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Ground Report: यूपी की इस सीट पर कांटे की टक्कर, केंद्रीय मंत्री की प्रतिष्ठा दांव पर लगी, चौंकाने वाले हैं यहां के समीकरण

Chandauli Lok Sabha Ground report उत्तर प्रदेश की चंदौली लोकसभा सीट पर इस बार मुकाबला दिलचस्प है। जातीय चक्रव्यूह में घिरे संसदीय क्षेत्र से तीसरी बार मैदान केंद्रीय मंत्री डॉ. महेन्द्र नाथ पाण्डेय मैदान में हैं। 27 वर्ष पहले मायावाती ने वाराणसी से अलग कर बनाया चंदौली जिला बनाया था। इस सीट पर इस बार भी जातीय समीकरण भावी हैं।

By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Published: Sun, 26 May 2024 11:21 AM (IST)Updated: Sun, 26 May 2024 11:21 AM (IST)
लोकसभा चुनाव 2024: चंदौली लोकसभा सीट की ग्राउंड रिपोर्ट।

अजय जायसवाल, जागरण, चंदौली। आम चुनाव के अंतिम चरण की हाई-प्रोफाइल लोकसभा सीटों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से बिल्कुल सटी चंदौली लोकसभा सीट भी है। यहां से मोदी सरकार में पहले कौशल विकास और अब भारी उद्योग मंत्रालय का दायित्व संभाल रहे डॉ. महेन्द्र नाथ पाण्डेय एक बार फिर चुनाव मैदान में हैं।

सपा से पूर्व मंत्री वीरेंद्र सिंह मैदान में

विपक्षी गठबंधन आईएनडीआईए से सपा ने पूर्व मंत्री वीरेंद्र सिंह को चुनावी अखाड़े में उतारा है। जातीय चक्रव्यूह में घिरी चंदौली सीट पर मोदी-योगी के नाम व काम के प्रभाव के साथ ही भाजपा एनडीए के सहयोगी दलों के दम पर सीधी लड़ाई में विपक्षी गठबंधन की धार को कुंद करते दिख रही है।

ताबड़तोड़ रैलियां कर रहे नेता

सपा गठबंधन भी महंगाई, बेरोजगारी जैसे मुद्दों के साथ ही पिछड़ेपन से जूझ रहे क्षेत्र में कोई भारी उद्योग न लगाने पर डॉ. पाण्डेय को घेरते हुए भाजपा की हैट्रिक पर ब्रेक लगाने की कोशिश में हैं। अबकी बसपा बेअसर है। चुनाव प्रचार के अंतिम दिनों में सभी दलों के बड़े नेता यहां सियासी हवा का रुख अपनी ओर मोड़ने को ताबड़तोड़ जनसभाएं करने में जुटे हैं।

27 साल पहले बना जिला

पूर्वांचल में वाराणसी से बिहार सीमा तक लगने वाली चंदौली लोकसभा सीट का ज्यादातर हिस्सा ग्रामीण है। ‘धान का कटोरा’ कहे जाने वाले चंदौली क्षेत्र को 27 वर्ष पहले मायावाती ने वाराणसी से अलग कर जिला बनाया था। तकरीबन 18,36,000 मतदाताओं वाला चंदौली आज भी पिछड़ेपन से उबरा नहीं है। यहां के ज्यादातर निवासी खेती पर निर्भर हैं, लेकिन सिंचाई के पर्याप्त साधन नहीं है।

जातीय समीकरण हावी

बुनियादी सुविधाओं का हाल भी बद्दतर है इसलिए क्षेत्रवासियों की नाराजगी जनप्रतिनिधियों के प्रति देखने को मिलती है। हालांकि, सिंचाई के साधन से लेकर पिछड़ेपन को दूर करने को चुनाव में विकास के मुद्दे पर जातीय समीकरण कहीं ज्यादा हावी है।

