सारण जिले के तरैया विधानसभा में एनडीए बनाम महागठबंधन, कार्यकर्ताओं में बढ़ी खींचातानी
16 तरैया विधानसभा क्षेत्र बिहार राज्य के सारण जिले में स्थित है। यह क्षेत्र 1967 में अस्तित्व में आया और यह महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है। जहां एक बार फिर राजनीतिक हलचल का केंद्र बना हुआ है। यहां इन दिनों एनडीए व महागठबंधन दोनों खेमों के कार्यकर्ताओं के बीच खींचातानी और जोड़-तोड़ की राजनीति तेज हो गई है।

राणा प्रताप सिंह, तरैया (सारण)। 116 तरैया विधानसभा क्षेत्र बिहार राज्य के सारण जिले में स्थित है। यह क्षेत्र 1967 में अस्तित्व में आया और यह महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है। जहां एक बार फिर राजनीतिक हलचल का केंद्र बना हुआ है। यहां इन दिनों एनडीए व महागठबंधन दोनों खेमों के कार्यकर्ताओं के बीच खींचातानी और जोड़-तोड़ की राजनीति तेज हो गई है। आगामी चुनाव को लेकर गांव-गांव में बैठकों और गुप्त रणनीतियों का दौर जारी है।
2015 का चुनाव : महागठबंधन का पलड़ा भारी
वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में तरैया सीट महागठबंधन के खाते में गई थी। राजद प्रत्याशी ने उस समय एनडीए उम्मीदवार को कड़े मुकाबले में पराजित किया था। इस चुनाव में यादव, मुस्लिम व अति पिछड़ा वर्ग का वोट महागठबंधन के पक्ष में एकजुट हुआ था, जिससे राजद को बढ़त मिली।
2020 का चुनाव : एनडीए ने बदला समीकरण
पांच साल बाद यानी 2020 में समीकरण पलटे। एनडीए उम्मीदवार ने राजद प्रत्याशी को हराकर सीट पर कब्जा जमा लिया। उस चुनाव में सवर्ण व पिछड़ा वर्ग के वोट एनडीए की झोली में गए, वहीं महागठबंधन के भीतर उम्मीदवार चयन को लेकर खींचतान ने भी हार-जीत का अंतर तय किया।
वर्तमान की स्थिति : कार्यकर्ताओं में खेमेबाजी
अब 2025 की तैयारी में दोनों गुटों में खेमेबाजी और कार्यकर्ताओं के बीच असंतोष साफ दिख रहा है। एनडीए खेमे में कई पुराने कार्यकर्ता टिकट बंटवारे को लेकर असंतुष्ट बताए जा रहे हैं, जबकि महागठबंधन में भी उम्मीदवार को लेकर राय एकजुट नहीं हो पाई है। गांव के नुक्कड़ों पर बैठकों से लेकर इंटरनेट मीडिया तक, कार्यकर्ताओं के बीच बयानबाजी व आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है। वैसे तरैया विधानसभा से राजद से पूर्व विधायक मुद्रिका प्रसाद राय व शैलेंद्र प्रताप सिंह तो कांग्रेस से धनवीर कुमार सिंह विक्कु, वीआईपी से संतोष महतो अपनी अपनी दावेदारी करते हुए जीतोड़ मेहनत कर रहे है।
वही एनडीए से विधायक जनक सिंह अपने प्रबल दावेदारी में है। वैसे बता दें कि एनडीए कार्यकर्ता सम्मेलन के दौरान प्रियंका सिंह भी मंच के माध्यम से अपनी दावेदारी ठोक दी और कही मौका उन्हें भी मिलना चाहिए। इनके साथ तरैया निवासी ओम प्रकाश सिंह के नाम का भी चर्चा हो रहा है। जन सुराज पार्टी से भी कई चेहरे है जो अपनी दावेदारी ठोक रहे है।
फिलहाल सीट बंटवारे की घोषणा अभी बाकी है। वैसे राजनीतिक गलियारों में कयासों का दौर तेज है, लेकिन अंतिम फैसला सभी दलों के लिए संतुलन साधने की बड़ी चुनौती साबित हो सकता है। इधर ग्रामीण जनता के बीच मुख्य मुद्दों में बेरोजगारी, सड़क निर्माण, शिक्षा, स्वास्थ्य और बिजली-पानी की समस्या सबसे आगे हैं।
2020 में जनता ने बदलाव के नाम पर एनडीए को मौका दिया था, लेकिन लोगों में अब नाराजगी झलक रही है। दूसरी ओर, महागठबंधन जनता को फिर से भरोसा दिलाने की कोशिश कर रहा है कि उनकी सरकार गरीबों और किसानों के लिए ज्यादा कारगर होगी।
वही एनडीए के लिए अपनी एकजुटता बनाए रखना सबसे बड़ी चुनौती है, जबकि महागठबंधन के लिए उम्मीदवार चयन और जातीय समीकरण साधना अहम है। अगर 2015 की तरह महागठबंधन वोटरों को एकजुट करने में सफल रहा तो वह मजबूत स्थिति में होगा। वहीं, अगर एनडीए 2020 वाली रणनीति को दोहरा पाया और असंतोष को काबू में रखा, तो उसकी स्थिति बेहतर बनी रह सकती है।
बता दें कि तरैया विधानसभा में इस बार मुकाबला और दिलचस्प होता दिख रहा है। 2015 और 2020 के नतीजों से यह साफ है कि यहां की जनता हर बार नए समीकरण गढ़ती है। अबकी बार कार्यकर्ताओं की खींचातानी और जनता का मूड किस ओर झुकेगा, यह आने वाला समय ही तय करेगा।
तरैया विधानसभा सीट के 2015 व 2020 चुनावों में हार-जीत व वोटों का ब्यौरा
2015 का चुनाव
- उम्मीदवार पार्टी प्राप्त वोट वोट प्रतिशत हार-जीत का अंतर
- मुद्रिका प्रसाद राय राजद 69012 47.88% 20440 वोट से जीते
- जनक सिंह भाजपा 48572 33.70%
2020 का चुनाव
- उम्मीदवार पार्टी प्राप्त वोट हार-जीत का अंतर
- जनक सिंह भाजपा 53430 55.9% 11307 वोट से जीते
- सिपाही लाल महतो राजद 42123 44.1%
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