Move to Jagran APP

करण सिंह दलाल पहला चुनाव जीतने के बाद सिर्फ एक बार हारे, पांच बार जीते

दलाल ने अपना पहला चुनाव 1991 में तब जीता जब फरीदाबाद गुरुग्राम मेवात पलवल जिलों में कांग्रेस की लहर थी। तावडू से जाकिर हुसैन निर्दलीय और दलाल हविपा के टिकट पर चुनाव जीते थे।

By Prateek KumarEdited By: Published: Wed, 25 Sep 2019 03:15 PM (IST)Updated: Wed, 25 Sep 2019 03:19 PM (IST)
करण सिंह दलाल पहला चुनाव जीतने के बाद सिर्फ एक बार हारे, पांच बार जीते
करण सिंह दलाल पहला चुनाव जीतने के बाद सिर्फ एक बार हारे, पांच बार जीते

फरीदाबाद (बिजेंद्र बंसल)। पलवल विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के विधायक करण सिंह दलाल ऐसे नेता हैं जो छात्र जीवन से अब तक अंगद की तरह राजनीति में अपना पैर जमाए हुए हैं। 1991 में दलाल ने पहला चुनाव कांग्रेस के नित्यानंद शर्मा से जीता। दलाल ने तब हरियाणा में नवसृजित हरियाणा विकास पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और 38.74 फीसद मत लेकर चुनाव जीता था।

loksabha election banner

दलाल ने अपना पहला चुनाव 1991 में तब जीता जब फरीदाबाद, गुरुग्राम, मेवात, पलवल जिलों में कांग्रेस की लहर थी। तब सिर्फ तावडू से जाकिर हुसैन निर्दलीय और दलाल हविपा के टिकट पर चुनाव जीते थे। बाकी सीटों पर कांग्रेस के ही विधायक बने थे। अब तक दलाल ने छह चुनाव लड़े और सिर्फ एक ही चुनाव हारे हैं।

भजन लाल सरकार के खिलाफ किया संघर्ष

1991 में पलवल से विधायक बनकर करण दलाल तत्कालीन पलवल व फरीदाबाद समायोजित फरीदाबाद जिले में अपनी नई पार्टी हरियाणा विकास पार्टी के ध्वजवाहक बन गए। तत्कालीन भजन लाल सरकार के खिलाफ पूरे पांच साल फरीदाबाद, गुरुग्राम सहित दक्षिण हरियाणा में ऐसा आंदोलन खड़ा किया कि 1996 में हविपा और भाजपा गठबंधन की राज्य में सरकार बन गई। 1996 के चुनाव में हविपा-भाजपा गठबंधन के टिकट पर दलाल ने 50.64 फीसद मत लिए और उनके प्रतिद्वंद्वी बसपा के सुभाष चौधरी ने महज 17.42 फीसद ही मत लिए।

1999 में सीएम बनवाने के बाद चौटाला से बिगड़ गई

1999 में हविपा-भाजपा गठबंधन सरकार गिरी तो करण सिंह दलाल सरकार गिराने वालों में शामिल थे। दलाल के प्रयासों से ही तब ओमप्रकाश चौटाला सीएम बने मगर जब चौटाला के नेतृत्व वाले इनेलो का 2000 के चुनाव में भाजपा से गठबंधन हो गया तो दलाल भाजपा में शामिल हो गए। चौटाला के हस्तक्षेप से दलाल को तब टिकट नहीं मिला और दलाल ने आरपीआइ पार्टी से चुनाव लड़ा तथा इसमें भी जीत दर्ज की। दलाल की यह जीत तब इसलिए भी मायने रखती थी कि चौटाला ने कार्यवाहक सीएम रहते हुए अपने सबसे नजदीकी देवेंद्र चौहान को चुनाव लड़वाया था। दलाल 2000 से 2005 तक चौटाला सरकार के खिलाफ संघर्ष करते रहे।

2005 के चुनाव में जीत तो 2009 में हुई हार

दलाल को 2005 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर जीत दर्ज हुई। तब दलाल को सर्वाधिक 57.31 और प्रतिद्वंद्वी सुभाष चंद को 29.36 फीसद मत मिले। इसके बाद 2009 के विधानसभा चुनाव में दलाल को तब शिकस्त मिली जब वे तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के समधी बन चुके थे। 2009 में इनेलो के सुभाष चंद दलाल को 46.39 फीसद मत लेकर हराया। तब दलाल को 40.43 फीसद मत मिले। हालांकि दलाल 2014 के चुनाव में भी भाजपा के दीपक मंगला से चुनाव जीते।

दिल्‍ली-एनसीआर की खबरों को पढ़ने के लिए यहां करें क्‍लिक


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.