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तकरीबन 25 प्रतिशत वंचित समाज के साथ ही क्षेत्र में पिछड़े वर्ग से यादव, राजभर, निषाद-बिंद, पटेल-कुर्मी, मौर्य-कुशवाहा बिरादरी का दबदबा है। ब्राह्मण और क्षत्रियों के भी ठीक-ठाक वोट हैं। मुस्लिम आबादी 10 प्रतिशत से भी कम है।

भाजपा का यह है मजबूत पक्ष

चंदौली लोकसभा सीट की पांच विधानसभाओं में मुगलसराय, सकलडीहा, सैयदराजा के साथ ही वाराणसी जिले की शिवपुर और सुरक्षित सीट अजगरा है। वर्तमान में चार विधानसभा सीटों पर भाजपा और सकलडीहा पर सपा का कब्जा है। इस बार सपा-कांग्रेस साथ है तो बसपा अकेले। बसपा से सत्येन्द्र कुमार मौर्य मैदान में हैं।

इन योजनाओं का दिख रहा असर

गौर करने की बात यह है कि अपना दल(एस) के साथ ही सुभासपा, निषाद पार्टी के भी एनडीए में शामिल होने और जनवादी पार्टी के संजय चौहान का समर्थन मिलने से इस बार जहां भाजपा जातीय समीकरण साधने में कामयाब दिख रही है, वहीं मोदी-योगी सरकार द्वारा बड़े पैमाने पर कराए गए विकास कार्यों का प्रभाव खासतौर से शिवपुर व अजगरा सीट पर है। राम मंदिर का निर्माण व मुफ्त अनाज जैसी योजनाओं का असर तो पूरे संसदीय क्षेत्र में है।

यह है सपा का मजबूत पक्ष

दूसरी तरफ विधायक से लेकर मंत्री तक रहे सपा उम्मीद्वार वीरेंद्र सिंह पूर्व में कांग्रेस और बसपा में भी रहे हैं। गठबंधन होने से सपा के साथ ही कांग्रेसी भी वीरेंद्र सिंह की जीत के लिए पसीना बहाते दिख रहे हैं। वाराणसी के ही रहने वाले वीरेंद्र क्षेत्रवासियों के लिए अंजान नहीं हैं। उनके कई कॉलेज व दूसरे कारोबार इसी क्षेत्र में हैं।

यादव-मुस्लिम के साथ ही कुछ हद तक राजपूतों का झुकाव उनकी ओर दिखता है। महंगाई व बेरोजगारी से क्षेत्र के निवासियों में भाजपा के प्रति नाराजगी है। भारी उद्योग मंत्री होने के बावजूद क्षेत्र में कोई बड़ा उद्योग न लगवाने और संसदीय क्षेत्र में कम सक्रियता से डॉ. पाण्डेय के प्रति भी लोगों की नाखुशी है। क्षेत्रवासियों का तो यहां तक कहना है कि सांसद ही नहीं भाजपा विधायक भी जीतने के बाद बुनियादी सुविधाओं की बदहाली दूर करते नहीं दिखते।

मतदाताओं की राय

अजगरा के हरहुआ में कोईराजपुर मोड़ पर अशोक सिंह और सोपाल पाण्डेय बताते हैं कि वे महेन्द्र पाण्डेय को तो नहीं चाहते हैं, लेकन मोदी-योगी की मजबूरी में वह ‘कमल’ के साथ हैं। कहते हैं कि भाजपा ने प्रत्याशी बदल दिया होता तो उसे कोई दिक्कत ही नहीं थी।

'मोदी-योगी के काम का प्रभाव'

अजय सिंह कहते हैं कि न सांसद न विधायक, कोई यहां कुछ नहीं करते हैं फिर भी मोदी-योगी सरकार के काम को देखते हुए उन्हें ही जनता वोट देगी। कार सेवकों पर गोली चलवाने के लिए सपा को कोसते हुए काशी सिंह कहते हैं कि चंदौली न सही, लेकिन राष्ट्र का भला तो है। सिद्धांत नहीं स्वार्थ में वीरेंद्र पार्टी बदलते रहे, जबकि बेदाग छवि के डॉ. पाण्डेय भाजपा के ही सिद्धांतों पर चलते रहे हैं। ऐसे में मुझे जाति देखनी होती तो योगी की देखेंगे।

