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कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2018: कांग्रेस के लिंगायत कार्ड को जनता ने नकारा

कर्नाटक विधानसभा चुनाव में एक बार फिर से राज्‍य में मोदी लहर साफतौर पर दिखाई दे रही है। फिलहाल रुझानों से यह बात पूरी तरह से स्‍पष्‍ट हो चुकी है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Tue, 15 May 2018 10:59 AM (IST)Updated: Tue, 15 May 2018 03:39 PM (IST)
कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2018: कांग्रेस के लिंगायत कार्ड को जनता ने नकारा

नई दिल्‍ली। कर्नाटक विधानसभा चुनाव में एक बार फिर से राज्‍य में मोदी लहर साफतौर पर दिखाई दे रही है। फिलहाल रुझानों से यह बात पूरी तरह से स्‍पष्‍ट हो चुकी है। यदि रुझान ही रिजल्‍ट में तब्‍दील होते हैं तो यह जहां भाजपा की बड़ी जीत होगी वहीं कांग्रेस के लिए यह काफी बुरी खबर होगी। बुरी इसलिए कि आने वाले कुछ माह में ही राजस्‍थान समेत कुछ अन्‍य राज्‍यों में भी विधानसभा चुनाव होने हैं। कर्नाटक के रिजल्‍ट इन राज्‍यों के चुनावों में भी अहम भूमिका निभाएंगे। कर्नाटक के आने वाले रिजल्‍ट कांग्रेस के लिए धड़कन बढ़ाने वाले हैं। वहीं भाजपा का भारत को कांग्रेस मुक्‍त बनाने का नारा सच होता दिखाई दे रहा है। 

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उलटा पड़ा कांग्रेस का दांव

कर्नाटक की ही यदि बात करें तो चुनाव से कुछ पहले ही यहां पर कांग्रेस ने लिंगायत समुदाय को अलग धर्म का दर्जा देने का ऐलान किया था। कांग्रेस का मानना था कि इससे उसे चुनाव में बढ़त मिलेगी। लेकिन उसका यह दांव भी उलटा पड़ता दिखाई दे रहा है। कांग्रेस ने उन जगहों पर बेहतर प्रदर्शन नहीं किया है, जहां पर लिंगायत का दबदबा था। वहीं भाजपा ने इन जगहों पर बेहतद प्रदर्शन किया है। कर्नाटक की जनता ने कांग्रेस के उस दांव को खारिज कर दिया है जिसमें उसने समाज को बांटने की राजनीतिक चाल चली थी।

राहुल और 'शिव भक्त'

गौरतलब है कि कर्नाटक के चुनाव में यह पहले से माना जा रहा था कि इस चुनाव में लिंगायत और बुक्‍कालिंगा के अलावा मठ एक बड़ी भूमिका निभाएंगे। भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही इनको अपनी तरफ करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी थी। इसके लिए कांग्रेस के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष राहुल गांधी ने मठों के दर्शन करने के अलावा कई मंदिरों में पूजा-अर्चना की थी। इतना ही नहीं इसी दौरान उठे विवाद के समय में राहुल गांधी ने कहा था कि उनका परिवार पहले से ही शिव भक्त है और जनेऊधारी है।

मिशन 2019 का रास्‍ता साफ 

कर्नाटक के परिणाम भाजपा के लिए मिशन 2019 का रास्‍ता साफ करते हुए दिखाई दे रहे हैं। यहां से आने वाले परिणाम कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी से कम नहीं हैं। आपको बता दें कि कांग्रेस ने वर्ष 2014 के बाद से महज दो राज्यों में सरकार बनाने में कामयाब हुई है। इनमें एक पंजाब और दूसरी पुडुचेरी है।

दूसरी बार खुला दक्षिण का द्वार

कर्नाटक की जीत के साथ ही भाजपा का दूसरी बार दक्षिण का द्वार खुल गया है। इसका श्रेय जहां राज्‍य के पूर्व सीएम और मौजूदा सीएम प्रत्‍याशी बीएस येदियुरप्‍पा के साथ साथ पीएम मोदी और पार्टी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष अमित शाह को भी जाता है। आपको बता दें कि यहां पर यूपी के सीएम योगी आदित्‍यनाथ ने भी प्रचार किया था। इसकी एक खास वजह थी यहां पर नाथ संप्रदाय का दबदबा। त्रिपुरा के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का जलवा कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भी देखने को मिला है। सीएम योगी ने जिन 33 विधानसभा सीटों में प्रचार किया था, उन सभी सीटों पर बीजेपी शुरूआती रुझान में आगे चल रही है।

लिंगायत उम्मीदवार

भाजपा ने इन क्षेत्रों में तकरीबन 40 उम्मीदवार बुक्‍कालिंगा समुदाय से ही उतारे हैं।लिंगायत सबसे प्रभावी वोटर वर्ग है और कांग्रेस जाहिर तौर पर लिंगायत को अलग धर्म का दर्जा देने का पासा फेंककर उसे अपने हक में तोड़ना चाहती है। यही कारण है कि कांग्रेस ने लगभग चार दर्जन लिंगायत उम्मीदवार उतारे हैं।


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