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लोकसभा चुनाव: कांग्रेस ने जीतने की कुव्वत देखकर खेला इन सूरमाओं पर दांव

आखिरकार नैनीताल और हरिद्वार लोकसभा सीटों पर पेच दूर होते ही कांग्रेस ने उत्तराखंड की पांचों संसदीय सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sun, 24 Mar 2019 09:33 AM (IST)Updated: Sun, 24 Mar 2019 09:33 AM (IST)
लोकसभा चुनाव: कांग्रेस ने जीतने की कुव्वत देखकर खेला इन सूरमाओं पर दांव
लोकसभा चुनाव: कांग्रेस ने जीतने की कुव्वत देखकर खेला इन सूरमाओं पर दांव

देहरादून, रविंद्र बड़थ्वाल। लंबी मशक्कत के बाद आखिरकार नैनीताल और हरिद्वार लोकसभा सीटों पर पेच दूर होते ही कांग्रेस ने उत्तराखंड की पांचों संसदीय सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए। भाजपा की कब्जे वाली पांचों सीटों को छीनने के लिए कांग्रेस को मजबूत प्रत्याशियों की दरकार है। लिहाजा मोदी लहर पर सवार भाजपा की काट के साथ ही जीतने की कुव्वत को तौलने के बाद ही कांग्रेस ने अपने प्रत्याशियों की सूची जारी की। कांग्रेस हाईकमान ने भी हरीश रावत की सीट को संभावना वाली मानते हुए उनकी पसंद को ही तरजीह दी। हालांकि, पार्टी के स्तर पर चयन की इस पूरी कवायद में प्रत्याशियों को अपनों से मिलने वाली चुनौतियों से भी जूझना पड़ा है।

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नैनीताल सीट 

कांग्रेस में इस सीट पर टिकट को लेकर दावेदारों के बीच उतार-चढ़ाव का दौर अंतिम समय तक जारी रहा। हालांकि, इस असमंजस के बाद टिकट की दौड़ में बाजी पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के हाथ लगी। पार्टी हाईकमान ने प्रदेश संगठन और पर्यवेक्षकों की राय पर राष्ट्रीय महासचिव और कांग्रेस कार्यसमिति सदस्य हरीश रावत की इच्छा का सम्मान किया। इसकी वजह प्रदेश की सियासत में उनका कद और चुनावी ऊंट का मुंह अपनी ओर मोड़ने की उनकी क्षमता ही है। इस सीट पर नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश के विरोध पर रावत समर्थक विधायकों का रुख भारी पड़ा। हरीश रावत के समर्थन में उपनेता प्रतिपक्ष करन महरा के नेतृत्व में कुल 11 में से आठ विधायकों ने शनिवार को दिल्ली का रुख किया था। उन्होंने राष्ट्रीय महासचिव संगठन केसी वेणुगोपाल के सामने पक्ष तो रखा ही, नेता प्रतिपक्ष इंदिरा के रवैये की भी आलोचना की। इंदिरा, पूर्व सांसद केसी सिंह बाबा इस सीट पर पूर्व सांसद डॉ महेंद्र सिंह पाल के समर्थन में थे।

पौड़ी सीट

इस हॉट समझी जाने वाली सीट पर कांग्रेस ने इस बार खास भाजपा को निशाने पर लेते हुए प्रत्याशी चुना है। भाजपा के किले में सेंध लगाने के लिए कांग्रेस ने गढ़वाल सीट से भाजपा सांसद व पूर्व मुख्यमंत्री भुवनचंद्र खंडूड़ी के पुत्र मनीष खंडूड़ी पर दांव खेला है। मनीष खंडूड़ी भले ही राजनीति में नए हैं, लेकिन कांग्रेस मनीष के बहाने भाजपा में पूर्व मुख्यमंत्री मेजर जनरल (सेवानिवत्त) भुवनचंद्र खंडूड़ी की उपेक्षा को मुद्दा बनाने में जुटी है। मनीष को आगे करने में कांग्रेस हाईकमान खासतौर पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की रुचि के चलते इस सीट पर कांग्रेस के अन्य दावेदारों में शामिल पूर्व विधायक गणोश गोदियाल, पूर्व मंत्री राजेंद्र भंडारी व सुरेंद्र सिंह नेगी और पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष अनुसूया प्रसाद मैखुरी को अपने कदम पीछे खींचने पड़े। इस रणनीति को अंजाम देने में पूर्व विधायक गणोश गोदियाल ने अहम भूमिका निभाई।

अल्‍मोड़ा सीट

कांग्रेस की ओर से अल्मोड़ा सुरक्षित सीट पर राज्यसभा सदस्य प्रदीप टम्टा का टिकट पक्का हो चुका है। दरअसल, इस सीट पर भाजपा की ओर से केंद्रीय राज्यमंत्री अजय टम्टा प्रत्याशी हैं। इस हॉट सीट पर कांग्रेस के भीतर अन्य दावेदारों पर प्रदीप टम्टा भारी पड़े। प्रदीप टम्टा को कुशल वक्ता तो माना ही जाता है, साथ में संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस के अन्य विधायकों के साथ उनके संबंध अच्छे बताए जाते हैं। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत से भी उनके नजदीकी संबंध हैं। इस वजह से प्रदीप टम्टा कांग्रेस के भीतर अन्य दावेदारों से आगे निकल गए।

टिहरी सीट

इस सीट पर संभावित प्रत्याशियों के दौड़ में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह काफी आगे रहे हैं। पार्टी के सांगठनिक जिलों, प्रदेश प्रभारी की ओर से नामित पर्यवेक्षकों के साथ एआइसीसी के गोपनीय पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट में चकराता विधायक और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह को इस सीट पर मजबूत दावेदार आंका गया है। इस रिपोर्ट के बाद पार्टी हाईकमान प्रीतम सिंह पर ही दांव खेलने के पक्ष में है। हालांकि प्रीतम सिंह खुद चुनाव लड़ने से इन्कार कर चुके हैं। बावजूद इसके हाईकमान ने दबाव बनाया तो प्रीतम के लिए पीछे हटना शायद ही मुमकिन होगा। हालांकि इस सीट पर अन्य कद्दावर नेताओं में पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय, प्रतापनगर के पूर्व विधायक विक्रम सिंह नेगी, पूर्व मंत्री नवप्रभात और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह के पुत्र अभिषेक सिंह भी दावेदारी की दौड़ में शामिल रहे हैं।

 

हरिद्वार सीट

हरिद्वार सीट को लेकर कांग्रेस बेहद सतर्कता बरती है। इस सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की दावेदारी तय हो गई थी। लेकिन नैनीताल संसदीय सीट पर रावत को चुनाव लड़ाने पर सहमति के बाद हरिद्वार सीट पर भी हाईकमान ने उनकी पसंद को ही तवज्जो दी। नतीजतन टिकट की दौड़ में पूर्व विधायक अंबरीश कुमार बाजी मार ले गए। अंबरीश कांग्रेस में आने से पहले समाजवादी पार्टी के क्षेत्रीय बड़े नेताओं में शामिल रहे हैं। अंबरीश को कांग्रेस में लाने का श्रेय भी हरीश रावत को ही जाता है। इस सीट पर कांग्रेस की ओर से वरिष्ठ कांग्रेस नेता संजय पालीवाल, वरिष्ठ नेता राम सिंह सैनी और मनोहर लाल शर्मा टिकट के दावेदारों में शामिल थे। संगठन और पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट में संजय पालीवाल को पैनल में मजबूत दावेदार के तौर पर पेश किया गया था, लेकिन पालीवाल को रावत का विरोध करना भारी पड़ गया।

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