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बदल गई कश्मीर घाटी: नहीं दिखती पत्थरबाजों की भीड़, लोग बोले- अब कोई डर नहीं, वोट हिंदुस्तान के हक में करेंगे

Lok Sabha Election 2024 कश्मीर घाटी पहले से अब काफी बदल गई है। श्रीनगर के जिन इलाकों में पहले पत्थरबाजी देखने को मिलती थी अब वहां लोकतंत्र का उल्लास है। राजनीतिक दल भी रैलियां निकाल रहे हैं। पहले इन इलाकों में जाने से सियासी दल बचते थे। श्रीनगर संसदीय क्षेत्र में श्रीनगर के अलावा दक्षिण कश्मीर के पुलवामा शोपियां बडगाम और गांदरबल जिले आते हैं।

By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Published: Thu, 09 May 2024 06:00 AM (IST)Updated: Thu, 09 May 2024 08:09 AM (IST)
लोकसभा चुनाव 2024: जहां कभी पत्थर चलते थे, वहां अब लोकतंत्र का उल्लास।

नवीन नवाज, श्रीनगर। जरूरी नहीं है कि शमियाना लगाकर ही शादी की जाए। शादी-ब्याह हो या कोई दावत, उसमें शामिल होने वालों का चेहरा ही बता देता है कि वह कितने खुश हैं। कुछ यही माहौल है आज-कल कश्मीर की मैसूमा और अलगाववादियों का गढ़ कहलाने वाले डाउन-टाउन का।

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अब न मैसूमा में कोई पथराव की बात करता है और न कोई ऐतिहासिक जामिया मस्जिद के बाहर आतंकियों और अलगाववादियों का पोस्टर लहराते हुए आजादी का नारा लगाता है। जिन गलियों और बाजारों में कुछ समय पहले तक मुख्यधारा की राजनीति करने वाले बचते-बचाते निकलते थे, अब वहां वोट मांगते उम्मीदवार और उनके समर्थकों की रैलियां हो रही हैं।

पत्थरबाजों की भीड़ गायब

पत्थरबाजों और आजादी का नारा देने वालों की भीड़ गायब है और उसकी जगह लोकतंत्र के उल्लास ने ले ली है। अब यहां बेसब्री से मतदान दिवस का इंतजार करता आम कश्मीरी नजर आता है।

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श्रीनगर के लाल चौक से मात्र 200 मीटर की दूरी पर स्थित मैसूमा, जो जेकेएलएफ के सरगना यासीन मलिक का घर और मुख्यालय है, पत्थरबाजी के कारण कश्मीर की गाजापट्टी के नाम से कुख्यात था। यहां मतदान की इच्छा जताना या फिर चुनाव की बात करना 'आ बैल मुझे मार' जैसा था।

अब यहां चुनाव की बात करते हुए हाजी अल्ताफ हुसैन डार के चेहरे पर रोमांच और खुशी के भाव हैं। वह कहते हैं कि मैं 37 साल बाद वोट डालने जाऊंगा और जरूर जाऊंगा।

अब यहां कोई डर नहीं

मैसूमा बाजार एसोसिएशन के अध्यक्ष हाजी अल्ताफ हुसैन डार कहते हैं कि अब यहां कोई डर नहीं है। कोई आपको वोट डालने पर धमकाएगा नहीं। कभी यह इलाका नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के समर्थकों का गढ़ होता था, फिर हालात बदल गए। अब देखें यहां कौन कितने वोट लेता है।

हिंदुस्तान के हक में करूंगा मतदान

यासीन मलिक के घर से लगभग 20 मीटर की दूरी पर अपनी दुकान में बैठे ताहिर अहमद कहते हैं कि मेरी पैदायश 1990 की है, लेकिन मैंने कभी वोट नहीं डाला, लेकिन इस बार जाऊंगा। मुझे उम्मीद है कि हमारा जो सांसद बनेगा, वह कम से कम दिल्ली में हमारी बात तो ढंग से करेगा।

