Bihar Assembly Election 2025 : भोजपुर की राजनीति में शुरू से अब तक दो परिवारों की धमक कायम
17 में 12 बार चुनाव जीतने वाले हम उस परिवार की बात कर रहे हैं जो आरा मुफस्सिल और बड़हरा विधानसभा से लगातार चुनाव जीतते आया है। 1952 में हुए विधानसभा चुनाव की शुरुआत में ही आरा मुफस्सिल विधानसभा क्षेत्र से अंबिका शरण सिंह पहली बार विधानसभा सदस्य का चुनाव जीत कर आए थे।

धर्मेंद्र कुमार सिंह,आरा(भोजपुर)। भोजपुर जिले में विधानसभा चुनाव के इतिहास पर नजर डाले तो शुरू से लेकर अब तक जिले के दो राजनैतिक घरानों के परिवारों का दबदबा कायम रहा है। एक परिवार बड़हरा विधानसभा क्षेत्र से आता है, जो अब तक 12 बार विधानसभा चुनाव में कब्जा जमा चुका है। वही दूसरा परिवार 17 में से अब तक नौ बार चुनाव जीत कर परचम फहराते हुए अपने दबदबे को कायम रखा है।
17 में 12 बार चुनाव जीतने वाले हम उस परिवार की बात कर रहे हैं, जो आरा मुफस्सिल और बड़हरा विधानसभा से लगातार चुनाव जीतते आया है। 1952 में हुए विधानसभा चुनाव की शुरुआत में ही आरा मुफस्सिल विधानसभा क्षेत्र से अंबिका शरण सिंह पहली बार विधानसभा सदस्य का चुनाव जीत कर आए थे। तब से लेकर 1967 तक लगातार चार बार इसके बाद 1977 का भी चुनाव जीता। अंबिका शरण सिंह कुल पांच बार विधायक बने थे। उनके विरासत को बखूबी संभालते हुए उनके पुत्र राघवेंद्र प्रताप सिंह ने 1977 में अपने पिता के निधन के बाद हुए उपचुनाव में चुनाव जीतकर राजनीति के सफल पारी की शुरुआत की। इसके बाद 1985, 1990, 1995, 2000, 2010 और 2020 में बड़हरा विधानसभा से ही सात बार चुनाव जीत रिकॉर्ड बनाया है।
भोजपुर में दूसरा राजनैतिक घराना है, रामानंद तिवारी का। ये भी 1952 में शुरू हुए विधानसभा चुनाव के दौरान शाहपुर से चुनाव जीत सफल पारी की शुरुआत की। उसके बाद लगातार चार बार 1957, 1962, 1967 और 1969 में चुनाव जीतने का रिकॉर्ड कायम किया। उनके विरासत को संभालते हुए उनके पुत्र शिवानंद तिवारी ने 2000 और फरवरी 2005 में दो बार चुनाव जीत उसे कायम रखने का प्रयास किया। तीसरी पीढ़ी में शिवानंद तिवारी के पुत्र राहुल तिवारी ने 2015 और 2020 में चुनाव जीत चली आ रही पुरानी परंपरा को एक बार फिर से कायम करने का प्रयास किया है। इन दो परिवारों के रिकॉर्ड को कोई अब तक तोड़ नहीं पाया है।
कई बार मंत्री पद भी संभाल चुके हैं दोनों परिवार के सदस्य
अंबिका शरण सिंह और रामानंद तिवारी विधायक का चुनाव जीतने के साथ ही बिहार सरकार के मंत्रिमंडल में कई बार मंत्री भी बन चुके हैं। मंत्री में भी इनकी वरिष्ठता को देखते हुए कई बार कैबिनेट मंत्री तक बनाया गया था।
यादव और पांडे बंधुओं का उदय लगातर चढ़ रहे सफलता की सीढ़ी
भोजपुर जिले में उन दो परिवारों के अलावे तीसरे और चौथे परिवार के लोगों से भी कई बार विधायक बनने का सिलसिला शुरू हो गया है। संदेश से विजेंद्र कुमार यादव वर्ष 2000 में और अक्टूबर 2005 में दो बार विधायक बने थे। 2015 में उनके भाई अरुण यादव और इनकी पत्नी किरण देवी ने 2020 का चुनाव जीत नया इतिहास बनाना शुरू कर दिया है। इसके बाद पीरो और तरारी विधानसभा से चार बार चुनाव जीतने का रिकॉर्ड सुनील पांडे ने भी बनाया है। वे 2000, फरवरी 2005, अक्टूबर 2005, और 2010 में चुनाव लड़ कर विजय हासिल की है।
वहीं इनके भाई हुलास पाण्डे जहां आरा-बक्सर के एमएलसी रह चुके है, दूसरी तरफ सुनील पांडेय के पुत्र विशाल प्रशांत ने तरारी 2024 उप चुनाव में विधायक बन विरासत की सियासत को नए ढ़ंग से सींचने की परम्परा शुरू की हैं। निजी तौर पर देखें तो आरा से अमरेंद्र प्रताप सिंह वर्ष 2000, फरवरी 2005, अक्टूबर 2005 और 2010 के विधानसभा चुनाव में एमएलए बन चुके हैं। इसके बाद पुराने योद्धाओं में रामजी प्रसाद 1969 और 1972 में संदेश से तथा 1980 में बड़हरा से चुनाव जीते थे। वही तीन बार चुनाव जीतने का रिकॉर्ड जगदीशपुर से श्री भगवान सिंह कुशवाहा ने भी बनाया है। वे वर्ष 2000 फरवरी 2005 और अक्टूबर 2005 में विधानसभा का चुनाव जीत चुके हैं।
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