बिहार चुनाव में 2 एज ग्रुप के वोटर सबसे अहम, फोकस कर लिया तो सियासी दलों की लग जाएगी नैया पार
बिहार में अगली सरकार बनाने में युवा मतदाताओं की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। 30 से 39 वर्ष के मतदाता बच्चों की शिक्षा और आवास को लेकर चिंतित हैं जबकि 40 से 49 वर्ष के मतदाता रोजगार और परिवार के स्वास्थ्य को लेकर अधिक चिंतित हैं। दोनों वर्ग निजी क्षेत्र में रोजगार के अवसरों और सरकारी योजनाओं की उम्मीद करते हैं।

भुवनेश्वर वात्स्यायन, पटना। जिस उम्र के वोटरों के पास परिवार का सबसे अधिक बोझ है वही नयी सरकार बनाने में सर्वाधिक महत्वपूर्ण हैं। इसकी वजह यह है कि संख्या के लिहाज से 30 से 39 और फिर 40 से 49 वर्ष के वोटरों की संख्या बिहार में क्रमश: पहले और दूसरे नंबर पर है।
उम्र ऐसी कि परिवार के लिए हर तरह की व्यवस्था में व्यस्त जिंदगी
आम तौर पर 30 से 39 वर्ष उम्र के वोटर की व्यस्तता अपनी जिंदगी को व्यवस्थित करने में लगी रहती है। इस उम्र के वोटर एक साथ औसतन चार-पांच वोटों पर पकड़ रखते हैं।
अपनी पत्नी और मां-बाप का वोट भी इनसे तय होता रहा है। बिहार में इस उम्र के वोटरों की संख्या सबसे अधिक 204,24,920 है। इनसे वोट पर बात कीजिए तो समेकित रूप से अपनी समस्याओं की बात करते हैं।
उनकी पहली चिंता अपने बच्चों की बेहतर पढ़ाई को लेकर होती है। उनका कहना यह है कि अपने बच्चों की पढ़ाई की गुणवत्ता को लेकर उनकी सीमित आय का एक बड़ा हिस्सा खर्च हो जाता है।
उनके बच्चों को इंटर के तुरंत बाद कोचिंग की जरूरत पड़ जाती है। कोचिंग का खर्च उन्हें बहुत खटकता है। अगर कोचिंग के बगैर गुणवत्ता वाली पढ़ाई की व्यवस्था हो जाए तो यह बहुत बड़ी बात होगी। इस उम्र के लोग अपने स्थायी आवास को लेकर भी चिंता करना शुरू करने लगते हैं।
बिहार में जमीन की कीमत जिस तरह से है वैसे में इनके सपने पूरे होने में बहुत तरह की परेशानी है। सरकार के स्तर पर मध्यम या निम्न मध्यम वर्ग के लिए हाउसिंग स्कीम आए इस पर ये लोग बात करते हैं।
पटना में हैं तो निजी क्षेत्र की छोटी-मोटी नौकरी के आसरे पर ही हैं इस उम्र के लोग। सरकारी नौकरी कितने लोगों को मिलेगी यह बात भी होती है। इसलिए निजी क्षेत्र के उपक्रमों के विस्तार की बात भी ये लोग करते हैं ताकि रोजगार के नए अवसर का सृजन हो सके।
संख्या के लिहाज से दूसरे नंबर के वोटरों की चिंता का दायरा और बड़ा
संख्या के लिहाज से 40 से 49 वर्ष उम्र के वाेटरों की संख्या दूसरे नंबर पर है। इनकी संख्या 16926086 है। इनकी चिंता का दायरा 30 से 39 वर्ष के वोटरों से ज्यादा बड़ा है।
इनकी उम्र ऐसी है कि ये अपनी रोजी-रोटी को लेकर स्थायित्व चाहते हैं। परिवार में बच्चों की चिंता इनके लिए काफी महत्वपूर्ण है। उम्र इस तरह की है कि बहुत रिस्क लेने की स्थिति में भी ये नहीं होती।
इनके पास मां-बाप के स्वास्थ्य से संबंधित जिम्मेदारी बढ़ने लगती है। इसलिए इनकी सबसे बड़ी समस्या अपनी जो आय है उसे बढ़ाने की है।
वोट की चर्चा के क्रम में अपनी इस अपेक्षा पर इस उम्र के लोग खूब बात करते हैं। इसी तरह 50 से 59 वर्ष के वोटरों की चिंता है। इनकी संख्या 11426964 है।
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