बागपत की सियासत: यहां 47 साल में पहली बार हुआ कुछ ऐसा; जिससे हैरान हैं मतदाता; क्यों मोदी की रैली में मंच से नदारद थे जयन्त चौधरी?
Lok Sabha Election 2024 पिछले दो लोकसभा चुनाव में आमने-सामने रहे भाजपा-रालोद इस बार साथ हैं। जाट बहुल इस क्षेत्र में गांवों की बैठकों में हुक्कों में सियासी गुड़गुड़ाहट हो रही है। गठबंधन की धमक दिखाने के अरमान अंगड़ाई ले रहे हैं। बड़ौत के जाट बहुल बावली गांव में एक मकान के आगे बड़े चबूतरे पर बुजुर्ग और प्रौढ़ ताश खेलने में मशगूल हैं।
राजीव दीक्षित, बागपत। पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के परिवार का गढ़ रहे बागपत में 47 वर्षों में यह पहला मौका है, जब उनके परिवार का कोई सदस्य इस सीट से चुनाव नहीं लड़ रहा है।
पिछले दो लोकसभा चुनाव में आमने-सामने रहे भाजपा-रालोद इस बार साथ हैं। जाट बहुल इस क्षेत्र में गांवों की बैठकों में हुक्कों में सियासी गुड़गुड़ाहट हो रही है। गठबंधन की धमक दिखाने के अरमान अंगड़ाई ले रहे हैं।
बड़ौत के जाट बहुल बावली गांव में एक मकान के आगे बड़े चबूतरे पर बुजुर्ग और प्रौढ़ ताश खेलने में मशगूल हैं। ताश के पत्तों की चालों के साथ जारी चुनावी बहस बैठक में रखे हुक्के में सियासी गुड़गुड़ाहट पैदा कर रही है। ताश के शौकीनों की राजनीतिक टीका-टिप्पणी के बीच जाहिर होते उनके अरमान कश खींचकर छोड़े गए धुएं में फना होकर सियासी ताप बढ़ा रहे हैं।
रैली में क्यों नहीं थे रालोद मुखिया जयन्त?
पत्ता चलते हुए बलबीर फौजी बोले- जीतेगा तो रालोद, गठबंधन जो है। बहादुर सिंह को इससे इत्तेफाक है, लेकिन सहारनपुर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रैली के मंच पर रालोद मुखिया जयन्त चौधरी की नामौजूदगी को लेकर कुछ शुबहा भी। छपरौली के तुगाना गांव में भी मजमा चुनावी बहस में जुटा है।
राशद बोले, ‘यदि जयन्त खुद लड़ते तो एकतरफा लड़ाई होती। ऐसे बहुत सारे लोग जो रालोद से चिपके थे, वह अब वोट नहीं देंगे।’ उनका इशारा शायद भाजपा से हाथ मिलाने के कारण रालोद से बिदके मुस्लिमों की तरफ था।
तैश में आए रामकुमार बोले कि योजनाओं का सबसे ज्यादा फायदा यही ले रहे हैं, पर गठबंधन प्रत्याशी को वोट देने में इन्हें दिक्कत है। भाजपा-रालोद गठबंधन के तहत यह सीट रालोद के खाते में गई है, जिसने चौधरी परिवार के विश्वासपात्र रालोद के राष्ट्रीय सचिव राजकुमार सांगवान को प्रत्याशी घोषित किया है।
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सपा ने अपने पूर्व जिलाध्यक्ष मनोज चौधरी को प्रत्याशी घोषित करने के बाद उनका टिकट काटकर बसपा के पूर्व विधायक और बाद में सपा में शामिल हुए अमरपाल शर्मा को मैदान में उतारा है।
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