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हर चरण में बदल रहे चुनावी मुद्दे, मोदी की गारंटी, मंगलसूत्र और आरक्षण के बाद अब यहां तक आई बात

Lok Sabha Election 2024 दो चरणों का लोकसभा चुनाव संपन्न हो चुका है। हर चरण के साथ-साथ चुनावी मुद्दे भी बदल रहे हैं। मोदी की गारंटी केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग से शुरू हुआ चुनावी अभियान अब आरक्षण मंगलसूत्र से होते हुए फेक वीडियो तक आ पहुंचा है। चुनावी समर में कच्छत्तीवु और पश्चिम बंगाल का संदेशखाली मुद्दा भी खूब उठा।

By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Published: Wed, 01 May 2024 10:26 PM (IST)Updated: Wed, 01 May 2024 11:44 PM (IST)
लोकसभा चुनाव 2024: हर चरण में बदल रहे हैं मुद्दे।

नीलू रंजन, नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के हर चरण के मतदान में मुद्दे बदल रहे हैं। मोदी की गारंटी और केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग के मुद्दे से शुरू हुआ प्रथम चरण का मतदान दूसरे चरण में संसाधनों के बंटवारे से होते हुए तीसरे चरण में आरक्षण पर आ गया है।

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एससी, एसटी और ओबीसी आरक्षण को खत्म करने और बचाए रखने के दावे के साथ भाजपा और कांग्रेस एक-दूसरे पर हमलावर हैं। प्रचार के दौरान भाजपा और कांग्रेस के सभी नेताओं के भाषणों को देखें तो इन्हीं मुद्दों के इर्द-गिर्द रहे हैं। जाहिर है आगे के अन्य चार चरणों में चुनावी प्रचार में नए-नए मुद्दों की इंट्री हो सकती है।

केजरीवाल की गिरफ्तारी को विपक्ष ने बनाया मुद्दा

चुनाव आयोग द्वारा सात चरणों में लोकसभा चुनाव की घोषणा के तत्काल बाद दिल्ली आबकारी नीति घोटाले में पहले बीआरएस प्रमुख के. चंद्रशेखर राव की बेटी के. कविता और बाद में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को विपक्ष ने बड़ा मुद्दा बनाया था।

भाजपा को मोदी की गारंटी का सहारा

केजरीवाल की गिरफ्तारी के विरोध में दिल्ली के रामलीला मैदान में हुई रैली में विपक्षी नेताओं ने केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग और लोकतंत्र पर खतरे को बड़े चुनावी मुद्दे के रूप में पेश किया था। वहीं भाजपा मोदी की गारंटी और 10 साल के प्रदर्शन के सहारे अबकी बार 400 पार का नारा दे रही थी।

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तमिलनाडु में कच्छत्तीवु और पश्चिम बंगाल में संदेशखाली के क्षेत्रीय मुद्दों को छोड़ दें तो पहला चरण का चुनाव कमोवेश इन्हीं मुद्दों पर केंद्रित रहा।

जब उठा विरासत कर का मुद्दा

पहले चरण का चुनाव खत्म होने के बाद राहुल गांधी ने तेलंगाना में प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए जाति आधारित गणना के साथ ही राष्ट्रव्यापी सर्वे और संपत्ति के बंटवारे का नया मुद्दा छेड़ दिया। इसे विस्तार से स्पष्ट करते हुए ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने संसाधनों के समान वितरण के लिए विरासत कर जैसी नीतियों की वकालत की।

मंगलसूत्र पर भी हुई सियासत

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसे तत्काल मध्यमवर्ग का बड़ा मुद्दा बनाते हुए महिलाओं के मंगलसूत्र छिनने और चार कमरे के फ्लैट में दो कमरे लेकर दूसरे को दिये जाने से जोड़ दिया। दूसरे चरण का मतदान होने तक भाजपा और विपक्षी दलों के नेताओं के बीच इसी को लेकर तकरार होती रही और प्रियंका गांधी ने राजीव गांधी के शहीद होने का हवाला देते हुए सोनिया गांधी द्वारा देश के लिए अपने मंगलसूत्र के बलिदान से इसका जवाब दिया।

दूसरे चरण के पहले इस मुद्दे पर अखबारों के लेख, टीवी चैनल के डिबेट और सोशल मीडिया पर चल रहे तर्क-वितर्क को देखकर ऐसा लगा कि कहीं पूरा चुनाव इसी मुद्दे पर न निकल जाए। लेकिन दूसरे चरण का चुनाव समाप्त होते ही नए मुद्दे की इंट्री हो गई।

डीप फेक वीडियो भी आया सामने

सबसे पहले आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का एक डीप फेक वीडियो सामने आया। खुद भागवत ने इसे फर्जी बताते हुए लोगों का सावधान किया और साथ ही आरक्षण को लेकर संघ की प्रतिबद्धता भी दोहरा दी।

फेक वीडियो में घिरी कांग्रेस

इसके बाद गृहमंत्री अमित शाह का ऐसा ही फेक वीडियो सामने आ गया, जिसे तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी समेत कांग्रेस और विपक्ष के तमाम नेताओं ने साझा किया था। इसके साथ ही कांग्रेस नेताओं ने भाजपा को एससी, एसटी, ओबीसी विरोधी बताते हुए कहना शुरू किया कि मोदी सरकार तीसरी बार सत्ता में आने के बाद बाबा साहब अंबेडकर का संविधान बदल देगी। इसके जवाब में दिल्ली पुलिस में एफआईआर के साथ ही भाजपा ने फेक वीडियो को बड़ा मुद्दा बनाते हुए कांग्रेस पर हमला बोल दिया।

भाजपा ने उठाया ये मुद्दा

एक कदम आगे बढ़ते हुए भाजपा ने आंध्रप्रदेश और कर्नाटक में ओबीसी कोटे से मुसलमानों का आरक्षण दिये जाने का हवाला देते हुए कांग्रेस को एससी, एसटी और ओबीसी आरक्षण का असली विरोधी करार दिया और साथ ही आरक्षण को बनाए रखने की गारंटी भी दे दी।

प्रधानमंत्री मोदी ने साफ किया कि उनके रहते आरक्षण को कोई छिन नहीं सकता है। उल्टे भाजपा आईएनडीआईए गठबंधन की सरकार आने की स्थिति में आरक्षण पर खतरे का आरोप लगा रहे हैं। इसके लिए रंगनाथ मिश्रा आयोग की रिपोर्ट से लेकर मनमोहन सिंह के पुराने भाषणों का इस्तेमाल किया जा रहा है।

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