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Lok Sabha Election 2024: चौंकाने वाले हैं शिमला के सियासी समीकरण; किसकी होगी जीत, किसकी होगी हार, तीन जिले करेंगे तय

Lok Sabha Election 2024 शिमला का अगला सांसद कौन होगा यह तीन जिलों की जनता तय करती है। इस बार शिमला लोकसभा सीट पर कांटे की टक्कर है। तीन बार से भाजपा यहां जीत रही है। पार्टी यहां चौथी बार जीत की कोशिश में है। वहीं कांग्रेस अपने पुराने गढ़ को वापस पाना चाहती है। कांग्रेस को अपने मंत्रियों से आस है।

By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Published: Sun, 26 May 2024 09:38 AM (IST)Updated: Sun, 26 May 2024 09:38 AM (IST)
लोकसभा चुनाव 2024: शिमला लोकसभा सीट का समीकरण।

अनिल ठाकुर, जागरण, शिमला। सेब, टमाटर, नाशपाती, आड़ू, लहसुन और अदरक के लिए पहचाने जाने वाला शिमला संसदीय क्षेत्र तीन जिलों में फैला है। शिमला, सोलन और सिरमौर। 17 विधानसभा क्षेत्रों वाले इस संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस व भाजपा के प्रत्याशियों को अलग-अलग क्षेत्र में इन्हीं फसलों का जायका मिल रहा है।

भाजपा से पूर्व वायु सैनिक मैदान में

भाजपा के प्रत्याशी सुरेश कश्यप सिरमौर से आते हैं। पूर्व वायु सैनिक हैं। निवर्तमान सांसद हैं। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष रहे हैं। अस्तित्व में आने के बाद दो ही बार यह सीट भाजपा या कांग्रेस से इतर किसी दल को मिली है। 1999 में भाजपा व हिमाचल विकास कांग्रेस (हिविकां) गठबंधन के कर्नल धनी राम शांडिल जीते, जबकि 1977 में भारतीय लोक दल के बालक राम। उससे पहले यहां कांग्रेस का दबदबा रहा है।

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कांग्रेस ने आठ और भाजपा ने तीन बार दर्ज की जीत

2009 से यहां भाजपा ही जीत रही है। इस बार भाजपा का श्रम चौके के लिए है तो कांग्रेस का अपने पुराने गढ़ की वापसी के लिए। कांग्रेस ने कसौली से विधायक विनोद सुल्तानपुरी को चुनाव में उतारा है, जो छह बार सांसद रहे कृष्ण दत्त सुल्तानपुरी के पुत्र हैं। कांग्रेस यहां आठ बार, जबकि भाजपा तीन बार विजयी रही है। भाजपा को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के काम-नाम का सहारा तो कांग्रेस को राज्य के मंत्रियों से आस है।

लोकसभा चुनाव में कांटे की टक्कर

2022 के विधानसभा चुनाव के आंकड़े तो कांग्रेस के पक्ष में रहे, लेकिन लोकसभा चुनाव में कांटे की टक्कर दिख रही है। इसीलिए कांग्रेस ने मंत्रियों से लेकर सरकार का हिस्सा बने सभी पदाधिकारियों को मैदान में उतार दिया है। मंत्री हर्षवर्धन चौहान, रोहित ठाकुर, अनिरुद्ध सिंह से लेकर विधानसभा उपाध्यक्ष विनय कुमार मैदान में हैं। वहीं, ओएसडी, मीडिया सलाहकार, सहकारी बैंक के अध्यक्ष से लेकर कई अन्य पदाधिकारी शिमला से हैं। कांग्रेस को इनके प्रभाव से आशा है।

