विधायक के पोस्टर से गायब हुआ पार्टी का चिह्न, इलाके में चर्चा है नेताजी फिर बदलेंगे पार्टी
बदरपुर विधानसभा क्षेत्र के एक पूर्व विधायकजी ने आजकल अपने पोस्टर से अपनी पार्टी का चुनाव चिह्न् हटा लिया है।
नई दिल्ली [अरविंद कुमार द्विवेदी]। Delhi Assembly Election 2020: बदरपुर विधानसभा में आगरा कैनाल पर बना मीठापुर चौराहा तीन साल पहले गोलचक्कर में तब्दील हुआ था। दिल्ली पुलिस ने इसे तीन साल पहले अस्थायी रूप से इसलिए बनाया था ताकि यहां पर लोग बिना रुके घूमते हुए निकल जाएं। लेकिन इसे स्थायी व पक्का बनाने के नाम पर नेताओं ने जनता को ही गोल-गोल ‘घुमाना’ शुरू कर दिया। जब भी कोई चुनाव आता है, इसे पक्का बनाने का काम शुरू हो जाता है।
गोल-गोल घुमाना बंद करो नेताजी
पहले लोकसभा चुनाव और अब विधानसभा चुनाव आते ही इस पर काम शुरू हो गया है। कभी सांसद तो कभी स्थानीय विधायक इसका श्रेय लेने में जुट जाते हैं। आज तक इसका काम पूरा नहीं हुआ। परेशान जनता के लिए समस्या जस की तस बनी हुई है। देखते-देखते दिन, महीने और साल बीत गए, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ। अब तो जनता भी समझ गई है कि यह सब चुनावी स्टंट बनकर रह गया है। लोगों ने तो कहना शुरू कर दिया है- नेताजी अब तो इसे पूरा करवा दो। कब तक गोल-गोल घुमाओगे।
गले की फांस बना धरना
दूध का जला छाछ भी फूंक-फूंककर पीता है वाली कहावत आजकल दिल्ली पुलिस पर सटीक बैठ रही है। सीएए व एनआरसी का विरोध कर रहे छात्रों की जामिया मिलिया में घुसकर पिटाई करने पर पुलिस की इतनी किरकिरी हुई कि अब शाहीन बाग में धरने पर बैठे मुट्ठी भर लोगों को हटाने से पहले पुलिस कई बार सोच रही है। लोगों का मानना है कि पुलिस की इसी कार्रवाई के विरोध के बहाने ही पूरे देश में हिंसा फैली थी। इसलिए पुलिस को डर है कि शाहीन बाग में प्रदर्शन कर रहे लोगों को बलपूर्वक हटाने पर कहीं फिर से बवाल न हो जाए। दिल्ली-एनसीआर के लाखों लोग प्रदर्शनकारियों को कोस रहे हैं। पिछले दिनों पुलिस ने रास्ता खोलने का प्रयास किया, लेकिन विरोध देख उल्टे पांव लौट गई। अब तो लोग पुलिसकर्मियों से कहने लगे हैं, साहब- डरना बंद करो और धरना बंद कराओ।
इलाके में चर्चा कि बदलने वाले हैं पार्टी
बदरपुर विधानसभा क्षेत्र के एक पूर्व विधायकजी ने आजकल अपने पोस्टर से अपनी पार्टी का चुनाव चिह्न् हटा लिया है। हैप्पी न्यू ईयर से लेकर लोहड़ी और मकर संक्रांति तक की बधाइयों के बड़े-बड़े पोस्टर पूरे क्षेत्र में लगे हैं। लेकिन उनकी पार्टी का चुनाव चिह्न् कहीं नहीं दिख रहा। अखबारों के विज्ञापन से भी चुनाव चिह्न् गायब है। वह कई बार पार्टी बदल चुके हैं। इसलिए क्षेत्र के लोग अभी से कयास लगाने लगे हैं कि लगता है नेताजी फिर से पार्टी बदलने वाले हैं। कोई कह रहा है कि वह फलां पार्टी में जाएंगे तो कोई कुछ..। लोगों का तो यहां तक कहना है कि नेताजी निर्दलीय लड़ने में भी माहिर हैं। अगर किसी पार्टी में बात न बनी तो वे इस विधानसभा चुनाव में निर्दलीय भी मैदान में ताल ठोंक सकते हैं। अब उनके मन में क्या है, यह तो वही जानें। लेकिन क्षेत्र के लोगों में उनके पोस्टर से चुनाव चिह्न् का गायब होना ही चर्चा का विषय बना हुआ है।
मंच के पीछे टिकट के लिए जुगाड़बंदी
चुनावी बेला में हर पार्टी में टिकट के छोटे-बड़े दावेदार पार्टी के बड़े नेताओं से टिकट का जुगाड़ लगाने में लग गए हैं। पिछले काफी दिनों से हर बड़े कार्यक्रम में इन्हें मंच के पीछे बड़े नेताओं से गुफ्तगू करते देखा गया है। आप हो, भाजपा हो या फिर कांग्रेस। पार्टी के बड़े नेता पार्टी के कार्यक्रम में पहुंचते हैं, लेकिन उनके मंच पर पहुंचने से पहले ही ये दावेदार उन्हें घेर लेते हैं। कार्यक्रम के बाद भी मंच के पीछे नेताओं को अपना प्रोफाइल दिखाते अक्सर देखा गया है। सिटिंग पार्षदों से लेकर नए और उभरते हुए नेता भी अपने-अपने होर्डिंग-पोस्टर गली-मोहल्लों में जगह-जगह लगा रहे हैं। कुछ तो यह भी दावा कर रहे हैं कि अभी वह भले ही पार्षद हैं, लेकिन उनका कद विधायक से कम पर जंचता ही नहीं। इसलिए इस बार उन्हें हर हाल में विधायक बनना ही है। ऐसे में अब यह देखना है कि ये नेताजी की जुगाड़बंदी इस चुनाव में चल पाएगी या नहीं।