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Delhi Election: विदेश में जन्मा यह शख्स कैसे बना दिल्ली का पहला CM, पढ़ें रोचक स्टोरी

चौधरी ब्रह्म प्रकाश का दिल्ली की पहला मुख्यमंत्री बनकर इतिहास रचना महज एक इत्तेफाक था। दरअसल दिल्ली विधानसभा चुनाव अक्टूबर 1951 में हुआ और परिणाम कांग्रेस पार्टी के पक्ष में आया।

By Prateek KumarEdited By: Published: Sun, 12 Jan 2020 08:37 PM (IST)Updated: Mon, 13 Jan 2020 01:05 PM (IST)
Delhi Election: विदेश में जन्मा यह शख्स कैसे बना दिल्ली का पहला CM, पढ़ें रोचक स्टोरी

नई दिल्ली [जेपी यादव]। Delhi Assemble Election 2020: 7 जनवरी को चुनाव आचार संहिता लगने के साथ ही दिल्ली विधानसभा चुनाव-2020 के मद्देनजर सभी दलों में गहमागहमी बढ़ गई है। दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर लोग इंटरनेट पर तरह-तरह की जानकारियां हासिल करने के लिए सर्च कर रहे हैं। आइये यहां जानते हैं कि दिल्ली विधानसभा चुनाव से जुड़े कुछ अहम तथ्य, जिन्हें जानकर आपको भी हैरानी होगी।

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विदेश में जन्मा शख्स बना था दिल्ली का पहला सीएम

यह बहुत कम लोग जानते होंगे कि दिल्ली के पहले सीएम मदनलाल खुराना नहीं बल्कि चौधरी ब्रह्म प्रकाश हैं। दरअसल, दिल्ली विधानसभा का चुनाव पहली बार अक्टूबर 1951 में हुआ था। इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी की जीत हुई थी और चौधरी ब्रह्म प्रकाश को दिल्ली का पहला मुख्यमंत्री बनाया गया। वैसे उनका जन्म केन्या में हुआ था और तकरीबन 16 साल की उम्र में वे केन्या से दिल्ली अपने माता-पिता के साथ आए थे। यहां पर आने के साथ उन्होंने पढ़ाई की और फिर राजनीति में सक्रिय हो गए। इसके बाद चौधरी ब्रह्म प्रकाश 17 मार्च, 1952 से 12 फरवरी, 1955 तक दिल्ली के मुख्यमंत्री पद पर रहे।

इत्तेफाक से बने थे सीएम

चौधरी ब्रह्म प्रकाश का दिल्ली की पहला मुख्यमंत्री बनकर इतिहास रचना महज एक इत्तेफाक था। दरअसल, दिल्ली विधानसभा चुनाव अक्टूबर 1951 में हुआ और परिणाम कांग्रेस पार्टी के पक्ष में आया। परिणाम के साथ ही विधायकों ने उस समय के सबसे लोकप्रिय नेता देशबंधु गुप्ता को अपना नेता चुना लिया। इसी के साथ शपथ ग्रहण का दिन और समय भी तय कर दिया गया, लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था। मुख्यमंत्री पद के लिए शपथ ग्रहण से पहले ही एक हादसे में देशबंधु गुप्ता की मौत हो गई। इसके बाद सर्वसम्मति से चौधरी ब्रह्म प्रकाश को दिल्ली का सीएम बनाया गया और बतौर सीएम रहते हुए 17 मार्च, 1952 से 12 फरवरी, 1955 तक दिल्ली की जनता की सेवा की।

नेहरू की वजह से दिल्ली के पहले सीएम बने ब्रह्म प्रकाश

उस दौर की राजनीति को जानने वाले कहते हैं कि चौधरी ब्रह्म प्रकाश का दिल्ली का पहला सीएम बनना इत्तेफाक हो सकता है, लेकिन वह एक काबिल नेता थे। यही वजह थी तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की भी सहमति चौधरी ब्रह्म प्रकाश को सीएम बनाने में थी। कहा जाता है कि नेहरू की वजह से ब्रह्म प्रकाश दिल्ली के सीएम बने।

एक बार सीएम और चार बार सांसद रहे, लेकिन रहे आम आदमी की तरह

चौधरी ब्रह्म प्रकाश की सबसे बड़ी खूबी उनकी सादगी थी, जिसकी उनके साथी भी सराहना करते थे। बताया जाता है कि वे किसी विशेष वाहन से चलने की बजाय सरकारी बसों में सामान्य आदमी की तरह सफर कर लेते थे। इतना ही चलते-फिरते कहीं भी वे लोगों की समस्याएं सुनते और निराकरण का प्रयास करते थे। उन्हें कई बार लोगों के बीच सामान्य लोगों की तरह देखा गया।

अपना घर तक नहीं बना सके दिल्ली के पहले सीएम

ब्रह्म प्रकाश की सादगी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वह दिल्ली के सीएम रहे और चार बार सांसद भी रहे, लेकिन वह अपना कोई ठिकाना यानी घर तक नहीं बना सके। इस पर जब उनसे कुछ पूछा जाता तो वे कहते 'समूची दिल्ली ही उनका घर है।'

नैरोबी की तर्ज पर करना चाहते थे दिल्ली का विकास

चौधरी ब्रह्म प्रकाश को नैरोबी शहर बेहद पसंद था और जब वह दिल्ली के सीएम बने तो उन्होंने कई बार नैरोबी की तर्ज पर दिल्ली का विकास करने की इच्छा जताई, लेकिन उनका यह सपना पूरा नहीं हुआ, क्योंकि दिल्ली केंद्र शासित प्रदेश बन गया। फिर 90 के दशक में फिर यहां पर विधानसभा का गठन हुआ और भारतीय जनता पार्टी जीता और दिल्ली के सीएम बने मदन लाल खुराना।

सरनेम नहीं लिखते थे चौधरी ब्रह्म प्रकाश

दिल्ली के पहले सीएम बेहद विनम्र स्वभाव के थे। दिल्ली के शकूर बस्ती में रहने वाले चौधरी ब्रह्म प्रकाश जाति, धर्म से दूर रहते थे। वह मानव समाज को ही अपना सच्चा धर्म मानते थे। जहां नेता जाति और धर्म के नाम पर वोट मांगने की जुगत में रहते हैं, वहीं चौधरी ब्रह्म प्रकाश ने सीएम रहने के दौरान और बाद में भी कभी भी अपनी जाति बताई और न ही सरनेम लिखा। हां, वर्ष 2009 में इन्हीं की पोती एकता चौधरी मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता में बतौर प्रतियोगी चयनित हुईं तो लोगों ने उन्हें सराहा। यह अलग बात है कि एकता कोई यह मुकाबला हार गई, लेकिन भारत का नाम दुनियाभर में रौशन किया।

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