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Lok Sabha Election 2024: पाकिस्तान सीमा पर बसे गांव तक केंद्र की योजनाएं पहुंचीं, मगर संदेश नहीं; सरकार पर क्या बोले यहां के लोग?

पठानकोट से लगभग 40 किमी दूर स्थित क्षेत्र के प्रथम गांव सकोल में लगभग 40 घर हैं। सभी घर पक्के हैं। राज्य और केंद्र की कई योजनाएं यहां पहुंच गई हैं लेकिन सड़क स्वास्थ्य शिक्षा और परिवहन जैसी सुविधाओं को लेकर अभी बहुत काम शेष है। बाढ़ पीड़ित क्षेत्र होने के कारण भी यहां कुछ दुश्वारियां हैं। पाकिस्तान सीमा पर स्थित गांव सकोल से अभिषेक श्रीवास्तव की रिपोर्ट...

By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Published: Sun, 26 May 2024 08:54 AM (IST)Updated: Sun, 26 May 2024 08:54 AM (IST)
लोकसभा चुनाव 2024: सकोल गांव की कहानी।

जागरण, पठानकोट। पाकिस्तान के एकदम निकट होने के बावजूद गांव सकोल में सुरक्षा को लेकर सुकून है, क्योंकि यहां बीएसएफ मुस्तैद है। सुरक्षा के कड़े प्रबंध हैं। सड़कों की हालत बहुत अच्छी नहीं है। इसके बावजूद केंद्र की कई योजनाएं इस गांव में पहुंची हैं। यह बात और है कि इन पथरीली और उबड़-खाबड़ सड़कों में उलझकर केंद्र सरकार का संदेश कहीं पीछे छूट गया है।

पहला मकान ही प्रधानमंत्री आवास योजना से बना

शायद भाजपा के कार्यकर्ता और नेता यहां कम ही पहुंचते हैं, इसलिए काम की बात ठीक से नहीं पहुंच पाती। तभी तो इस प्रथम गांव का प्रथम मकान ही प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बना होने के बावजूद गृह स्वामिनी अनीता कुमारी भाजपा और मोदी सरकार का नाम नहीं लेतीं।

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वह कहती हैं कि पहले कच्चे घर में रहती थी। वर्षा के दिनों में छत टपकती रहती थी। फिर दो वर्ष पहले किसी योजना के तहत उन्हें यह पक्की छत मिली। जिस भी सरकार और पार्टी के कारण यह हुआ, उसे वह धन्यवाद देती हैं।

पानी पीने योग्य नहीं... इस बात का है मलाल

अनीता के पड़ोस के घर के बरामदे में बैठीं संतोष कौर और कुलजिंदर कौर इस बात से थोड़ा संतुष्ट थीं कि हर घर जल योजना के तहत उनके यहां पानी पहुंच रहा है, लेकिन उन्हें इस बात का मलाल अधिक है कि यह पानी पीने योग्य नहीं है।

कई जगह पाइप टूटने के कारण सीवरेज का पानी इसमें मिल जाता है और इसे पीने से गांव वाले बीमार हो जाते हैं। पीने के पानी के लिए वह हैंडपंप पर ही निर्भर हैं। आटा-दाल स्कीम के अंतर्गत उन्हें सिर्फ आटा या गेहूं ही मिल पाता है, दाल कभी नहीं मिली।

परिवहन की सुविधा नहीं

इस गांव की सबसे बड़ी समस्या परिवहन की है। सबसे नजदीकी कस्बा यहां से करीब पांच किलोमीटर दूर बमियाल है, लेकिन वहां तक जाने के लिए ऑटो तक की सुविधा नहीं है। वहां तक पैदल ही जाना पड़ता है। वहां से आगे के लिए साधन मिल पाता है।

बच्चों को 12वीं कक्षा तक की शिक्षा के लिए भी बमियाल तक पैदल या साइकिल से जाना पड़ता है। 12वीं के बाद अधिकांश बच्चे पढ़ाई छोड़ देते हैं और खेती अथवा मजदूरी के काम में लग जाते हैं, क्योंकि उच्च शिक्षा के लिए पांच किलोमीटर दूर भी कोई प्रबंध नहीं है।

ये हैं अपेक्षाएं

इस गांव के लोगों को अपने प्रशासनिक काम के लिए यहां से लगभग 40 किलोमीटर दूर मलकपुर जाना पड़ता है, जहां जिला प्रशासन का मुख्यालय है। गांव में न तो किसी पार्टी का पोस्टर है, न बैनर...। नई सरकार से अपेक्षा की बात पर कहते हैं कि सरकार किसी की बने, उनके गांव में शिक्षा, स्वास्थ्य और परिवहन की व्यवस्था करे। सड़कें बेहतर हों। बच्चे 12वीं कक्षा के बाद भी शिक्षा प्राप्त कर सकें, इसका भी प्रबंध हो। बमियाल में कोई इंडस्ट्री लगाई जाए।

लोकसभा क्षेत्र: गुरदासपुर

  • भाजपा से दिनेश बब्बू
  • कांग्रेस से सुखजिंदर सिंह रंधावा
  • आप से अमनशेर सिंह कलसी
  • शिअद से दलजीत सिंह चीमा

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