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    18 बार हुई जमानत जब्त! पिता और पत्नी भी नहीं जीत सके चुनाव, 19वीं बार फिर ठोक रहे ताल; गजब है इंदौर का यह उम्‍मीदवार...

    मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस और बीजेपी ने लगभग अपने सभी प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। इस बीच कुछ ऐसे भी उम्मीदवार हैं जो बरसों से चुनाव में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं लेकिन उन्हें अभी तक सफलता हाथ नहीं लगी है। साल-दर-साल चुनाव आते गए लेकिन लगातार हार का सामना करने वाले इन प्रत्याशियों ने हर बार जनता के बीच में जाकर वोट मांगा है।

    By Abhinav AtreyEdited By: Abhinav AtreyUpdated: Mon, 23 Oct 2023 05:45 PM (IST)
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    परमानंद तोलानी ने इंदौर-4 सीट से निर्दलीय नामांकन दाखिल किया (फोटो, Parmanand Tolani Facebook)

    पीटीआई, इंदौर। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस और बीजेपी ने लगभग अपने सभी प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। इस बीच कुछ ऐसे भी उम्मीदवार हैं जो बरसों से चुनाव में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं, लेकिन उन्हें अभी तक सफलता हाथ नहीं लगी है। साल-दर-साल चुनाव आते गए, लेकिन लगातार हार का सामना करने वाले इन प्रत्याशियों ने हर बार जनता के बीच में जाकर वोट मांगा है।

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    ऐसे ही एक प्रत्याशी इंदौर के परमानंद तोलानी हैं, जिन्होंने पिछले साढ़े तीन दशकों में लड़े गए विभिन्न चुनावों में 18 बार हार मिली है। परमानंद ने 18 बार हारने के बाद भी उम्मीद नहीं खोई है और अब इस बार के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर आगामी मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल किया है।

    चुनाव लड़ने से मेरा आत्मविश्वास बढ़ता है- परमानंद तोलानी

    परमानंद तोलानी (63 साल) इंदौर में रियल एस्टेट का कारोबारा करते हैं, उनका दावा है कि चुनाव लड़ने से उनका आत्मविश्वास बढ़ता है। हालांकि, हर चुनाव में उन्होंने अपनी जमानत जब्त करवाई है। हर चुनावों में हर मिलने के कारण उन्हें 'इंदौरी धरती पकड़' की उपाधि मिली हुई है। उन्हें यह नाम उत्तर प्रदेश के बरेली के दिवंगत काका जोगिंदर सिंह उर्फ 'धरती पकड़' से मिला है, जिन्होंने देश में कई चुनाव लड़े और हारे थे।

    इंदौर-4 सीट से निर्दलीय नामांकन दाखिल किया

    परमानंद तोलानी ने 17 नवंबर को होने वाले मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए सोमवार (23 अक्टूबर) को इंदौर-4 सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर अपना नामांकन दाखिल किया। उनका परिवार गैर-राजनीतिक पृष्ठभूमि से आता है, मगर वह शहर में चुनाव लड़ने के लिए प्रसिद्ध हैं। हैरानी ही बात है कि परमानंद के परिवार का कोई भी सदस्य आज तक कोई चुनाव नहीं जीत सका है, बल्कि हर बार उन्हें अपनी जमानत भी गंवानी पड़ती है।

    तोलानी के पिता 30 साल तक अलग-अलग कई चुनाव लड़े

    परमानंद तोलानी के पिता 30 साल तक अलग-अलग कई चुनाव लड़े और उनकी बेटी ने भी इस अनोखे पारिवारिक परंपरा में शामिल होकर चुनाव लड़ा। नामांकन दाखिल करने के बाद तोलानी ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा, "यह मेरा 19वां चुनाव होगा। इससे पहले मैं लोकसभा, विधानसभा और मेयर पद सहित 18 बार चुनाव लड़ चुका हूं।"

    तोलानी अपनी पत्नी को भी मेयर का चुनाव लड़ाया

    उन्होंने कहा कि एक बार उन्होंने अपनी पत्नी लक्ष्मी तोलानी को भी मेयर का चुनाव लड़ाया था, क्योंकि उस समय मेयर का पद महिला उम्मीदवार के लिए आरक्षित था। हालांकि, हर बार की तरह उनको इस चुनाव में भी सफलता हाथ नहीं लगी। उन्होंने कहा, "इंदौर के लोग बहुत बुद्धिमान हैं। मुझे उम्मीद है कि वे कभी न कभी मुझे विजयी जरूर बनाएंगे।"

    तोलानी ने मतदाताओं से किया वादा

    तोलानी ने कहा कि इस बार उन्होंने मतदाताओं से वादा किया है कि अगर वह चुनाव जीतते हैं, तो वह लोगों को 1,000 वर्ग फुट तक के भवनों पर संपत्ति कर से और नगर निगम द्वारा लिए जाने वाले शुल्क से पूरी छूट सुनिश्चित करेंगे। इसके साथ ही उन्होंने हर घर के दरवाजे से कचरा उठवाने का वादा किया है।

    उन्होंने कहा कि उनके पिता मेथाराम तोलानी इंदौर में एक प्रिंटिंग प्रेस चलाते थे, जिन्होंने अपने जीवनकाल में 30 सालों तक लगातार अलग-अलग चुनाव लड़े थे। तोलानी ने कहा कि साल 1988 में मेरे पिता की मृत्यु के बाद मैंने 1989 से चुनाव लड़ना शुरू किया।

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