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    Bihar Assembly Election 2025 : प्रभुनाथ नगर में गुस्सा और गिला: जनप्रतिनिधियों पर लोगों का आक्रोश, सड़क नहीं तो वोट नहीं

    Updated: Tue, 16 Sep 2025 01:40 PM (IST)

    छपरा के प्रभुनाथ नगर में सड़क और जलजमाव एक बड़ा चुनावी मुद्दा बन गया है। तीन साल से अधूरी सड़क निर्माण और जल निकासी की समस्या से लगभग दस हजार लोग परेशान हैं। नमामि गंगे योजना के तहत सड़क बननी थी पर काम अधूरा है। स्थानीय लोगों में गुस्सा है और विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधा है।

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    झूठे वादों में डूबा प्रभुनाथ नगर, जनता का सब्र टूटा

    अमृतेश, छपरा। छपरा शहर का प्रभुनाथ नगर मुहल्ला चुनावी सरगर्मी से पहले ही राजनीतिक चर्चा का विषय बन चुका है। जैसे ही इस मुहल्ले में कदम पड़ता है, टूटी सड़क और चारों ओर फैला कीचड़ खुद-ब-खुद हालात बयां करने लगता है। बरसात के बाद तो हाल और बिगड़ जाते हैं। गलियों में कई-कई दिनों तक पानी जमा रहता है। करीब नौ से 10 हजार की आबादी वाले इस इलाके के लोग पिछले तीन साल से अधूरी सड़क और जल निकासी की समस्या से जूझ रहे हैं। नमामि गंगे योजना के तहत यहां सड़क का निर्माण होना था, लेकिन काम अधूरा छोड़ दिया गया। अब मुहल्ले की जनता अपने प्रतिनिधियों से ठगा महसूस कर रही है।

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    बच्चे फिसलते हुए स्कूल जाते हैं बच्चे बुजुर्ग को है परेशानी 

    मुहल्ले के निवासी संजय कुमार सिंह बरसात के हालात बताते हुए कहते हैं, पानी और कीचड़ से हालत यह हो जाती है कि बच्चे स्कूल जाते समय कई बार गिर जाते हैं। बुजुर्ग घर से निकलने से डरते हैं। महिलाओं को बाजार जाना भारी पड़ता है। नेताओं ने सिर्फ हमें भरोसा दिया, काम कोई नहीं हुआ।

    लोगों का कहना है कि तीन साल से केवल टेंडर और स्टीमेट की बातें सुनाई जा रही हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर सड़क जस की तस है।

    विपक्ष भी साध रहा है निशाना

    इस मुद्दे पर विपक्षी दलों ने भी सरकार और जनप्रतिनिधियों पर सीधा हमला बोला है। राजद नेता अमित गुप्ता कहते हैं प्रभुनाथ नगर की जनता तीन साल से सड़क और जलजमाव पानी की समस्या से कराह रही है। भाजपा और एनडीए के प्रतिनिधि सिर्फ फोटो खिंचवाने और घोषणाएं करने तक सीमित हैं। अब जनता पूछ रही है कि योजनाएं अधूरी क्यों छोड़ी गईं।

    कांग्रेस नेता एवं पूर्व जिलाध्यक्ष

    अनिल सिंह ने भी तीखा वार किया। उनका कहना है,सरकार ने नमामि गंगे का खूब नाम लिया, लेकिन नाली गंदगी से पटी है, सड़क अधूरी है और लोग नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं। यह भ्रष्टाचार और लापरवाही का नतीजा है।

    मुहल्ले का पार्क भी बदहाल

    सड़क ही नहीं, मुहल्ले का पार्क भी जलजमाव का शिकार है। बरसात में यहां पानी भर जाता है और कई दिनों तक निकलता नहीं। गंदा पानी मच्छरों के लिए घर बन चुका है। बच्चों का खेलना बंद हो गया है और लोग बीमारियों के खतरे से परेशान हैं।

    मुहल्लेवासी रिंकू देवी कहती हैं,व हमने कई बार प्रशासन को शिकायत दी। नाला नहीं बना, न जल निकासी की कोई व्यवस्था हुई। अब तो मजबूरी में आंदोलन करना पड़ेगा।

    चुनाव में गर्मा सकता है मुद्दा

    स्थानीय लोगों की नाराजगी इस बार के विधानसभा चुनाव को प्रभावित कर सकती है। मुहल्लेवासी साफ कह रहे हैं कि वे केवल उन्हीं उम्मीदवारों को वोट देंगे जो लिखित में समयसीमा तय कर सड़क और नाले का निर्माण कराएंगे। मुहल्ले के युवक अंकुर श्रीवास्तव का कहना है,अब नेताओं को भाषण और आश्वासन नहीं चलेगा। हम सिर्फ काम देखेंगे।

    जिस उम्मीदवार से पक्की गारंटी मिलेगी, उसी को वोट देंगे।प्रभुनाथ नगर की हालत ने एक बार फिर विकास की राजनीति पर सवाल खड़ा कर दिया है। लोग पूछ रहे हैं कि आखिर उनकी जिंदगी के बुनियादी मुद्दों को कब तक टालते रहेंगे। मुहल्लेवासियों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द काम शुरू नहीं हुआ तो वे बड़े पैमाने पर आंदोलन करेंगे।लोगों का साफ कहना अब भरोसा नहीं चाहिए, हमें पक्की सड़क और जल निकासी चाहिए।

    अगर यह नहीं मिला तो आने वाले चुनाव में जनता नेताओं को करारा जवाब देगी।प्रभुनाथ नगर की दुर्दशा ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर जनता के बुनियादी मुद्दों पर कब तक राजनीति होती रहेगी और कब तक लोग सिर्फ वादों और योजनाओं के कागजी खेल में फंसकर परेशान होते रहेंगे।