शिवपुर में मिठाई के कारोबारी अशोक गुप्ता कहते हैं कि आएंगे तो मोदी ही। भवानीपुर के कोटवा में पान की दुकान पर खड़े बनारसी साड़ी बनाने वाले बाबूद्दीन कहते हैं कि मुफ्त राशन तो मिलता है, लेकिन महंगाई से परिवार पालना मुश्किल है। संजय सवाल उठाते हैं कि दो किलो गेहूं व तीन किलो चावल से कैसे महीनेभर पेट भरेगा?

'चंदौली-गाजीपुर हाईवे का काम लटका'

सकलडीहा के चहनियां चौराहे पर मिले अमन यादव कहते हैं कि न अस्पताल खुला है और न ही स्टेडियम यहां बना है। वर्षों से चंदौली-गाजीपुर हाईवे का काम भी लटका है। सयैदराजा के एवेती गांव में रहने वाले अशोक पाण्डेय व महानंद चौबे योगी सरकार से इसलिए खुश हैं, क्योंकि माफिया अतीक व मुख्तार की मौत से बड़े से बड़े अपराधियों के हौसले पस्त हैं। मुगलसराय के रोहित, अरुण सिंह कहते हैं कि इस क्षेत्र से भाजपा को बड़ी जीत मिलती रही है, लेकिन इस बार पहले जैसी स्थिति नहीं है।

2019 में 13,959 मतों के अंतर से ही जीती थी भाजपा

एक दशक पहले वर्ष 2014 में नरेन्द्र मोदी की लहर में भाजपा ने चंदौली सीट पर अपना दल और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) से गठबंधन कर 16 वर्ष बाद वापसी की थी। भाजपा के डॉ. महेन्द्र नाथ पाण्डेय ने डेढ़ लाख से अधिक मतों के अंतर से बसपा को शिकस्त देकर जीत दर्ज की थी।

चौथे पायदान पर रही कांग्रेस

दो लाख से अधिक मतों को लेकर सपा तीसरे व मात्र 27 हजार वोट पाने वाली कांग्रेस चौथे पायदान पर थी। पिछले चुनाव में सीट के सियासी समीकरण बदले थे। प्रदेश अध्यक्ष का दायित्व संभालते दूसरी बार चुनाव मैदान में उतरे डॉ. पाण्डेय का मुकाबला सपा-बसपा गठबंधन के साथ ही सुभासपा से भी था।

भाजपा लगा चुकी है हैट्रिक

गठबंधन से सपा के टिकट पर जनवादी पार्टी के संजय सिंह चौहान लड़े थे, जबकि कांग्रेस ने बसपा सरकार में मंत्री रहे बाबू सिंह कुशवाहा की जन अधिकार पार्टी (जेएपी) के लिए सीट छोड़ दी थी। ऐसे में भाजपा-सपा की सीधी लड़ाई में डॉ. पाण्डेय सिर्फ 13,959 मतों के अंतर से ही जीते थे।

उल्लेखनीय है कि चंदौली सीट पर भाजपा पहले भी हैट्रिक लगा चुकी है। वर्ष 1991, 1996 व 1998 चुनाव में भगवा परचम लहराया था। यहां से कांग्रेस, सपा व बसपा के भी सांसद रहे हैं, लेकिन कोई भी दूसरी बार नहीं जीता है।

                                     2019 का चुनाव परिणाम

प्रत्याशी
पार्टी
वोट
(प्रतिशत में)
महेन्द्र नाथ पांडेय भाजपा 5,10,733 47.02
संजय सिंह चौहान सपा 4,96,774 45.74
शिवकन्या कुशवाहा जेएपी 22,291 02.05
राम गोविंद सुभासपा 18,985 01.75

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