वहां बताएगा कि हम क्या चाहते हैं। हमें यहां क्या चाहिए। वोट डालना मेरा हक है। मुझे इसे इस्तेमाल करना है और मेरा वोट चाहे किसी को भी जाए, लेकिन वह हिंदुस्तान के हक में ही होगा, जो हमारे लिए जरूरी है।

यह पूछे जाने पर कि यहां क्या कोई रैली हुई है, उन्होंने कहा-मैसूमा की बाहर की मुख्य सड़क से ही नेकां, पीडीपी, अपनी पार्टी की रैलियां निकल रही हैं। मोहल्ला अंदर से तंग हैं, यहां रैली निकलेगी तो जाम लग जाएगा, इसलिए यहां बैठकें ज्यादा हो रही हैं।

अब कोई नहीं लेता मलिक का नाम

यासीन मलिक के घर से आगे दूध विक्रेता ने कहा कि आज यहां कोई मलिक का नाम नहीं लेता। पहले आए दिन उसके कारण न चाहते हुए भी उसकी ओर से निकाले जाने वाले जुलूस में शामिल होना पड़ता था।

जामिया मस्जिद के आस-पास पहले जैसा तनाव नहीं

मैसूमा से करीब पांच किलोमीटर दूर डाउन-टाउन में नौहट्टा स्थित ऐतिहासिकि जामिया मस्जिद के आस-पास कहीं भी पहले जैसा तनाव नजर नहीं आता। जामिया मस्जिद बाजार कमेटी के अध्यक्ष जावेद अहमद कहते हैं यहां अब अमन है, बस यही चाहिए। लोग तरक्की चाहते हैं। आगे बढ़ना चाहते हैं। अतीत तो साथ रहेगा, लेकिन उसे लेकर आप आगे नहीं बढ़ सकते।

आगे बढ़ने के लिए आगे देखना होता है। अब यहां माहौल बदल चुका है, सोमवार को यहां जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी के चेयरमैन सैयद मोहम्मद अल्ताफ बुखारी अपने साथियों संग आए थे। उन्होंने यहां आकर नमाज अदा की, अपनी जीत की दुआ की।

डॉ. फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला की दो दिन पहले यहां से कुछ ही फासले पर रैनावारी में रैली थी। बिलाल बशीर कहते हैं कि जिस तरह से यहां लोगों में उत्साह देखा जा रहा है, इस बार यहां मतदान का प्रतिशत जरूर बढ़ेगा।

ये बदलाव ही तो है

इरफान अहमद नामक एक छात्र ने कहा कि इस बार यहां श्रीनगर का चुनाव देखने लायक होगा। आप हैरान होंगे, जिन इलाकों में कुछ समय पहले तक तक मुख्यधारा की राजनीति करने वाले गुजरने से डरते थे, अब वह वहां रैलियां कर रहे हैं। लाल चौक के घंटाघर में रैली हो रही है।

नक्शबंद साहब और नौहट्टा में चुनावी रैली निकल रही है। किसी ने इन चुनावी रैलियों पर एक पत्थर तक नहीं फेंका है। इसका मतलब आप समझते हैं? आपको यहां राजनीतिक दलो के बैनर और पोस्टर भी नजर आएंगे, जो पहले सिर्फ उनके कार्यालयों या उम्मीदवारों के घर की दीवारों तक सीमित होते थे।

क्या बोले नेता?

पीडीपी के महासचिव अब्दुल हमीद कोशीन कहते हैं कि अब डाउन-टाउन राजनीतिक रैलियों के लिए नो-गो एरिया नहीं रहा है। अपनी पार्टी के चेयरमैन सैयद मोहम्मद अल्ताफ बुखारी का कहना है कि हमने सोमवार को डाउन-टाउन में रोड-शो किया है। हम नक्शबंद साहब इलाके से गुजरे, नौहट्टा में जामिया मस्जिद में गए। हर जगह लोगों ने हमारा स्वागत किया है।

हम पूरे श्रीनगर शहर में रैलियां कर रहे हैं। फिर चाहे मैसूमा हो या खनयार, नौहट्टा हो या हवल, हर जगह लोगों को उत्साह देखते बनता है। लोगों में जोश है। - इमरान नबी डार, प्रवक्ता, नेकां।

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