भाजपा को करनी पड़ेगी अधिक मेहनत

भाजपा मोदी के नाम और काम पर मैदान में है। पार्टी प्रत्याशी सुरेश कश्यप से भले ही लोगों में कुछ नाराजगी दिख रही है, लेकिन भाजपा को मजबूत संगठन और मोदी के नाम से काफी अधिक उम्मीद है। शिमला जिले में सात में से छह विधानसभा सीटें कांग्रेस के पास हैं, केवल चौपाल ही भाजपा के पास है। जिले के तहत आठवीं विधानसभा सीट रामपुर, मंडी संसदीय क्षेत्र का हिस्सा है। ऐसे में भाजपा को शिमला जिले में अधिक मेहनत करनी पड़ रही है।

सोलन में यह समीकरण

सोलन जिले में पांच में से चार विधायक कांग्रेस के पास हैं। यहां से एक विधायक निर्दलीय हैं। इसके बावजूद जिले में भाजपा सोलन, नालागढ़ से अच्छी बढ़त की उम्मीद लगाए है। हालांकि, सांसद से नाराजगी व कांग्रेस प्रत्याशी का सोलन जिला से होने पर यहां भी भाजपा को पसीना बहाना पड़ रहा है।

सिरमौर के रहने वाले हैं भाजपा प्रत्याशी

सिरमौर जिले में कांग्रेस के तीन और भाजपा के दो विधायक हैं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष व प्रत्याशी दोनों सिरमौर जिला से हैं। ऐसे में पार्टी को यहां से बड़ी बढ़त की उम्मीद है। लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस प्रत्याशी विनोद सुल्तानपुरी नए हैं। वह पिता के नाम व काम को लेकर जनता के बीच जा रहे हैं। शिमला से कांग्रेस बढ़त मान कर चल रही है, लेकिन नेताओं के काम कितने हुए हैं, इसका पता चुनाव परिणाम से लग सकता है।

लोगों में दिख रही नाराजगी

सोलन जिला से कांग्रेस को बढ़त की उम्मीद है, लेकिन नालागढ़, सोलन से उन्हें भी चिंता है। सिरमौर जिला में सेंध लगाने के लिए कांग्रेस को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। तीनों ही जिलों में आम लोगों के काम न होने पर कांग्रेस से भी नाराजगी है। लोगों ने जिस उम्मीद से 2022 में प्रदेश की सत्ता दी थी, वह उम्मीद अब भी बनी हुई है या नहीं, यह देखने लायक होगा।

ये हैं समीकरण

पहले इस सीट का नाम महासू था। 1957 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी एसएन रमौल जीते थे। 1962 और 1967 में वीरभद्र सिंह सांसद बने थे। 1967 में इस सीट पर उपचुनाव हुआ और कांग्रेस के प्रत्याशी प्रताप सिंह विजयी हुए। वह दो बार इस सीट से सांसद रहे हैं। वर्ष 1977 लोकसभा चुनाव में बालक राम ने भारतीय लोक दल से चुनाव लड़कर सीट पर कब्जा किया।

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किस वर्ष में कौन जीता

  • 2019 सुरेश कश्यप, भाजपा
  • 2014, वीरेंद्र कश्यप, भाजपा
  • 2009, वीरेंद्र कश्यप, भाजपा
  • 2004, कर्नल धनीराम शांडिल, कांग्रेस
  • 1999, कर्नल धनीराम शांडिल, हिमाचल विकास कांग्रेस
  • 1998, कृष्ण दत्त सुल्तानपुरी, कांग्रेस
  • 1996, कृष्ण दत्त सुल्तानपुरी, कांग्रेस
  • 1991, कृष्ण दत्त सुल्तानपुरी, कांग्रेस
  • 1989, कृष्ण दत्त सुल्तानपुरी, कांग्रेस
  • 1984, कृष्ण दत्त सुल्तानपुरी, कांग्रेस
  • 1980, कृष्णदत्त सुल्तानपुरी, कांग्रेस
  • 1977, बालक राम, भारतीय लोकदल
  • 1971 प्रताप सिंह, कांग्रेस
  • 1967, वीरभद्र सिंह, कांग्रेस
  • 1962, वीरभद्र सिंह, कांग्रेस
  • 1957 एसएन रमौल, कांग्रेस

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