नारे जनता की तरफ उछाले गए, वे दोनों ही दलों की नीति और नीयत का श्वेत पत्र हैं।

    By Prashant PandeyEdited By: Updated: Wed, 12 Dec 2018 09:56 AM (IST)
    MP Election Result 2018: जनता ने नारों से किया डीएनए टेस्ट

    इंदौर, ओम द्विवेदी। नारे अगर जुमले न हों तो किसी भी दल का घोषणा पत्र होते हैं। मप्र विधानसभा चुनाव में जिस तरह के नारे जनता की तरफ उछाले गए, वे दोनों ही दलों की नीति और नीयत का श्वेत पत्र हैं। इन नारों में व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप हैं तो प्रदेश के भविष्य का मानचित्र भी है। भाजपा और कांग्रेस के शब्द और उनकी तुकबंदी भले ही अलग हो, दोनों का भावार्थ तकरीबन एक जैसा है। कुछ नारे जो कभी भाजपा के खेमे में थे इस बार कांग्रेस के पाले में रहे। इसी तरह कुछ नारों ने पाला बदलकर कांग्रेस की बजाय भाजपा का साथ दिया।

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    जैसे-15 साल पहले जब कांग्रेस सत्ता में थी तब भ्रष्टाचार और प्रदेश की बदहाली भाजपा के नारों का भरण-पोषण कर रही थी, वे सभी नारे इस चुनाव में कांग्रेस ने हथिया लिए थे। तब सत्ता में रहते हुए कांग्रेस विकास की बात करती थी, इस बार भाजपा ने समृद्ध मध्यप्रदेश की बात करते हुए उसे अपनी गांठ में गठिआया। दोनों दलों के नारे शब्द- संयोजन में भी एक-दूसरे को मात देने में लगे रहे।

    परंपरागत शब्दावलियों से किस तरह बचने का प्रयास किया गया, इसीलिए घोषणा पत्र जैसा शब्द दोनों दलों के लिए अछूत हो गया। कांगे्रस ने इसे 'वचन पत्र कहा तो भाजपा ने 'दृष्टि पत्र। इस चुनाव ने दो नारों को जन-जन की जुबान तक पहुंचाया। 'माफ करो महाराज, हमारा नेता शिवराज और 'वक्त है बदलाव का। प्रदेश की जनता ने इन्हीं दोनों नारों से दोनों दलों का डीएनए टेस्ट किया।

    भाजपा के नारे : माफ करो महाराज, हमारा नेता शिवराज

    भाजपा की तरफ से सर्वाधिक नारे तैयार किए गए। इन नारों का नेतृत्व किया 'माफ करो महाराज, हमारा नेता शिवराज ने। कांग्रेस पर तरह-तरह के हमलों और प्रदेश के विकास के सारे मुद्दों की अगुवाई इस नारे ने की। ये नारे इस तरह तैयार किए गए उसका एक हिस्सा कांग्रेस और उसके नेताओं पर धारदार वार करे और दूसरा हिस्सा शिवराजसिंह चौहान की छवि को जनहितैषी और लोकप्रिय सिद्ध करे। नारों की इस सीरीज में से एक-दो नारों पर गौर कीजिए-'वो चांदी के बर्तनों में छप्पन भोग उड़ाते रहे, शिवराज एक स्र्पए किलो में गरीबों को अनाज दिलवाते रहे। 'वो अहंकार में चूर, बुजुर्गों से अपने पांव छुआते रहे, शिवराज बुजुर्गों को तीर्थदर्शन करा बेटे का कर्तव्य निभाते रहे। जैसे-जैसे चुनाव करीब आया नारों की संख्या भी बढ़ी और आक्रामकता भी। नकारात्मकता से उबरने के लिए सकारात्मकता का एक उद्घोष किया- 'भविष्य का संदेश, समृद्ध मध्यप्रदेश। मतदान के ठीक एक दिन पहले सभी नारों को एक सूत्र में पिरोया गया और उन्हीं के आधार पर जनता से वोट मांगा-'आपका एक वोट बंटाधा के विशेषज्ञों से आपको बचाएगा/ केंद्र और राज्य दोनों में सरकार बना विकास का डबल इंजन लगाएगा/ नामदारों को दूर कर फिर कामदारों की सरकार बनाएगा/ गरीबों को संबल देकर फिर सही मायनों में गरीबी हटाएगा/बेटियों को सशक्त और सुरक्षित बनाएगा/युवाओं की आकांक्षाओं से प्रेरित प्रदेश बनाएगा/ प्रदेश को समृद्ध और शक्तिशाली बनाएगा/हर पैमाने पर भारी, सरकार हमारी/पंद्रह साल सुधार के, प्रतिबद्ध सरकार के/अबकी चौथी पारी है, समृद्धि की बारी है/विचार और सरकार में फर्क होता है/सरकार, सरकार में फर्क होता है।

    कांग्रेस के नारे : वक्त है बदलाव का

    भाजपा के मुकाबले कांग्रेस के नारों की संख्या में कम रही, लेकिन वे जनता के दिल-दिमाग में उसी शिद्दत से उतरे। कांग्रेस के नारों का नेतृत्व किया 'वक्त है बदलाव का ने। यह नारा इस कदर लोकप्रिय हुआ कि हर तीसरा आदमी वक्त- बेवक्त इसे बोलने लगा। भाजपा के नारों और विज्ञापनों का जवाब देते हुए कांग्रेस ने यहां से शुरुआत की- 'कांग्रेस का वादा, विज्ञापन कम, काम ज्यादा। प्रदेश के दर्द को इस नारे में भरा' घोटालों की भरमार, लाखों बेरोजगार, बेहाल किसान, महिलाओं पर अत्याचार, देख ली अच्छे दिन वाली भाजपा सरकार। जिन किसानों पर भाजपा सरकार की बहुतेरी योजनाएं केंद्रित रहीं, उनके लिए कांग्रेस ने सात वचन इस तरह तैयार किए-'किसानों का कर्जा माफ, बिजली पूरी बिल हाफ, परिवार और फसल का 5 लाख का बीमा, वृद्ध किसानों को 1000 रुपए प्रतिमाह पेंशन, किसानों को दूध, सब्जी अनाज का उत्पादन बोनस सीधा खाते में, मंडी शुल्क में होगी कटौती और हर पंचायत में गोशाला।

    मतदान के पहले कांग्रेस ने भी इस नारे के साथ अपील की- 'हम बदलाव के लिए घर से निकलेंगे/मालवा-निमाड़ की आस बनकर निकलेंगे/महाकोशल-विंध्य की गुहार बनकर निकलेंगे/बघेलखंडबुंदेलखंड की हुंकार बनकर निकलेंगे/ मध्यप्रदेश के कोने-कोने जर्रे-जर्रे से उठी पुकार बनकर निकलेंगे/हमारी पावन धरा मांग रही है अपनी संतानों के लिए एक नया सवेरा/उसके स्वाभिमान के लिए घर से निकलेंगे/आज सिर्फ कांग्रेस को वोट करेंगे।' कांग्रेस ने मतदान के अंतिम दिनों में यह प्रयोग भी किया-'गैस, डीजल पेट्रोल महंगा करने वाली भाजपा सरकार की उल्टी गिनती शुरू। समापन इस तरह से- 'प्रदेश के युवा महिला, किसान और सभी नागरिकों को ठगने वाली भाजपा सरकार के दिन पूरे/कांग्रेस के साथ वक्त है बदलाव का।