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नेताजी की बात मान शादी में किया ये काम तो जाना पड़ सकता है जेल; जुर्माना भी लगेगा

आचार संहिता सिर्फ राजनीतिक दलों व नेताओं पर लागू होती है। अगर आप भी ऐसा सोचते हैं तो सावधान हो जाएं। आम लोग भी अगर आचार संहिता का उल्लंघन करते हैं तो उन्हें भी जेल हो सकती है। अगर कोई व्यक्ति किसी राजनीतिक पार्टी या उम्मीदवार के प्रचार अभियान से जुड़ा है तो उसे नियमों को लेकर जागरूक रहना होगा।

By Jagran News Edited By: Deepti Mishra Published: Fri, 19 Apr 2024 12:52 PM (IST)Updated: Fri, 19 Apr 2024 12:52 PM (IST)
Lok Sabha Chunav 2024: सतर्क रहें कहीं आचार संहिता के उल्‍लंघन में जेल न हो जाए।

 रोहित कुमार, चंडीगढ़। लोगों में यह धारणा होती है कि आचार संहिता सिर्फ राजनीतिक दलों व नेताओं पर लागू होती है। अगर आप भी ऐसा सोचते हैं तो सावधान हो जाएं।

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आम लोग भी अगर आचार संहिता का उल्लंघन करते हैं तो उन्हें भी जेल हो सकती है। अगर कोई व्यक्ति किसी राजनीतिक पार्टी या उम्मीदवार के प्रचार अभियान से जुड़ा है तो उसे नियमों को लेकर जागरूक रहना होगा।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अगर आपने किसी शादी या कोई अन्य कार्यक्रम के लिए कार्ड छपवाया है और उस पर किसी पार्टी का चुनाव चिन्ह लगाया है तो चुनाव आयोग आपसे जवाब मांग सकता है। इसके लिए आपको जुर्माना भी भुगतना पड़ सकता है। आप जेल भी जा सकते हैं। यह खर्च पार्टी प्रत्याशी या फिर पार्टी के खर्च में भी जोड़ा जा सकता है।

नेता की सुनी तो जुर्माना लगेगा

इसी तरह गली-मोहल्लों में होने वाले कार्यक्रमों में किसी भी आम लोग पार्टी के लिए चुनाव प्रचार नहीं कर सकते। अगर कोई नेता नियमों के खिलाफ काम करने के लिए कहता है और आप वैसा कर देते हैं तो आचार संहिता की जानकारी न होने की बात कहकर बच नहीं सकते।

चुनाव के दौरान इंटरनेट मीडिया पर पोस्ट करते समय आम लोग भी सावधानी बरतें। हेट स्पीच से लेकर फेक न्यूज फैलाने वालों पर आयोग नजर रख रहा है। ऐसे में आप के खिलाफ आईटी एक्ट के तहत केस दर्ज हो सकता है, जिसमें आप को छह माह की कैद और जुर्माना भी हो सकता है। अपने क्षेत्र में सार्वजनिक उद्घाटन और शिलान्यास किसी भी नेता या पार्टी कार्यकर्ता से नहीं करवा सकते।

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ऐसा करना भी पहुंचा सकता है जेल

कोई भी व्यक्ति सरकार की उपलब्धियों वाले विज्ञापन प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और दूसरे मीडिया में नहीं दे सकता। धर्म को लेकर टिप्पणी नहीं कर सकता है। धार्मिक स्थानों का चुनाव प्रचार के मंच के रूप में प्रयोग नहीं कर सकता।

जाति या सांप्रदायिक भावनाओं के आधार पर कोई अपील नहीं की जा सकती। अगर समाजसेवी संस्थाएं और मंदिर कमेटियां ऐसा करती हैं तो उन पर कार्रवाई हो सकती है। उन पर केस दर्ज किया जा सकता है।

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