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    लोकसभा चुनाव: महाभारत के गवाह कुरुक्षेत्र में तिकोना मुकबला, जातीय समीकरण भी हावी

    By Sunil Kumar JhaEdited By:
    Updated: Fri, 10 May 2019 09:48 AM (IST)

    लोकसभा चुनाव 2019 में महाभारत की धरती कुरुक्षेत्र में तिकोना मुकाबला है। यहां भाजपा कांग्रेस और इनेलो ने पूरा जोर लगाया। जातीय समीकरण भी हावी हो सकते ...और पढ़ें

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    लोकसभा चुनाव: महाभारत के गवाह कुरुक्षेत्र में तिकोना मुकबला, जातीय समीकरण भी हावी

    कुरुक्षेत्र। लोकसभा चुनाव में महाभारत की लड़ाई के लिए विख्यात कुरुक्षेत्र चुनावी रण के लिए तैयार है। चुनावी महाभारत में एक तरफ मुख्यमंत्री मनोहर लाल की सरकार में मंत्री नायब सिंह सैनी हैं तो दूसरे छोर पर कांग्रेस के पूर्व मंत्री निर्मल सिंह। बीच में इनेलो के अर्जुन चौटाला राजनीतिक चक्रव्यूह को भेदने की भूमिका में हैं। ऐसे मेंं यहां तिकोना मकाबला दिख रहा है। पेश है कुरुक्षेत्र से अनुराग अग्रवाल की रिपोर्ट।

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    1977 में अस्तित्व में आई कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट पर भाजपा को वर्ष 2014 में पहली बार जीत मिली थी, लेकिन सांसद राजकुमार सैनी बागी हो गए। तब सैनी ने कांग्रेस से दो बार लगातार सांसद रह चुके उद्योगपति नवीन जिंदल को भारी मतों से हराया था। इस बार न तो सैनी चुनाव लड़ रहे और न ही जिंदल रण में हैं। सैनी ने भाजपा को अलविदा कहकर लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी बना ली। उनका बसपा के साथ गठबंधन है, जबकि नवीन जिदंल कांग्रेस के निर्मल सिंह के लिए वोट मांग रहे हैं।

    कुरुक्षेत्र का दुर्ग फतेह करने के लिए जहां भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली कराई तो कांग्रेस ने भी अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी का रोड शो करा माहौल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। स्वर्गीय उपप्रधानमंत्री ताऊ देवीलाल की चौथी पीढ़ी के अर्जुन सिंह चौटाला के लिए विधायक पिता अभय सिंह चौटाला और इनेलो के प्रदेश अध्यक्ष अशोक अरोड़ा ने क्षेत्र में डेरा डाला हुआ है।

    फिलहाल यहां का जो सियासी माहौल है, उसे देखकर तो यही कहा जा सकता है कि भिड़ंत दिलचस्प होने वाली है। अर्जुन सिंह चौटाला के चुनाव मैदान में उतरने के बाद मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। गुलजारी लाल नंदा कुरक्षेत्र से दो बार सांसद बने, तब यह लोकसभा सीट कैथल के नाम से जानी जाती थी।

    पूरे संसदीय क्षेत्र में सर्वाधिक जाट मतदाता हैं, लेकिन लंबे समय से इस समुदाय का कोई सांसद यहां नहीं बना है। अब जाट और जट सिख यदि मिल गए तो किसी भी दल का पासा पलट सकते हैं। भाजपा के नायब सैनी हैं, कांग्रेस के निर्मल सिंह जट सिख और इनेलो के अर्जुन चौटाला जाट हैं।

    कुरुक्षेत्र में 4.75 लाख से ज्यादा जाट और जट सिख, करीब एक लाख सैनी और सवा लाख ब्राह्मण वोटर हैं। 2004 के चुनावों में किस्मत आजमाने वाले अभय सिंह चौटाला ने इस बार अपने बेटे अर्जुन सिंह चौटाला पर पूरी रणनीति के साथ दांव खेला। अर्जुन सिंह चौटाला जाट हैं और उनका रिश्ता जट सिख परिवार में यमुनानगर से इनेलो के पूर्व विधायक दिलबाग सिंह की बेटी के साथ हुआ है। ऐसे में इनेलो को जाट और जट सिख के एकजुट होने की आस है। कांग्रेसी उम्मीदवार निर्मल सिंह भी जट सिख हैं, लेकिन वे जाटों को साधने की कोशिश में हैं। जजपा और आप गठबंधन के प्रत्याशी जयभगवान डीडी भी मुकाबले में खुद को मानकर चल रहे हैं।

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